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लाल किला से किलों का पिछवाड़ा लाल करने का ऐलान

लाखों हिन्दुओं की मौत के बाद मिले आजादी की 78वीं वर्षगाँठ पर लाल किले से देश को 11 वीं बार संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई किलों का पिछवाड़ा लाल करने का खुला ऐलान कर दिया.

इसी तरह का ऐलान भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव के पहले जारी किये गए संकल्प पत्र मेंं किया था जिसका परिणाम यह हुआ कि कार्यपालिका की साजिश के कारण भाजपा सत्ता च्यूत होते होते बची. देश के प्रशासनिक अमले ने तो पूरे देश को चूतिया बनाने की तैयारी कर ली थी. ठीक इसी तरह जिस तरह पिछले शनिवार को देश की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ तोड़ने की कोशिश की थी. रविवार तक लगने लगा था कि सोमवार को शेयर बाजार में काला सोमवार आने ही वाला है. पर देश के प्रबुद्ध नागरिकों ने इस साजिश को नाकाम कर दिया. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी प्रशासनिक अमले की साजिश को नाकाम करते हुए भाजपा नीत गठबन्धन को स्पष्ट बहुमत दिला दिया.

देश के विरोधी दलों को लगा था कि जब भाजपा का अकेले स्पष्ट बहुमत रहने के बावजूद मोदी अपने बड़े फैसले नहीं ला सके तो अब क्या लाएगें ! अब तो नरेन्द्र को नायडू और नीतीश की बैशाखियों सहारे चलना है. पर इनको नरेन्द्र मोदी की आन्तरिक क्षमता का सही आकलन था. चुनौतियों को चुनौती देने वाले नरेन्द्र मोदी देश ही नहीं दुनिया के अकेले सत्ता प्रमुख हैं जो साँढ़ों का सींग पकड़ कर पछाड़ने की क्षमता रखते हैं.

सबको मालूम है कि देश की समस्याओं की जड़ में मौजूद इस देश की न्यायपालिका और कार्यपालिका ने राजनीतिक ताकतों को अपना लठैत बना कर इस्तेमाल किया है. संविधान की रक्षा करने वाली न्यायपालिका में ऐसे न्यायाधीशों ने संविधान को धता बताते हुए एक ऐसी व्यवस्था बना ली है जिसका संविधान में दूर दूर तक कहीं उल्लेख नहीं मिलता. दुनिया में किसी देश में ऐसी न्यायपालिका नहीं है जहाँ न्यायाधीश, (न्यायमूर्ति एक आदरणीय शब्द है जिसका व्यवहार इन न्यायाधीशों के लिए नहीं किया जा सकता ) स्वंय दूसरे न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैँ.

पूरे देश को यह मालूम था कि अगर मोदी तीसरी बार पूरी ताकत से सरकार बनाने में सफल होंगे तो उनकी अगली लड़ाई देश की कार्यपालिका को तथा न्यायपालिका को देशहित में काम करने के लिए संयमित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. पूरी दुनिया और देश के विरोधी दलों के संयुक्त प्रयास के बावजूद देश में मोदी की सरकार बन ही गई. अब आज देश को दिए अपने संबोधन में मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि बहुमत की कमी ने उनको कमजोर नहीं किया है.

भाजपा के तीन प्रमुख लक्ष्य थे. अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मन्दिर बनवाना, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति और पूरे देश के नागरिकों के लिए एक तरह का सिविल कानून. साँढ़ को सींग से पकड़ते हुए मोदी ने इस समान नागरिक संहिता को सेकूलर नागरिक संहिता नाम दे दिया और पूरे देश का विपक्ष हतप्रभ है कि सेकूलर संहिता का विरोध कैसे करे. अब तक इस देश में अलग अलग धर्मों के लिए अलग अलग कानून मौजूद हैं और किसी सरकार में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि इस व्यवस्था को बदलना तो दूर बदलने की बात तक कर सकें. और अब उलटे बाँँस बरेली को भेजते हुए मोदी ने देश में एक सेकूलर नागरिक कानून बनाने की बात कर दी है. अब देश के विपक्ष को खुलेआम सांप्रदायिक नागरिक संहिता चलाते रहने की मांग करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. मोदी ने विपक्ष का सेकूलर रुपी छद्म आवरण हटा कर नंगा कर दिया है. अब देखना है कि इनकी नंगई कहाँ तक जा सकती है !

देश के नागरिकों को सचेत रहना होगा, इस महादुरुह कार्य को पूरा कराने के लिए हम सबको सरकार से सहयोग करना पड़ेगा वरना बांग्लादेश बनाने की साजिश तो चल ही रही है. कोलकाता में रेप करने वाले मुजरिमों को बचाने के लिए अराजक तत्वों ने विरोध कर रहे डाक्टरों पर हमला बोल कर और सुबूतों को मिटाने के लिए बवाल काट कर अपनी साजिश उजागर कर दी है.

जानता हूं कि आप सबने लाल किला से मोदी जी का संबोधन सुना ही होगा पर उसका लिंक नीचे इस लिए दे रहा हूं कि आप इसे दुबारा सुनें और देखें –

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