काल्हु मंगल का दिने सभे विजयादशमी के पर्व धूमधाम से मनाई आ एह पावन पर्व पर अँजोरिया के सगरी पाठक-पाठिका ला मंगल कामना करत बिया राउर अँजोरिया.
एह दिन के लोग महिषासुर वध से त जोड़बे करेला बाकिर ओहू ले अधिका रावण पर भगवान श्रीराम के विजयो का साथे जोड़ल जाला.
रावण पर विजय पा के श्रीराम श्रीलंका के राज अपना अधीन ना कइलन बलुक रावणे के छोटका भाई विभीषण के राजा बना के अयोध्या लवटि अइलन. बतावल जाला कि श्रीलंका से अयोध्या आवे में उनुका चौदह दिन लागल रहुवे. आ ऊ जहिया अयोध्या चहुँपलन ओह दिन दिवाली मनावल गइल. तबहियें से ई परम्परा शुरु हो गइल कातिक अमावस का दिने दिवाली मनावे के.
सोचनी कि आजु एह बाति के सचाई परखिए काहें ना लीहल जाव त गूगल बाबा का शरण में गइनी आ उनुका से जानल चहनी कि
श्रीलंका से अयोध्या पैदल आवे के होखो त कतना दिन लागी. आजु गूगल बाबा हमरा के 28 दिन बतवलन बाकिर जवन नक्शा देखवलन तवना में ऊ पूरा परिक्रमा क लिहलन श्रीलंका के. हो सकेला कि श्रीराम के युद्ध शिविर रामेश्वर का लगहीं रहल होखी आ ऊ ओहिजे से नू चलल होखिहें. आ इहो हो सकेला कि विजय का उछाह आ घरे लवटे का उत्साह में लोग तेज चलल होखे. रउरो गूगल बाबा से ई जानकारी ले सकीलें.
खैर, हम त इहे मानब कि उनुका चउदहे दिन लागल होखी. बाकिर विजयादशमी का दिने शस्त्रपूजन के परंपरा कब आ कइसे शुरु भइल एह बारे में हम अबहीं गूगल ना कइनी ह. बाकिर सचाई त इहे बा कि विजयादशमी का दिने देश में कई जगहा शस्त्रपूजन के परंपरा मनावल जाला. देश के दू गो संगठन एह दिन के बहुते धूमधाम से मनावेलें. एक त हवे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आ दोसरका हवे – भा कहीं त रहुवे बाला साहेब ठाकरे के शिवसेना. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना बरीस 1925में विजयादशमी का दिनही भइल रहुवे.
रउरा का सोचिलें – एह दिन के घर-घर में शस्त्रपूजा होखे के चाहीं कि ना ?
रावण का बध में त अस्त्रे-शस्त्र के नु उपयोग भइल रहे ! एहसे विजयदशमी का दिन शस्त्र-पूजा के परंपरा उपयुक्त लागतिया।
– रामरक्षा मिश्र विमल