विरोध का बावजूद भइल कल्पना के कार्यक्रम

भोजपुरी गायिका कल्पना के जमशेदपुर आगमन के खिलाफत करत “भोजपुरी विकास मंच” संस्था के महामंत्री प्रदीप सिंह का नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन भइल, कल्पना के पुतला जरावल गइल, आ कल्पना के तमाम सीडीओ जरावल गइल. विरोध का चलते कार्यक्रम के संचालन में कवनो बाधा एहसे ना पड़ल कि पुलिस संगठन आयोजक रहे आ डीआईजी मुख्य अतिथि. विरोध प्रदर्शन में भोजपुरी विकास मंच का साथे युवा जागृति मंच आ क्रांति सेना के लोग शामिल रहे.

गोपाल मैदान में आयोजित “राष्ट्रीय व्यंजन व लोक उत्सव” में पाँचवा आ आखिरी दिने सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन रहे जवना में कल्पना, राजदीप चटर्जी, मोहन यादव वगैरह गायक शामिल भइलें. कल्पना भूपेन हजारिका के मशहूर गीत “गंगा तुम बहती हो क्यूं” से शुरुआत कइली आ ओकरा बाद “घरे छुटी ले के कुछ दिन रहीं ए बलम जी” गा के सुनेवालन के वाहवाही लूट लिहली. मोहन यादव के गावल गीत “पिया डराइवर हो” सुन के लोग ताली से माहौल गड़गड़ा दिहल. कल्पना बाद में भिखारी ठाकुर के गीत “अइसन लिखलन करम में विधाता, हित मीत केहू काम न आवता” आ राजदीप चटर्जी का साथे कुछ हिन्दी के नृत्यगीत पेश कइली जवना में लोक नर्तकी भरपूर साथ दिहली सँ. एह मौका पर डीआईजी कोल्हान, टाटा मोटर्स के डीजीएम सुमीत सिन्हा, पुलिस एसोसियेशन के महामंत्री वीरेन्द्र सिंह, “भोजपुरी विकास मंच” के अध्यक्ष बी॰एन॰तिवारी, आ भोजपुरी संघ के अध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे समेत शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे.

भोजपुरी में फूहड़ गाना लेके चल रहल विरोध पर कल्पना के कहना रहे कि अगर साँचहू फूहड़ता का खिलाफ लड़े के बा त खाली गाने काहे, समाज में पसरल हर फूहड़ता के विरोध होखे के चाहीं. पुछली कि कवन गायक वयस्कन खातिर गाना नइखे गवले ? खाली हमरे विरोध काहे हो रहल बा ? कहली कि ऊ त असमी हई बाकिर भोजपुरी वाले उनुका के अपना लिहलें त पिछला पाँच छह साल से भोजपुरी गावत बाड़ी आ संगीत के सगरी नवो रस के पेश कर के लोग का बीच भरपूर आनन्द बाँटे में लागल बाड़ी. बतवली कि भिखारी ठाकुर का गीतन पर एगो अलबम बना रहल बाड़ी जवना के टाइम्स म्यूजिक का तरफ से रिलीज कइल जाई.

कल्पना के विरोधियन के दावा बा कि ओह लोग का विरोध का चलते जमशेदपुर के जनता कार्यक्रम के वहिष्कार कर दिहलसि आ पहिले का मुकाबिले कल्पना के एह कार्यक्रम में लोग के भागीदारी नामे भर के रहे.

2 Comments

  1. SURESH ANAND

    Namashkar,mai shiksha bibhaag Ranchi se juda hu.mere najar mai kalpana ek aisi naari hai jo parivartan laanewali sanskritik byaktitwa hai.nach me gaye huwe geet ko,nachnewali ki samajik pariwartan ki maang karti ek aurat.kal tak hamari uttar bhartiya samaj me acchi ghar ki betiya nahi gaati thi.aaj sur sangram dekhke lagta hai samaj badl raha hai.iska koi had tak shrey kalpna ko dena padega jahatak mahilawo ki baat hai.

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  2. SURESH ANAND

    ek gaana ko gaana ki tarah lena chahiye,naki jiwanshaili.warna kya munni badnaam ki munni,yani malaika arora khan lahanga pahenke gharme nach karti hogi.wo ek kirdaar tha.unhone nibhaya.kalpanaji ne bhi bohot sare aise geet gaye,sahi baat,lekin mujhe lagta hai,ek jagriti laa rahi hai samaj me aaj jab ladies singer ko dekha jaay to.waise to dekha gaya hai itihaas me hamesha pariwartan laanewale ko chulhi pe chhadhaya jaata hai,faasi diya jaata hai…kalpnaji ko bhi is aag ke dariya me doobke jaana hoga….

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