– शिवानंद मिश्र शिकारी
लहलह हरीयर धान ह मानस, चाउर पुरान चिरान ह मानस,
तुलसीजी के थान कहीं कि कामधेनु दुहान ह मानस ।
गुरू बसीठजी के जजमान के सुनर करत बखान ह मानस,
धनुही बान धरेलें ओही रघुबर के गुनगान ह मानस।
बर तर जेकर दलान सोहाला शंकरजी के ज्ञान ह मानस,
पारबतीजी ध्यान से सुनली भगती जुत विज्ञान ह मानस।
उजुबुक के अनबान लागेला बुरबक खाती भसान ह मानस,
नास्तिक मन झवान करेला आन्ही बुनी तुफान ह मानस।
प्रेमी जान परान ह मानस, साधु के मकान ह मानस,
बेद पुरान के गोरस अवटल, भगत के जलपान ह मानस।
शास्त्रन के परमान से भरल ओजन बेपरमान ह मानस,
दुर्जन गोड़ के छान बान्ह ह, सज्जन धन सुकीलान ह मानस।
भारद्वाज अनजान हो पुछले जागबलीक मन चान ह मानस,
लोमशजी मचान इ बन्हले, भुशुण्डी आड़ान ह मानस।
उरगारी अज्ञान मेटावे खातिर पाजल कृपान ह मानस,
राम जन्म स्थान ह मानस, बाल रूप नादान ह मानस।
बगसर जगी, अहील्या शीला तरत जहाँ पाषान ह मानस,
सीया राम मिलान करावत बैदेही बागान ह मानस।
रतन के खदान कहीं की, राम रसायन खान ह मानस,
राम बिबाह के गान बजान ह, सीया सेनुरदान ह मानस।
भिलनी से, मालाह से बन में करत जान पहचान ह मानस,
पैदल करत पयान भरतजी, चित्रकूट नहान ह मानस।
महाराज के मैजली, माटी, गीधराज बलीदान ह मानस,
सीता हरन, मरन मारीच के, जानकी अनुसंधान ह मानस।
हनुमान जी लंका जरले सिंधु तरन अभियान ह मानस,
कुल खानदान समेत मरइले, रावन मटीयामेटान ह मानस।
पतीतन खाति कीरान ह मानस, साधक खाती हेलान ह मानस,
कान खोली के सुनीलऽ साफा, चारो फल खरीहान ह मानस।
रसना छोड़ते विषय वासना, मेटत सकल थकान ह मानस,
चारी गाल चौपाई चर, इ कल्यान निधान ह मानस।
बड़े बड़े बिदवान ना बुझसु अइसन अगम, अमान ह मानस,
गांव-गीरान के अनपढ़ बुझे, अइसन सुगुम, आसान ह मानस।
काम, क्रोध, मद, लोभ, दंभ के रोकेवाला चट्टान ह मानस,
समहुत करऽ शिकारी आजुए, साफा धुरिया उड़ान ह मानस।
- शिवानंद मिश्र शिकारी
पुस्तकालयाध्यक्ष, केंद्रीय विद्यालय, इफको, गांधीधाम.
निवासी : छोटका परसउड़ा, भोजपुर, बिहार – 802112
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक लोग जइसे कि श्री राजनजी महाराज, पं गौरांगी गौरीजी इनकर अनेके भजन गवले बाड़ें आ गावते रहेलें. भोजपुरी के लगभग सगरी माथ गायक जइसे कि स्व गायत्री ठाकुर जी, भरत शर्मा आदि इनकर लिखल भजन गवले बाड़ें.
बहुत ही सुन्दर,,,