सब छँवड़ी झूमर पाड़े त लंगड़ी कहे हमहूं

देश में कोरोना कहर के दुसरका लहर देखत कांग्रेस के सोच बा कि एह समय अइसन कुछ होखे के चाहीं जवना से देश में असन्तोष भड़क सको. अपना से त ऊ कुछ उठा नइखे रखले बाकिर जनता अस पटाइल बिया कि खोरलो पर खदबदात नइखे.
अब माई-बेटा प्रधानमंत्री के चिट्ठी लिख के कहले बा लोग कि सर्वदलीय बइठक बोला के सभकर राय-विचार सुनल जाव आ तब कोरोना से लड़े के कारगर रणनीति बन पाई.
अब एह लोग से के पूछो कि जब देश भर के मुख्यमंत्रियन से आए दिन ऑनलाइन बइठक करिए के पीएम कवनो फैसला लेत बाड़ें त ओह ले बढ़िया सर्वदलीय बइठक दोसर का होखी.
अलग बाति बा कि कई बेर ओह बइठकन में शामिल होखल कुछेक मनबढ़ मुख्यमंत्रियन के जरुरी ना बुझाव, कुछ ओह बइठक में शामिल रहला का बावजूद देह अईंठत, माथ हगुआवत रहेलें. एगो त अइसनो मुख्यमंत्री बा जे पीएम पर बेहूदा टिप्पणी कइलें में आपन शान बूझेला.
कुछ राजनीतिक गोलन रे लागत बा कि देश के मालूम होखे के चाहीं कि ओकरो कुछ औकात बा. ओकरा से बिना पूछले-बतियवले पीएम कुछ ना कर पइहें. एह लोग का लगे अगर कवनो सुझाव होखे त ऊ सुझावो भेज सकेला, अपना पाती में लिख सकेला. बाकिर एहिजा त कुछ हइए नइखे बतावे-बुझावेला. एगो नेता जी के त आदत हो गइल बा कि जब जब देश में कवनो बड़हन मुद्दा पर विचार हो रहल होखे त ममहर भाग जालें. पता ना नानी उनुका के का सिखावे पढ़ावेली, बाकिर बबुआ जब जब लवटोला तब तब ओकरा लगे एक से एक नायाब सलाह होला बाकिर ओह पर कवनो जानकारी ना होखे. नानिओ के मालूम बा कि नतिया कुलबोरने ह.
सर्वदलीय बइठक से अउर कुछ होखी भा ना, अतना सुभीता त होइए जाई कि बाद में ई लोग दावा कर सकी कि जवन बढ़िया भइल तवना का पीछे उनुकरे सलाह रहुवे आ जवन खराब भइल तवन एह चलते कि सरकार उनुकर सलाह ना मनलसि.

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