एह देश के दुर्भाग्य के हालत ई हो गइल बा कि एगो जज के कहे के पड़त बा कि “हम आजुओ अपना छोटहन कार से चलीलें. हमरा खातिर कवनो सुरक्षा नइखे आ हम एगो आम आदमी का तरह जियल चाहत बानी. ई बड़का लोगन के मामिला बा. हमार त जान सूखल बा. हम अपनहीं ओह वकील का खिलाफ अवमानना के मुकदाम शुरु कर सकत रहीं. बाकिर तब हम अपना के जज, जूरी, भुक्तभोगी, आ गवाह सब बना लिहले रहतीं. हम अइसनका ना होखे दिहल चाहत रहीं एहसे हम मामिला मुख्य न्यायाधीश के बता दिहनीं. ओकरा बाद ऊ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन का लगे हमार शिकायत भेज दिहलें. ई ओह लोगन के जिम्मेदारी बनत रहे कि एह पर कार्रवाई करतन बाकिर दुनु जने में से केहू ना कइल.”
ई बात मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस आर रघुपति के कहना बा. अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बालाकृष्णन के कहना बा कि मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अपना चिट्ठी में कवनो मंत्री के नाम ना लिखले रहलें आ ऊ ओह चिट्ठी पर कवनो कार्रवाई ना कर सकत रहलें जवन उनका के ना भेजल गइल रहे. जस्टिस रघुपति का पत्र में ए राजा का तरफ साफ इशारा रहे. अब आदमी का सोची ? जवना देश के बड़का न्यायमूर्ति लोग के अइसन आचरण बा ओहिजा साँच झूठ के फैसला के करी ? का ए राजा अतना बड़हन रहलें कि उनका नाम से प्रधानमंत्री से लेके न्यायमूर्ति लोग तक हड़कत रहे ? आ ई ऊ राजा रहलें जवना के मंत्री बनावे खातिर नीरा राडिया के “हु्क्म” रहे. वाह रे देश ! जय हो !
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