– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया”
हो रहल बा भारत निरमान,
गा रहल बा सब केहू गुनगान,
100 में हो गइने 99 बेइमान,
तब्बो आपन देस बहुत महान.
हो रहल बा भारत निरमान.
महँगाई के राज हो गइल बा,
अधिकन के त भागि खुलि गइल बा,
सूना हो गइल बा खेत-खरिहान,
रो रहल बा मजदूर-किसान.
हो रहल बा भारत निरमान.
दाल-रोटी अब सपना हो गइल,
बचपन अउर जवानी खो गइल,
इस्कूल, मंदिर अब बनल दुकान,
पिस रहल बा आम इंसान.
हो रहल बा भारत निरमान.
केतने घर में अब फाँका कटे,
रासन के समान कागज पर बँटे,
कसाब, अफजल खाँय मेवा-पकवान,
भूख से मर रहल गँवई हिंदुस्तान.
हो रहल बा भारत निरमान.
भस्टाचार न फेल होई अब,
बाबा अन्ना के जेल होई अब,
भारत सरकार तूँ बहुत महान,
ए ही तरे करS भारत कल्यान.
हो रहल बा भारत निरमान.
हिंदी अधिकारी
सीडैक
दाल-रोटी अब सपना हो गइल,
बचपन अउर जवानी खो गइल,
इस्कूल, मंदिर अब बनल दुकान,
पिस रहल बा आम इंसान.
“फिर भी हमार देश महान”.
बहुत बढ़िया रचना बा प्रभाकर जी .
ओ.पी.अमृतांशु
bahut badhia
bahute nik lagal h. Aur baat me dam ba.
भस्टाचार न फेल होई अब,
बाबा अन्ना के जेल होई अब,
भारत सरकार तूँ बहुत महान,
ए ही तरे करS भारत कल्यान.
हो रहल बा भारत निरमान.
bahut sundanr, sadhuvad
santosh
prabhakar ji,
bahut badhiya rachana ba.
देख तिरंगा झंडा के हमरा देश के शान !
आजादी पावे खातीर केतने दिहले जान !
अठारह सौ संतावन दरद भरी कहानी !
सब मिल के लडल एकजुट हिन्दुस्तानी !
सब जान दे दिहले पावे खातिर आजादी !
अंग्रेज चाहत रहें हरदम बरबादी !
जलिया वाला बाग़ के सब लोग करे याद !
बरबरता में केतने भयीले बरबाद !
केतने सोहागिन के सेनुरा भी धोवाईल !
तबो अंगरेजन के दया तक ना आईल !
केतना बलिदान से भईल देश आज़ाद !
तब जा के इ भारत देश भईल आज़ाद !
झंडा कबहू झुके ना आयीं कसम खाईं जा !
आयीं तिरंगा झंडा के खुशी से फहराईं जा !
आयीं पंद्रह अगस्त खुशी से मनाईं जा !
आज़ादी के खुशी में मिल झंडा लहराईं जा !
श्याम नारायण वर्मा
bharat nirman main beimani ke rog lag gail baa.,,.baba anna hajaare aeesan
doctar se jabale ekar ilaaj na karawal jaai , tabale ab aapan desh nirmaan ke
path par aage naa badh paayi.
bahut achchha kawita baa.