अंजोरिया के बाइस बरीस
22-years-of-anjoria-dotcom
बाइस बरीस कम ना होला. एगो कहाउत हऽ बाइस करम हो गइल. माने कि केहू के दुर्दशा हो जाव त कहल जा सकेला कि ओकर बाइसो करम हो गइल. बाकिर आजु का कृत्रिम विद्वता के जमाना में जब इहे सवाल कइनी त जवाब मिलल कि –
“बाइस करम हो गइल” का मतलब है “22 कैरेट हो गया”। इसका उपयोग सोने की शुद्धता के संदर्भ में किया जाता है, जहां 22 कैरेट का मतलब है कि सोने में 22 भाग शुद्ध सोना है और 2 भाग अन्य धातुएं हैं. 22 कैरेट सोना 91.67% शुद्ध होता है.
बाकिर एकरा साथही एगो सफाई लिखल मिलल कि – “एआई से मिले जवाबों में गलतियां हो सकती हैं. ज़्यादा जानें”
अब ज्यादा जनला के कवनो जरुरत हमरा ना लागल से आगा ना पूछनी. बाकिर दुनिया में भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट अंजोरिया डॉटकॉम (ANJORIA.COM) के सफर आसान ना रहल. काहें कि तब ना त देवनागरी के फॉण्ट सहज-सुलभ रहल, ना यूनीकोड के आविष्कार भइल रहल. देवनागरी में जवन वेबसाइट रहली सँ तवन सगरी आपन आपन फॉण्ट मुहैया करावत रहली सँ. काहें कि अगर रउरा कम्पूटर पर ऊ फॉण्ट ना होखे त रउरा ओकरा के पढ़िये ना सकत रहीं. अब हमरा लगे ना त ओतना पइसा रहल ना साधन कि हमहूं फॉण्ट उपलब्ध करा दीं. त ओकर एगो जोगाड़ लगवनी कि राजस्थान पत्रिका के फॉण्ट के इस्तेमाल कर लीं आ अपना पाठको लोग से कहीं कि ओह फॉण्ट के डाउन लोडकर लीं सभे. एगो दोस्त के इन्टरनेट कैफे रहल. दस रुपिया घंटा पर ओकर उपयोग करि के अंजोरिया के शुरुआत कइनी.
अब 19 July 2003 का दिने वेबसाइट के नाम पंजीकृत हो गइल, होस्टिंग खरीदा गइल बाकिर सामग्री केने से जुटावल जाव. बलिया में तब हम नया नया आइल रहीं. से बहुते लोग से जानोपहचान ना रहुवे. एक दिन एगो मैगजिन आ अखबार बेचे वाला के दुकान पर भोजपुरी के दू गो पत्रिका देखे के मिलल. पहिला रहल भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका पाती. आ दुसरका के नाम आजु इयाद नइखे पड़त. काहे कि तब पहिले ओकरे संपादक से संपर्क करे के मौका मिल गइल रहुवे. डॉ. राजेन्द्र भारती ओकर संपादक रहलन. पत्रिका में प्रकाशित सामग्री उनुका सौजन्य से हमरा मिल जाइल करे जवना के हम टाइप क क के अंजोरिया पर डालत रहनी. तब ना त व्हाट्सअप के प्रचलन रहुवे ना लोग का लगे स्मार्ट फोन रहुवे जवना पर देवनागरी में कुछ लिखा सको. दू चार बेर भेंट निहोरा कइला का बाद भारती जी कुछ लिख दीहल करीं सम्पादकीय के नाम पर. एहसे बेसी कवनो सहजोग ना रहुवे भारती जी के. ना त काम में ना दाम में. बाकिर तबहियों अंजोरिया के संस्थापक संपादक का रुप में हम हमेशा उनुकर सम्मान कइनी, आजुओ करेनी. बाकिर एक दिन एगो लेख में हम उनुकर नाम डालल भुला गइनी त पूरा आसमान फाड़ दिहनी भारती जी. उनुका संपर्क में रहे वाला अनेके फेसबुकिया लोग फेसबुक पर पोस्ट आ कमेंट डाले लागल. ओह लोग के दावा बा रहल कि अंजोरिया के जनमदाता रहलन भारती जी. तब जबकि ओह जमाना में उहाँ के जानतो ना रहनी कि वेबसाइट कइसन होखेला, कइसे बनावल चलावल जाला. खैर. कवनो लइका के पहचान ओकरा माई से बेसी ओकरा धाय से हो जाला अगर माई दूध ना पिया सकत होखे भा ओह लइका के पालन ना कर सकत होखे. बाकिर ऊ धाय के लइका मान लीहल जाई अइसनो ना होखे. कृष्ण भगवान के जनमते यशोदा के दे दीहलें वासुदेव काहे कि माई देवकी तब जेल में रहली. जमाना में भगवान कृष्ण के यशोदा के लाल जरुर कहाइल बाकिर रहलन ऊ देवकीनन्दने.
त अंजोरिया के आजु बाइसवां जनमदिन हवे. माई के त इयाद बा, का धाइयो के इयाद बा? बाँझ का जनिहें परसवती के पीड़ा. एकरा शुरुआत से लेके एकरा संचालन में हमार बाइसो करम हो गइल. बाकिर तबो संतोष बा कि आजु एकर बाइसवाँ जनमदिन देखे के सौभाग्य मिल गइल हमरा. ना त भोजपुरी के पता ना कतना वेबसाइट अइली सँ आ गँवे गँवे गुमनामी के अन्हरिया में समात चल गइली सँ. महुआ टीवी आ भोजपुरिया डॉटकॉम के नाम ना लीहल जाव त भोजपुरी के पूरा इतिहास ना लिखा सके. आजु ना त भोजपुरिया डॉटकॉम जिन्दा बा ना महुआ टीवी चैनल. बाकिर अंजोरिया आजुओ ले जिन्दा बिया.
जब ले हमरा लगे संसाधन रहल तबले एकर खरचा पानी चलावल निकालल ना अखरत रहुवे. बाकिर जब जांगर थाके लागल आ आर्थिक भार बरदाश्त से बाहर बुझाए लागल तब निहोरा कइनी कि भोजपुरी से प्रेम राखे वाला लोग कुछ आर्थिक सहजोग मुहैया करे. बाकिर अंजोरिया के भामाशाह मुट्ठी भर से बेसी ना निकललें. आखिर में हम एलान कर दिहनी कि अब अंजोरिया के प्रकाशन बन्द करे जा रहल बानी. समस्या ई रहल कि वर्डप्रेस वाला हिस्सा के सहेजल त आसान रहुवे बाकिर साल 2010 के पहिले के सामग्री चूंकि हम एचटीएमएल कोड में बिना कवनो कोड एडिटर के करत रहनी ओकरा के बचावल आसान ना रहल. एह चलते हम एगो ब्लॉग anjoria.blogspot.com शुरु कर दिहनी पर ओह पर पुरनका अंजोरिया के सामग्री डालत बानी. पूरा सामग्री डालल त एह छोट बाचल जिनिगी में संभव नइखे से ओहमें से साहित्य वाला हिस्सा डालत बानी. फिलिमन आ खबरन से जुड़ल हिस्सा सामयिक ना रहला का चलते महटिया दिहनी.
आजु अगर अंजोरिया रउरा पढ़त बानी त एकर श्रेय एकर एगो भामाशाह के बा जे नइखे चाहत कि उनुकर नाम बतावल जाव. उनुकर योगदान के हेठी ना होखे से हमहूं उनुकर निर्देश मान लिहले बानी. त ई भामाशाह अंजोरिया के होस्टिंग उपलब्ध करवले बाड़न आ उनुके सहजोग का चलते आजु अंजोरिया डॉटकॉम अपना तेइसवां बरीस मे डेग रखे जात बिया.
ई महज एगो संजोगे बा कि भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती के संपादक आ प्रकाशक डॉ अशोक द्विवेदी जी के जनमदिनो आजुवे पड़ेला. द्विवेदी जी अंजोरिया के जतना पुरहर सहजोग कइले बानी ओकर प्रतिदान ना कइल जा सके. द्विवेदी जी के जनमदिन पर उनुकर सादर अभिनन्दन आ भगवान से प्रार्थना कि उहां के आशीर्वाद लमहर दिन ले बनल रहो. कम से कम हमरा जिनिगी भर त जरुरे.
पता ना अगिला जनमदिन पर अंजोरिया पर कुछ लिखे के मौका मिली कि ना. बाकिर आजु रउरा सभे से निहोरा बा कि भोजपुरी से आपन नाता बनवले राखीं. आ अब त कृत्रिमो विद्वता भोजपुरी में ओतने सहज भाव से लिखे बतावे लागल बा. बाकिर सबकुछ ओकरे पर छोड़ दीहल जाव इहो ठीक ना रही. अगर रउरा भोजपुरी मे कुछ लिखत बानी त अंजोरिया के ओकर माध्यम बनावे के कृपा करत रहीं. वइसे भोजपुरी लिखनिहार फेसबुक पर चाहे जतना उपलब्ध हो जासु अंजोरिया के ओह लायक ना समुझसि कि एकरा ला सामग्री पठावल जाव. ओहू लोग के अभिनन्दन बा. भोजपुरी के बनवले राखे में सभकर सहजोग महत्वपूर्ण बा. हम त गिलहरिओ भर जोगदान नइखीं दे पावत.
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