हालही में गोरखपुर ‘भोजपुरी संगम’ अपना संस्थापक स्व. सत्यनारायण मिश्र ‘सत्तन’ जी के पुण्य स्मृति में ‘सत्तन सम्मान समारोह – 2023’ के सफल आयोजन गोरखपुर के प्रेस क्लब सभागार में कइलसि. अध्यक्षता प्रो.अनंत मिश्र आ संचालन डॉ.फूल चन्द प्रसाद गुप्त कइलन.
एह समारोह में एह साल के सत्तन सम्मान- 2023 भोजपुरी के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर सूर्यदेव पाठक ‘पराग’ के दीहल गइल. प्रशस्तिपत्र पढ़ के सुनावत डॉ.ब्रजेन्द्र नारायण ‘पराग’ जी के साहित्यिक अवदान से अवगत करवलन. संयोजक कुमार अभिनीत स्व. सत्तन जी के चर्चित रचना ‘का हो कइसे’ के सस्वर पाठ कइलन.
कवि सौदागर सिंह स्व.सत्तन के आरन श्रद्धांजलि गीत अर्पित कइलन –
“सून बाटे घरवा – अँगनवाँ
सत्तन जी सपनवा भइलें हो राम”
डा.जयप्रकाश नायक अपना गीत से स्व. सत्तन के स्मृति के नमन कइलन –
“मउति न उहवाँ पहुंची जहवाँ तूँ चलि गइलऽ सत्तन भाई”
स्व.सत्तन के स्मृति सुनावत प्रो. विमलेश मिश्र उहें के रचना ‘दुनिया’ के धुरी बना के समय के सचाई बतवलन –
“टकटोरले पर ई लागल, खाली-खाली दुनिया”
प्रो. रामदरश राय स्व.सत्तन के आपन प्रेरणा गुरु बतावत उहाँ के निष्काम विनम्रता अउर भोजपुरी निष्ठा के नमन करत कहलन कि उहाँके समय के गति देखत बोलचाल में भोजपुरी पर जोर देबे के बाति कहत रहनी.
प्रो० चित्तरंजन मिश्र ‘पराग’ जी के भोजपुरी के थाती बतावत कहलन कि एह अवसर पर उनुकर सम्मान स्व.सत्तन के दीहल साच श्रद्धांजलि बावे, साथही ‘सत्तन’ के कृति ‘का हो! कइसे’ पर सभका से समीक्षकीय टिप्पणिओ करे के गोहार कइलन आ उनुकर संकलन प्रकाशित करे के सुझाव दीहलन.
डा० वेद प्रकाश पाण्डेय पराग के मंगलमय व्यक्तित्व के सराहत कहलन कि ऊ जतने श्रेष्ठ मनई हईं ओहू से श्रेष्ठ कवि आ ओकरो ले श्रेष्ठ आचार्य हईं.
डॉ.आद्या प्रसाद द्विवेदी स्व. सत्तन अउर श्री ‘पराग’ के ना भुलाएजोग व्यक्तित्व पर विस्तार से बतियवलन आ सम्मान समारोह कइला के सरहलन.
डा.रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’ कहलन कि भोजपुरी आधिकाधिक रूप में बोलेचाल का परम्परा में विद्यमान बिया. एहिसे मंच के माध्यम बनावत भोजपुरी साहित्य के बेवहेर में ले आवे के कोशिश होत रहले. एह दिसाईं स्व० सत्तन के योगदान बहुते खास रहल बा.
अपना सम्मान पर आभार जतावत सम्मानित कवि सूर्यदेव पाठक ‘पराग’ कहनी कि स्व.सत्तन काँटन से घेराइल गुलाब जइसन रहनी आ खुशी के बाति बा कि अपना निष्ठावान बेटन का रुप में पुनर्जीवित बानी.
अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रो०अनन्त मिश्र कहनी कि ‘सत्तन’ जी जइसे-तइसे जीवन जीए वाला एह व्यापक समाज के खास कवि रहनी. उहाँके मात्र भोजपुरी का दृष्टि से देखल पर्याप्त ना होई. भोजपुरी अउर हिन्दी, दुनु उहाँ के मंगलमय उपस्थिति बावे. अपना संक्षिप्त जीवन आ लेखन का माध्यम से सत्तनजी भोजपुरी साहित्य के एगो बड़हन आकार देबे के सफल प्रयास कइले रहीं.
आभार ज्ञापन इं.राजेश्वर सिंह कइलन.
एह अवसर पर चन्देश्वर ‘परवाना’, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, सृजन गोरखपुरी, भरत शर्मा, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, नर्वदेश्वर सिंह, वीरेन्द्र मिश्र ‘दीपक’, वागीश्वरी मिश्र, अवधेश ‘नन्द’, ओम प्रकाश पाण्डेय ‘आचार्य’, प्रेम नाथ मिश्र, सत्यशील त्रिपाठी, केतन यादव, सुमन मिश्र, अखिलेश्वर मिश्र, जगदीश खेतान, हरि प्रसाद सिंह, अरविन्द ‘अकेला’, प्रभाकर नाथ द्विवेदी, डा. अंगद कुमार सिंह, भीम प्रजापति, डा. अजय अंजान, चन्द्रगुप्त वर्मा ‘अकिंचन’, शशि विन्दु नारायण मिश्र, राम समुझ सांवरा, रामनरेश शर्मा ‘शिक्षक’ सहित सौ से अधिका लोगन के सहभागिता रहल.
कार्यक्रम के व्यवस्था में विनीत मिश्र, कुन्दन लाल निगम, अमरेन्द्र कुमार मिश्र, दिनेश दूबे, संजय, कार्तिक, कुशाग्र वगैरह के विशेष सहयोग रहल.
सृजन गोरखपुरी (मीडिया प्रभारी) के रपट
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