नया दिखाने का साहस “लागी नाही छूटे रामा”

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निर्देशक जगदीश शर्मा अपनी फिल्मों में किरदारों को गढ़ते समय इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि उन्हे दर्शकों के बीच प्रतिष्ठा और सम्मान भी मिले. उनकी फिल्मों के नायक और नायिका जहां अपने किरदारों में भेद नहीं करते वहीं खल किरदार बच्चों के साथ फिल्म देखते समय झेंप या शर्म नहीं महसुस होने देते हैं. निर्माता निर्देशक जगदीश शर्मा की नयी भोजपुरी फिल्म ‘लागी नाही छुटे रामा’ में भी जगदीश शर्मा ने काफी कुछ नया दिखाने का साहस किया है जो भोजपुरी सिनेमा के निर्धारित फ्रेम से काफी कुछ अलग है.

फिल्म के गानो में आपको सही स्टेप्स देखने को मिलेंगे और भावपूर्ण दृश्यो में आपको कच्चापन की छलक नहीं देखने को मिलेगी. जगदीश शर्मा को अपनी फिल्म में भव्यता पसंद है और उन्हे उल्लेखनीय कामों के लिये ही जाना भी जाता है. उन्होने पुरानी फिल्म का मुखड़ा लेकर नया भाव जोड़ा है और दर्शकों के बीच लेकर आ रहे हैं ‘लागी नाही छूटे रामा’ गीत संगीत में भी नया प्रयोग किया है और फिल्म देखने के बाद आपभी कहेंगे कि इसकी पैकेंजिंग ही आपको थियेटर तक खींच लायी है. जगदीश शर्मा ने स्क्रीप्ट के रसूख को बचाते हुये किरदारो को आकर्षक तरीके से दिखाया है और उन्हे कास्ट्यूम भी काफी सोच समझ कर दिया है.


(शशिकांत सिंह)

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