बिहार मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण

बिहार मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण

सम्पादकीय

Special Intensive Revision (SIR) of Bihar Voter list

बिहार विधानसभा के चुनाव एह साल 2025 का आखिर में होखे जा रहल बा आ एह चुनाव से तकरीबन ऐन पहिले चुनाव आयोग एलान कर दिहलसि कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कइल जाई आ ओकरा बादे से ई मुद्दा बड़हन राजनीतिक बहस के हिस्सा बन गइल बा. हर बात पर सुप्रीम कोर्ट के केंवाड़ी ठकठकावे वाला लोग एकरो शिकायत ले के सुप्रीम कोर्ट चहुँप गइल बा. बरीसन से अटकल अनेके मुकदमन के निस्तारण करे के समय देश के सुप्रीम कोर्ट, अगर सुप्रीमो कहल जाव त बेसी सही होखी, का लगे एह तरह के मुकदमन खातिर हमेशा समय रहेला.

संविधान के मनमाना व्याख्या क के अपना ला सुप्रीम अधिकार हासिल कर चुकल सुप्रीम कोर्ट अजबे गजबे सुझावो देबे से परहेज ना करे. बेंच के दू गो न्यायाधीशन, रेघरियावल बेजरुत बा कि एह लोग के हम न्यायाधीश काहें कहीलें न्यायमूर्ति काहे ना, के सुझाव रहल कि काहे ना आधार कार्ड के एगो प्रमाण मान लीहल जाव मतदाता सूची मे नाम जोड़वावे खातिर! अब एह अजब-गजब सुझाव के देबे वाला ई ना देखलन कि आधार कार्ड का संगही आवे वाला जानकारी के पहिलके लाइन होला कि आधार कार्ड महज पहचान पत्र हऽ, नागरिकता के प्रमाणपत्र ना हवे. आ अगर ई नागरिकता के प्रमाणपत्र ना हवे त एकरा आधार पर केहू के मतदाता कइसे बनावल जा सकेला !

भारत के संवैधानिक व्यवस्था का अनुसार उहे मतदाता हो सकेला जे भारत के नागरिक होखो, उमिर 18 बरीस से पार होखो, आ मतदान वाला इलाका के सहज नागरिक होखो. अपना पिछला लेख में लिख चुकल बानी कि निर्वाचन आयोग के विचार का होला एह विषय पर.

आजु एह आलेख में हम चरचा करे जात बानी कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) काहे जरूरी बनल, विपक्षी दल काहे विरोध में बाड़ें, आ फर्जी पहचान के खतरा से कइसे बचल जा सकेला?

लोकतंत्र के बुनियाद मतदाता होलें. आ मतदाता सूची के सही आ अद्यतन बनवले राखल एकर पहिलका शर्त होला. ई काम हर साल सामान्य रूप से त होत रहेला, बाकिर जब बड़हन संख्या में गड़बड़ी के संदेह होखे – मसलन फर्जी मतदाता, दोहराव, मृतक लोग के नाम, भा गलत पहचान के दस्तावेज – तब चुनाव आयोग एगो विशेष प्रक्रिया अपनावेला, जवना के कहल जाला Special Intensive Revision (SIR).

Special Intensive Revision के जरूरत काहे पड़ल?

पिछला कुछ साल में डिजिटल पहचान आ घुसपैठियन के बड़हन आवक का साथही चुनावी राजनीति में बढ़त स्पर्धा का चलते का चलते मतदाता सूची में गड़बड़ी के आशंका भा आरोप बहुते बढ़ गइल बा. नेता विपक्ष राहुल गाँधी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का दौरान मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगावते रहेलन.

फर्जी दस्तावेज का सहारे आ राजनीतिक रसूख का सहारे अपना देश में कवनो प्रमाणपत्र बनवावल बहुते आसान हो जाला. आ जब एकरा साथे सुविधा शुल्क के ताकत लगा दीहल जाव त काम अतना तेजी से सरके बनेला कि चिहाए पड़ जाला. कुछ राजनीतिक गोलन के विशेष कार्ययोजना होला कि अइसनका नाजायज लोगन के कतना तेजी से आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जइसन दस्तावेज बनवा दीहल जाव आ ओकरा बाद मतदाता सूची मे नामो चढ़वा दीहल जाव. आजु चुनाव आयोग से जुड़ल संपर्कन का तरफ से दीहल जात जानकारी बतावत बा कि बिहार में ई फर्जीवाड़ा कतना बड़हन पैमाना पर कइल गइल बा. नेपाली, बांगलादेशी, आ रोहंगियन के नाम भरल बा कई गो पता पर. विरोधी दलन के अनेसा बा कि अइसनका कैप्टिव मतदाता के नाम अगर हटा दीहल गइल त ओकर त जीतले मुश्किल बन जाई.

दोसर समस्या बावे कि एकही आदमी के नाम देश का कई जगहन पर, आ राज्ये में गाँवो में बा आ शहरो में. जबकि नियम साफ कहेला कि एक आदमी एकही जगहा से मतदाता बन सकेला आ ओही इलाका में जहाँ ऊ अमूमन रहत होखो. चुनाव आयोग ओहू लोग के खयाल राखे ला जेकरा लगे कवनो छत नइखे आ रात कवनो सड़क का किनारे बितावेला. चुनाव आयोग के कहना बा कि अइसनो लोग आपन नाम मतदाता सूची मे जोड़वा सकेला बशर्ते बूथ लेवल वर्कर, बीएलडब्लू, एकर तसदीक कर देव. बाकिर एके आदमी के नाम एक जगहा से बेसी का मतदाता सूची में ना हो सके. एह विशेष गहन पुनरीक्षण से चुनाव आयोग के कोशिश बा कि एकरा के ठीक कर लीहल जाव.

चुनाव में मृतको मतदाता का नाम पर फर्जी वोट डलवा लीहल जाला काहें कि ओह मृतक के नाम मतदाता सूची से समय समय पर हटावल ना जाव.

माइग्रेशन (पलायन) आ शहरीकरण का चलते बहुते बिहारी आपन गाँव छोड़ कवनो दोसरा शहर में भा राज्य में रोजी रोजगार करे निकल जालें आ ओहिजो के मतदाता बन जालें. अब अइसन प्रवासी लोगन ला दिक्कत त होखहीं वाला बा.

एही सब कारणन से चुनाव आयोग 2025 में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण करवा रहल बावे. एह में बूथ लेवल वर्कर घरे घरे जा के फॉर्म 6, 7, 8 बाँटत बाड़े, जमा लेत बाड़ें आ दस्तावेजन के सत्यापन करावल जा रहल बा.

सवाल उठत बा कि विपक्षी विरोध में काहे बाड़ें?

कई विपक्षी दल चुनाव आयोग के एह प्रक्रिया पर सवाल उठावत बाड़ें, आ एकर कुछ ठोस कारण बा :

राजनीतिक इस्तेमाल के डर : विपक्ष के डर बा कि एह प्रक्रिया का सहारे एगो खास समुदाय के नाम काटल जा सकेला. अब चूंकि ई लोग खुल के ओह खास समुदाय के नाम नइखे ले सकत त पिछड़ा जाति भा अनुसूचित जाति जनजाति वालन के नाम काटे के आरोप लगावत बाड़ें.

डेटा सिक्योरिटी के मुद्दा : गुड़ खाए गुलगुला से परहेज करे का स्टाइल में ई विरोधी गोल चाहत त बाड़ें कि आधार कार्ड, राशन कार्ड, मोबाइल नंबर, वोटर आई डी के प्रमाण मान लिआव बाकिर एह ला तइयान नइखन कि वोटर कार्ड के आधार, मोबाइल से जोड़ दीहल जाव. एह लोग के कहना बा कि ओहसे निजता के उल्लंघन होखी.

राजनीतिक संतुलन बिगड़े के डर : विरोधियन के इहो लागत बा कि अगर अइसन फर्जी मतदातन के नाम कटा गइल त ओकर वोट बैंक में पलीता लाग जाई.

इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीन पर विरोध करत आइल विरोधियन का मन में चुनावी प्रक्रिया पर त पहिलहीं से अविश्वास बा. अब वोटर लिस्ट में कवनो सुधार आ संशोधनो के ऊ एही चश्मा से देख रहल बाड़ें.

फर्जी दस्तावेज के रोकथाम – अब का कइल जाव?

मान लीं कि बिहार मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से फर्जी मतदातन के नाम त हट जाई बाकिर आगे चलि के फेर एह तरह के प्रयास ना होखे एकरा ला कुछ उपाय हमरा विचार में कइल ठीक रही.

डिजिटल वेरिफिकेशन सख्त कइल जाव. आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर ID – सब में एगो साझा प्लेटफॉर्म बने जे फर्जी दस्तावेज के पहचान क सके. साथही अबकी का पुनरीक्षण में कुछ नमूना केस ले के ओह मनई का साथही ओकरा ला फर्जी दस्तावेज बनावे वाला कर्मचारियन आ पदाधिकारियन पर आपराधिक मुकदमा चलावल जाव जेहसे भविष्य में एह तरह के काम करे से पहिले सरकारी कर्मचारी भा पदाधिकारी हजार बेर सोचसु.

बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन :  वोटिंग टाइम पर भा मतदाता पंजीकरण का बेरा चेहरा, फिंगरप्रिंट, पुतली वेरिफिकेशन के जरुरी बना दीहल जाव.

मतदाता पोर्टल पर पारदर्शिता :  हर नागरिक आपन वोटर रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन देख सको, शिकायत दर्ज करा सको, आ ट्रैक कर सको एकर पारदर्शी आ सहज व्यवस्था होखे के चाहीं. अबहीं त हाल ई बा कि कई महीना पहिले अपना वोटर हेल्पलाइन एप पर आवेदन कइला का बादो अबहीं ले ना त कवनो संवाद आइल बा, ना बूथ लेवल वर्कर हमरा आवेदन के सत्यापन करे आइल बाड़न.

स्थानीय स्तर पर निगरानी समिति :  हर पंचायत, वार्ड आ मोहल्ला में एगो नागरिक समिति होखे के चाहीँ जवना में इलका के गणमान्य लोगन का साथही राजनीतिक दलन के प्रतिनिधियनो के शामिल कइल जाव. ई समिति अपना इलाका के वोटर लिस्ट का सत्यता पर निगरानी राखो. अइसन ना होखो कि हरला का बाद अछरंग लगावल शुरु कर दीहल जाव कि हमरा इलाका में एहतरह के फर्जीवाड़ा कर के हमरा के हरवावल गइल बा. पप्पू भा टप्पू तब का करत रहलें जब मतदाता सूची मे सुधार करे के समय रहुवे!

विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) एगो जरूरी प्रक्रिया हवे आ एकर स्वागत होखे के चाहीं. बाकिर साथही साथ विपक्ष के अनेसो के दूर करे के कोशिश होखे, विपक्षो के सहभागिता सुनिश्चित करावल जाव.

Anjoria.com के निहोरा बा कि सभे नागरिक मतदाता सूची में आपन नाम जांचीं, बदलाव जरुरी होखे त ओकरा के करवाईं आ लोकतंत्र के मजबूती में आपन भूमिका निबाहीं.

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