घोड़ा अड़ल काहे

 

– अंजोरिया डेस्क

#शेयर बाजार #चरचा भोजपुरी में #बुझऊवल #बतकुच्चन

घोड़ा अड़ल काहे
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बहुत पहिले से ई बुझऊवल सुनत आइल बानी –
रोटी जरल काहे?
पान सड़ल काहे?
बेटा बिगड़ल काहे? आ
घोड़ा अड़ल काहे?

आ पूछे वाला बतावल करे कि चारो सवालन के जबाब एकही होखे के चाहीं.

सही जबाब होखल करे – समय रहते फेरल ना गइल.

बुझऊवल भा क्विज (quiz) के मकसद होला सहज बुद्धि (common sense) के विकास. आ हर भाषा में, हर इलाका में एह तरह के बुझऊवल बुझावल जात रहेला. बाकिर आजु बतकुच्चन नइखे करे के, मथकुच्चन करे के बा.

रउरो जानत बानी कि अब अचानके ई मथैला ले के त आइल ना होखब हम. ई त भूमिका बन्हात बा असली मुद्दा पर आवे के. बाकिर एगो अउर बुझउवल पूछे खातिर मन बेचैन हो गइल बा कि –

बाजार से लवटत एगो आदमी के उमिर का हवे?
ओकरा संगे जवन बच्ची बिया तवन उनुकर के हवे?

झोरा मे बाजार से कतना के सामान खरीद के आवत बाड़न बुढ़ऊ?

एह सवाल के जबाब हम ना देब. रउरा दे सकीं त नीचे कमेंट बॉक्स में लिख दीं.

जब एह मथैला का साथे शुरु करे चलनी त सोचनी कि एकर मथैला अंगरेजी में का बनाई. वाक्य के साधारण अनुवाद कामे ना आई त सोचनी कि काहे ना सीधे लिख दीं – share-market-discussion-in-bhojpuri. आ उहे कएबो कइनी. आईं अब चलल जाव असली विषय पर.

शेयर बाजार के चरचा भोजपुरी में करत घरी हमार कोशिश इहो रहेला कि भोजपुरी के कुछ कहावतन के इस्तेमाल करत रहीं. अगर रउरा चाहत बानी कि शेयर बाजार ले के भइल चरचन के पढ़ीं त अंजोरिया पर शेयर बाजार पर चल जाईं. बहुते तरह के चरचा आ ओही बहाने भोजपुरी कहावतो पढ़े के मिल जाई. एक तरह से हमार कोशिश रहेला कि कड़ुआ दवाई के एगो चासनी में लपेट के परोसल करीं. आ भोजपुरी कहावतन के इस्तेमाल ओही खातिर करीलें.

रउरो सोचत होखब कि अतना देरे से भूमिके बान्हे में लागल बानी. बाकिर असल कारण रहल शेयर बाजार में आजु के गिरावट. वइसे शेयर बाजार के एकही सूत्र वाक्य होला – कुछऊ हो सकेला! Anything can happen. आ रउआ सोचत रह जाएब कि अरबा ज्यों का त्यों तो कुनबा डूबा क्यों?

आ शेयर बाजार के चरचा करे वाला जानकार बाजार गिरला भा उठला के अनेके कारण गिना सकेलें. आजु ट्रम्प के कवनो बयान ना आइल, आजु वित्त मंत्री के बयान आ गइल, चुनाव परिणाम मन माफिक ना आइल, कच्चा तेल के दाम बढ़ भा घट गइल. बाकिर कई बेर अइसनो हो जाला कि उहो लोग माथ खजुआवे लागेला. ओहू लोग के ना बुझाव त कह देला कि पता ना काहे आजु बाजार बिना कारण गिर गइल/उड़ गइल. शायद ऊ आपन पेंदी/शिखर खोज रहल बा. कवना खोतवा में लुकइलू आह रे बालम चिरई?

एने चार पांच दिन से बाजार लगातार उठ के भा गिर के बन्द होत रहुवे से ओकरे करेक्शन आजु हो गइल. बाजार में एक दू प्रतिशत के गिरावट भा उछाल करेक्शन का नाम पर निपटा दीहल जाला. मंदी खातिर 20 प्रतिशत के गिरावट आ तेजी खातिर 20 प्रतिशत के उछाल के एगो काल्पनिक पैमाना बना लीहल गइल बा. अब बड़ बड़ जने दहाइल जासु आ गदहा पूछे कतना पानी! हम ना त शेयर बाजार विश्लेषक हईं ना सलाहकार. जवन भुगतीलें तवने सुनावत बतावत रहीलें. अब ई सब चरचा रउरा सभे का कामे आवे भा ना, एकरा से हमरा कवनो मतलब ना होखे. एक त हम कबो कवनो शेयर विशेष के खरीदे बेचे के सलाह ना दीं दोसरे अगर हम बतावहूं चलीं त रउरे पूछ देब – ए छूंछा तोहसे के पूछा!

बाकिर शेयर बाजार में सौदा करत घरी हमेशा इयाद राखे के चाहीं कि एहिजा कुछऊ हो सकेला. राउर सगरी आँकड़ा बेकार साबित हो जाई. सगरी रणनीति कवनो कामे ना आई. काम आई त बस इहे बात कि शेयर बाजार में कुछऊ हो सकेला. आ फेर श्रीमद्भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण के संदेश से एगो पंक्ति उठा के कहल जा सकेला कि –
कर्मण्ये वाधिकारस्तु मा फलेषु कदाचन् ।

रउरा त बस सौदा करीं, आपन बेंवत देख के, आपन जमा पूंजी बचाके, बाकिर नफा नुकसान के फिकिर मत करीं. ऊ त बाजार पर बावे कि रउऱा लाभ में रहब कि नुकसान में. रउऱा बस अपना औकात में रहल सीख लीं. स्टॉपलॉस के उपयोग करत रहीं. ना त झोरो उठावे के जरुरत ना पड़ी. झोरा त बाजारे रखवा ली.

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  1. Editor

    नवासी

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