बूढ़वा सनक गइल बा
– टीम अंजोरिया
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मथैला पढ़ला आ साथेे दीहल तस्वीर देखला का बाद कवनो संदेह ना होखी रउरा मन मेें कि हम केकर बात करेे जा रहल बानी. बात हो रहल बा अमेरिका केे मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प केे. दूसरका बेर, आ अमेेरिकी कानून का मजबूरी मेें आखिरी बेर, अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाइल डोनाल्ड ट्रम्प एकदम से सनक गइल बाड़न. आ इहे सोच केे हम मथैैला लगा दिहनी कि बूढ़वा सनक गइल बा.
आ केेहू के सनकला का पाछा कुछ कारण होला. ओकर उमिर, ओकर मानसिक स्वास्थ्य, ओकर लालसा, ओकर हवस, ओकर अतृप्त मनोकामना वगैरह-वगैैरह. अब डोनाल्ड ट्रम्प केे उमिर का बारेे मेें कवनो विवाद होइए ना सके. रहल मानसिक स्वास्थ्य केे त एह बारेे मेें दावा सेे कुछ ना कहल जा सके बाकिर हरकत से अनुमान लगावल जा सकेला. आ ट्रम्प केे हरकत एह बारे मेेेे साफ बतावत बा. आ सबले बड़का कारण हवस, लालसा, भा अतृप्त मनोकामना के कई गो कारण बतावल जा सकेला. एक त नोबल शान्ति पुरस्कार पावे केे आ दोसर अमेरिका के मशहूर स्मारक रशमोर मेमोरियल पर मौजूद अमेरिका केे महान राष्ट्रपतियन का साथेे लउके केे सपना. ट्रम्प के गलतफहमी हो गइल बा कि ऊ अमेरिका केे महानतम राष्ट्रपतियन मेें गिनाए केे योग्यता राखेेलेें.
नोबल पुरस्कार पावेे केे शार्टकट लउकल ट्रम्प केे दुनिया मेें चलत हर युद्ध मेें चउधरियाँव करेे में. दावा कइले रहलन कि रुस आ यूक्रेन के युद्ध त ऊ राष्ट्रपति बनला केे एक दिन का भीतर रोकवा दीहेें. बाकिर ई उनुका औकात के बाहर के बात हो गइल बा. सेे मेहरी के खीस डेहरी पर उतारेे वाला कहावत साँच करे का कोशिश में लाग गइलन आ भारत केे अपना निशाना पर ले लीहलन. उनुका बुझाईल कि शायद उनकर दोस्त कहाए वाला मोदी पाकिस्तान सेे युद्ध रोकवावेे केे मुकुट उनुका माथा पर राख दीहेें. ई भइल ना आ उलुटेेे मोदी सगरी दुनिया के साफ बता दीहलन कि भारत पाक युद्ध विराम में कवनो देश के कवनो नेता केे हाथ ना रहुवे. पाकिस्तान गिड़गिड़ाइल आ भारत ओकरा पर दया कर केे ओकर आगा के पिटाई कइल रोक दीहलसि. सगरी सचाई का बावजूद एह बीच पचासो बेर ट्रम्प एह बात के कह चुकल बाड़न कि भारत पाकिस्तान के युद्ध ऊ रोकवा दीहलन ट्रेेड रोके के धमकी दे केे. आ हालत अइसन बा कि सगरी टैैरिफी कुकर्म कइला का बावजूद भारत पर कवनो असर होखत नइखे लउकत.
पचास प्रतिशत टैरिफ लगवला का बाद एच1 वीसा पर शुल्क आसमान ले बढ़ा दीहलन. पहिलेे अमेेरिका सरकार कहलेे रहल कि हर वीजा खातिर सालाना एक लाख डॉलर देबेे के पड़ी. जब चारो तरफ सेे थूका फजीहत होखे लागल तब सफाई आइल कि ई शुल्क नवीनीकरण पर ना आ हर साल ना लाग केे नयका वीजा पर एकही बेर लगावल जाई. एकरा बादो भारत दबाव में आवत ना लउकल त आजु एलान कर दीहलन कि अगिला हफ्ता 1ली अक्टूबर से भारत से होखे वाला ट्रेेडमार्क दवाईयन के आयात पर सौ फीसदी टैरिफ वसूली अमेरिका. ट्रम्प केे बुझाते नइखे कि एह सब केे बोझा अमेरिकेे का नागरिकन पर पड़े वाला बा. भारत पर इहे असर पड़ी कि ओकरा निर्यात में कुछ कमी आ जाई. जवना के भरपाई ऊ दोसरा देशन के निर्यात कर केेे कर ली.
वइसेे दवाईयन पर लगावल टैरिफ के एगो शार्टकट खुद अमेरिका सरकारे बतला दिहले बिया. करे केे बस अतने होखी कि कंपनी अमेरिका में कवनो जगहा जमीन खरीद के ओहिजा अपना कम्पनी के फेैैक्टरी बनावे केे शुरुआत के बोर्ड लगा देव. कव साल मेें ओकर निर्माण पूरा होखी अबही एकर कवनो सीमा नइखे बन्हले अमेरिका. बाकिर जसहीं भारत केे उद्यमी आपन खुराफाती दिमाग लगावल शुरु कर दिहें ओकरा एकर सीमा बान्हे केे पड़बे केे करी.
अब आई तनी रशमोर मेमोरियल के चरचा कर लीहल जाव. अमेरिका में साउथ डकोटा मेें एक जगहा पाँच गो महान अमेरिकी राष्ट्रपतियन केे चेहरा पहाड़ काट के बनावल गइल बा. हालांकि पाॅचवा चेहरा बन पाइत ओहसे पहिलहीं काम रुक गइल आ चारे गो चेहरा देेखल जा सकेेला ओहिजा. एगो बड़हन कारण शायद ई रहल कि पहाड़ के नजदीकी हिस्सा में बढ़िया पत्थर ना रहल.
एह स्मारक के शिल्पकार Gutzon Borglum के कल्पना रहल कि जॉर्ज वाशिंगटन, थामस जैफरसन, अब्राहम लिंकन, थियोडोर रुजवेेल्ट आ संभवतह वुडरो विल्सन के मूर्ति गढ़ल जाई. हालांकि पांचवा नाम पर विवाद बावेे काहे कि पूरा दावा से कवनो नाँव ना लीहल जा सकेे.
चार गो मूर्तियन के बनावत बनावत काम रोकेे केे पड़ गइल. असल कारण वित्तिय संकट बतावल जाला. बरीस 1927 केे ग्रेेट मंदी का दौरान एह स्मारक केे निर्माण शुरु भइल रहल. 1930 आवत आवत वित्तीय संसाधन के कमी होखे लागल आ बरीस 1941 मेें शिल्पकार बॉर्गलम केे निधन का बाद त हमेशा खातिर रुक गइल. हालांकि कुछ लोग इहो कहेला कि असल कारण ओह ग्रेनाइट के पहाड़ मेें गुणवत्ता केे कमी का चलतेे सही जगह ना मिल पावल.
खैर कारण जवन होखे ट्रम्प के एगो मनोकामना इहो बा कि ओहिजा कवनो तरह से ट्रम्पो के मूर्ति उकेरल जा सके. अब ई सपना सपने रह जाए वाला बा आ नोबल के सपना त टूटिए गइल लागत बा.
आ ट्रम्प के सनकला केे कई कारणन में सेे इहो बा कि अमेरिका करजा मेें डूब गइल बा. सम्मान का चलते खुलेआम भीख त माँग नइखन सकत ट्रम्प से तरह तरह सेे रंगदारी देखा के हफ्ता वसूली करेे मेें लाग गइल बाड़न. अब पता ना केेेहू अइसन बा कि ना जे ट्रम्प के बता सको कि थूक चटला सेे पियास ना बुताव!
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