बहुरा : सत्य आ धर्म का पालन के व्रत

 

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

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आइल भोजपुरिया चिट्ठी

सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-5

बहुरा : सत्य आ धर्म का पालन के व्रत

आजु लभेरन सुरिआइल रहन. भोजपुरी समाज में मेहरारू का तीनों रूप खातिर ब्रत बाटे. कुँआर लइकी खातिर बहुरा, बियहल मेहरारू खातिर तीज आ महतारी खातिर जिउतिया. काकी बोलि उठली- “तीज त पार्वती जी तब कइले रही, जब ऊ कुँआर रही त ई पर्व बियहल मेहरारू खातिर कइसे हो गइल?”
लभेरन कहले- “राउर बात सोरह आना सही बाटे. कहीं-कहीं एह ब्रत के कुँआरो लइकी करेली सन जवना से उहनी के मन लाएक पति मिल सके, बाकिर अइसन बहुत कमे सुने के मिलेला. सर्वाधिक प्रचलित मान्यता त ईहे बा कि अखंड सौभाग्य खातिर सभ स्त्री लोग एह ब्रत के करेली”.

आच्छा, ई बताव कि एह ब्रत के नाँव ‘तीज’ त भादों का अन्हरिया के तृतीया तिथि का चलते परल, बाकिर ‘हरतालिका’ नाँव काहें परल? तनी संक्षेप में तीज ब्रतो का बारे में बतावत चल. लभेरन उचरले- एह ब्रत का नामकरण के कारण “हरितालिका ब्रतकथा” में बतलावल गइल बा– “अलिभिर्हरिता यस्मात्तस्मात्साहरितालिका”. माने भगवान शिवजी पार्वती जी से कहतानी कि तोहरा के दुखी देखि के तोहार सखी सभ तोहराके जंगल में हर ले गइल रही सन, एही से एह ब्रत के नाम हरितालिका परल. तीज के ब्रत निर्जला आ निराहार रहिके कइल जाला. रात में शिव-पार्बती जी के पूजन कइल जाला. कई गो स्त्री मिलिके एक साथ पूजन करेली आ रात भर जगरम करेली. दोसरा दिन अन्न-जल से पारन कइल जाला. एह दिन गोझिया, अनरसा का साथ-साथ तरह-तरह के पकवान आ मिठाइओ चढ़ावल जाला. तीज से एक दिन पहिले के सँझवत के नहा-खा होला, जब नहा-धोके नीमन से शुद्ध भइला का बादे सात्विक खाना खाइल जाला.

“राजा का घर से सखियन द्वारा हरेवाली बात कुछ जमत नइखे. तोहार तुलसी बाबा का कहतारे?” काकी उसकवली.

लभेरन कहले- ठीके कहतारू काकी, गोस्वामी जी के कथा एकरा से अलग बा. ओहमें नारद जी उमा जी का बियाह खातिर जवना वर के भविष्यवाणी करतारे, ओहसे साफ लागता कि उनुकर बियाह शंकरे जी से होई, काहेंसे कि मए लच्छन मिलता. नारद जी कहतारे –
जे जे बर के दोष बखाने. ते सब सिव पहिं मैं अनुमाने॥
जौं बिबाहु संकर सन होई. दोषउ गुन सम कह सबु कोई॥

माता-पिता का इच्छा से पार्वती जी जंगल में जातरी आ कठिन तपस्या करतारी. एक हजार बरिस तक मूल आ फल खइली आ फेरु सइ बरिस तक साग खाके काम चलवली. कुछ दिन पानी आ हवा के भोजन कइली, फेरु कुछ दिन कठोर उपवास कइली, फेरु बेल के सूखल पत्ता तीन हजार बरिस तक खइली. एकरा बाद सूखल पत्तो खाइल छोड़ि दिहली, तब उनकर नाँव ‘अपर्णा’ परल.
पुनि परिहरे सुखानेउ परना. उमहि नामु तब भयउ अपरना॥

तब जाके आकाशवाणी भइल कि तपस्या पूरा भइल आ एह तरह से आगे चलिके भगवान शिव के ऊ पति का रूप में पवली.

काकी कहली- ठीक बा, अब कुँआर लइकिन वाला बहुरा ब्रत का बारे में तनी बताव. लभेरन उचरले- ‘बहुरा’ सत्य आ धर्म का पालन के व्रत हटे. भादो महीना के अन्हरिया के चौथ के बहुरा कहल जाला. एह दिन कुँआर लइकी ई व्रत करेली सन. कहीं-कहीं माई-बहिन भी अपना संतान के रक्षा खातिर व्रत राखेलिन. अइसन साइत एहसे कि माई का सत्य व्रत में अपना जान के मोह ना राखेवाला बछरुओ बाघ का सोझा गइल रहे आ एही से बघवा प्रभावित भइल रहे. एह दिन व्रती पूरा दिन उपासे रहेलिन.

एह दिन खास करके गाइ का दूध पर खाली बछरू के अधिकार मानल जाला. एही से गाइ का दूध से बनल कवनो चीज एह दिन ना खाएके चाहीं. आज उपासे रहिके गाइ, बछरू आ बाघ के माटी के मूर्ति बनाके पूजा कइल जाला. एह व्रत में बाघ बनिके गाइ के परीक्षा लेबेवाला भगवान कृष्ण के कथा सुनल जाला. बहुरा का दिन गऽहूँ आ चाउर से बनल चीज ना खाइल जाला. हमनी किहाँ जौ के सातू(सतुआ) के भोग लगावल जाला आ बाद में ऊहे गुर(गुड़) का सङे खाके पारन कइल जाला.

कहल जाला कि कवनो ब्राह्मण का घर में एगो गाइ रहे. गइया के जब साँझि खा घरे लवटे में देर हो जाए त ओकर बछरुआ बेआकुल हो जात रहे. एक दिन गइया घास चरत-चरत अपना झुंड से बिछुड़ गइलि आ अचानक ओकरा सोझा एगो खूँखार बाघ आ गइल. बघवा से गइया विनती कइलसि कि हम अपना बछरुआ के दूध पियाके लवटि आइबि, तब तू हमराके खाके आपन भूखि मेटा लिह. बघवा के विश्वास त ना भइल बाकिर तबो ओकराके अपना बछरू भीरी जाए दिहलसि. गइया तेजी में घर पहुँचलि, अपना बछरू के जल्दी में दूध पियवलसि आ खूबे चूमलसि-चटलसि. बछरुआ का ढेर हठ कइला पर गइया ओकराके सभ बता दिहलसि. ओकरा बाद बाघ राजा का सोझा गइया अकेले ना, बछरू का साथे गइलि. कहल जाला कि बाघ का रूप में भगवान श्रीकृष्ण गइया का सत्य आ धर्म के परीक्षा लेत रहन. तबे से ‘बहुरा’ के ब्रत राखे के परंपरा चलल आ रहल बा. अपना सत्य आ धर्म पर रहला का कारन गाइ के दिन बहुरल (फेरु से लवटल), एही से एह परब के नाँव ‘बहुरा’ परल.
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संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817

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