दुर्गा जी के नव गो रूप
– – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
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सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-7
आइल भोजपुरिया चिट्ठी
आजु काकी माई दुर्गा का नवो रूप के जाने खातिर अधीर भइल रहली. लभेरन एक-एक कइके सुनावे शुरू कइले.
1. शैलपुत्री
नवों दुर्गा में माई दुर्गा के पहिल स्वरूप ‘शैलपुत्री’ नाँव से प्रसिद्ध बा. इहाँका बैल पर सवार बानी आ इहाँका दहिना हाथ में त्रिशूल अउर बाएँ हाथ में कमल के फूल सोभेला.
पुरुब जनम में इहाँके पिता प्रजापति दक्ष एक बेर एगो बड़हन जग्गि कइले रहले. एहमें ऊ शंकर जी के आमंत्रित ना कइले रहन. जब पिताजी के द्वारा कइल जा रहल जग्गि का बारे में सती के पता चलल, त ऊ ओहिजा जाए खातिर आपन ई इच्छा शंकर जी के बतवली. शंकर जी समुझवले कि बिना बोलवले केहूँ का परोजन में ना जाए के चाहीं. सती का जिद पर शंकर जी उनका के ओहिजा जाए के अनुमति दे दिहले.
सती पिता के घर पहुँच के शंकर जी का प्रति तिरस्कार के भाव आ अपमान के सह ना सकली आ ऊ ओही घरी अपना ओह रूप के योगाग्नि से जला के भस्म कर दिहली. एह घटना के सुन के शंकर जी बहुत खिसिअइले आ अपना गण लोग के भेज के दक्ष का ओह जग्गि के विध्वंस करा दिहले. अगिला जनम सती में शैलराज हिमालय का बेटी का रूप में जनमली. एही से ऊ ‘शैलपुत्री’ नाँव से विख्यात भइली. ‘शैलपुत्री’ देवी के बियाह शंकर जी से ही भइल. नवरात्र-पूजन में पहिला दिन इनके पूजा आ उपासना कइल जाला.
2. ब्रह्मचारिणी
माई दुर्गा के दोसरका रूप ब्रह्मचारिणी देवी के हटे, जवन ज्योतिर्मय आ बड़ भव्य ह. उहाँका दहिना हाथ में जप के माला आ बाएँ हाथ में कमंडल होला. पुरुब जनम में जब उहाँका हिमालय का घर में बेटी का रूप में पैदा भइल रहीं तब नारद जी का उपदेश से भगवान शंकर जी के पति का रूप में पावे खातिर बहुत कठिन तपस्या कइले रहीं. एही कठिन तपस्या का चलते उहाँके नाँव तपश्चारिणी मतलब ब्रह्मचारिणी परल. माई दुर्गा जी का एह दोसरका रूप का उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम आदि बढ़ेला. माई ब्रह्मचारिणी देवी का कृपा से सिद्धि आ विजय प्राप्त होला.
3. चन्द्रघंटा
माई दुर्गा जी का तीसर शक्ति के नाँव ‘ चन्द्रघंटा ‘ ह. नवरात्र में तिसरका दिन इहाँ के पूजा कइल जाला. इहाँका माथा में घण्टा का आकार के अर्धचंद्र बा, एही से इहाँके चन्द्रघंटा देवी कहल जाला. इहाँके मुद्रा युद्ध खातिर तेआर रहे के होला. माई चन्द्रघण्टा का कृपा से साधक के सभ पाप आ बाधा खतम हो जाला.
4. कूष्माण्डा
माई दुर्गा जी का चौथा स्वरूप के नाँव कूष्माण्डा हटे. अपना मंद-मंद हँसी से ब्रह्मांड के उत्पन्न कइला का कारन इहाँके कूष्माण्डा देवी कहल जाला. इहें का तेज से दसों दिशा प्रकाशित हो रहल बा. इहाँ का सात हाथ में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा बा आ आठवाँ हाथ में सभ सिद्धि आ निधि देबे वाली जपमाला बा. इनकर वाहन सिंह ह. कोंहड़ा के बलि इहाँके बहुत प्रिय ह. नवरात्र पूजन का चउथा दिन कूष्माण्डा देवी के उपासना कइल जाला.
5. स्कन्दमाता
माई दुर्गा जी के पाँचवा स्वरूप के स्कन्दमाता का नाँव से जानल जाला. इहाँका भगवान स्कन्द ‘कुमार कार्त्तिकेय’ नाँव से भी जानल जालीं. इहाँका विग्रह में भगवान स्कन्द जी बाल रूप में इहाँका गोद में बइठल रहेलन. स्कन्दमाता कमल का आसन पर विराजमान रहेली. स्कन्दमाता का उपासना से भक्त के सभ इच्छा पूरा हो जाला.
6. कात्यायनी
माई दुर्गा के छठवाँ स्वरूप के नाम कात्यायनी ह. महर्षि कात्यायन माई के उपासना करत कई बरिस ले बहुत कठिन तपस्या कइले. उनकर इच्छा रहे कि माई भगवती उनका घर में बेटी का रूप में जनमसु. माई भगवती उनकर ई प्रार्थना स्वीकार क लिहली. कहाला कि ई कात्यायन ऋषि के पूजा स्वीकार क के दशमी के महिषासुर के वध कइली. माई कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हईं.
7. कालरात्रि
माई दुर्गा जी के सातवीं शक्ति कालरात्रि नाँव से जानल जाली. इनका शरीर के रंग अन्हरिया नियन एकदम करिया हटे. सिर के बाल बिखरल हटे. इहाँके तीन गो आँखि बिया. इहाँके वाहन गदहा हटे. माई कालरात्रि के स्वरूप देखे में बहुत भयानक हटे, बाकिर ई हमेशा शुभे फल देला. दुर्गापूजा का सातवाँ दिने माई कालरात्रि का उपासना के विधान बा.
8. महागौरी
माई दुर्गा जी का आठवीं शक्ति के नाम महागौरी हटे. इहाँके रंग गोर हटे. इहाँके उमिरि आठ साल के मानल गइल बा. इहाँके चार गो भुजा बा आ बाहन बैल हटे. दुर्गापूजा का आठवाँ दिन महागौरी का उपासना के विधान बा. माई महागौरी के ध्यान-स्मरण, पूजन-आराधन भक्त खातिर सभ तरह से कल्याणकारी हटे.
9. सिद्धिदात्री
माई दुर्गा जी का नवीं शक्ति के नाम सिद्धिदात्री ह. ई सभ प्रकार के सिद्धि देबे वाली हईं. देवी पुराण का अनुसार भगवान शिव इनके कृपा से सभ सिद्धि के प्राप्त कइले. नवरात्र पूजन का नउआँ दिने इनकर उपासना कइल जाला. सिद्धिदात्री माई के उपासना पूरा कर लिहला का बाद साधक के सभ प्रकार के कामना पूरा होले.
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संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817
ई मेल : rmishravimal@gmail.com
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