अपना के ना जानब त बाजार के का जानब

अपना के ना जानब त बाजार के का जानब
know self before market

– टीम अंजोरिया

#शेयर-बाजार #अपना के जानल

अगर शेयर बाजार में उतरल चाहत बानी त पहिले अपना के जान लीं. जब ले अपना के ना जानब तब ले बाजार के ना जान पाइब. अपना के ना जानब त बाजार के का जानब. बाजार ना जाने कि रउरा के हईं. रउरा अइला ना अइला से ओकरा कवनो फरको ना पड़े.

ई साधारण बात जाने-बूझे में हमरा बरीसन लाग गइल. हम त बाजार के उतार-चढ़ाव जाने के कोशिश करत रह गइनी, वाणिकी के रणनीति आ प्राइस एक्शन के चीन्हे में लागल रहनी. बतावे वालनो के कवनो कमी ना रहल. शायद उहो इहे चाहत रहलन कि हम अपना के जाने के कोशिश मत करीं. अपना के जान जाइब त बाजार जनला के कवनो जरुरते ना रहि जाई. हम एही चिन्ता फिकिर में दुबरात चल गइनी कि बाजार के हमरा से का दुश्मनी बा? जइसहीं कुछ खरीदिलें ओकर दाम गिरल शुरु आ हो जाला आ तबले गिरत रहेला जबले हम अकूता के ओकरा के बेच ना दीं. आ बस बेचले के देरी रहेला. जइसहीं बेचनी तइसहीं ओकर दाम बढ़ल शुरु हो गइल. जरुर बाजार हमरा पीछे लागल बा. ओकरा मालूम बा कि हम का खरीदत बानी, का बेचत बानी. आ बड़हन नुकसान उठवला का बाद पता चलल कि बाजार के त मालूमे नइखे कि हम के हईं! आ साँच कहीं कि जब हमरे मालूम ना रहल कि हम के हईं त बाजार कइसे जानो.

पहिलहूं कह चुकल बानी कि शेयर बाजार में तीन तरह के लोग होला. एगो होले जिनका ला शेयर खरीद-फरोख्त व्यवसाय होला, दोसरका ऊ होले जिनका ला ई व्यसन रहेला, आ तिसरका गोल ओह लोगन के होला जे विवशता में एकर सहारा लीहल चाहेलें. आ एह चहला का पाछे सबले बड़का कारण होला ई गलतफहमी कि बाजार से पइसा बनावल बहुते आसान होला. आ सोशल चैनलन पर अइसनका लोगन के भरमार होखेला जे बतावल करेलें कि ऊ कइसे हजार लगा के करोड़ कमा लिहलें. आ एह बतवला का बीचही ऊ ई बतावल ना भुलास कि रउरो कमाई करे के बा त उनुकर फीस दे के उनुका से कोचिंग ले लीं! अरे भलमानुष अगर केहू के पता चलि जाव कि बाजार से कमाई कइसे हो सकेला त ऊ दोसरा से सौ पचास हजार ले के ओकरा के सिखावे के बात काहे करी? तब त ऊ अपना तरीका के लुका के राखी कि केहू के भनको मत लागो. आ दोसरा के बझावे-फँसावे के जरुरते ना रहि जाई.

बाकिर बाजार में आवे के चाहत कब व्यसन बन जाला आ कबो व्यवसाय ना बनि पावे से काहे? केहू एकर जबाब खोजल ना चाहे. शायद इहे नियति होला. कवि वृंद के ‘वृंद-सतसई’ से लीहल गइल एह दोहा से कि – रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान – कई गो कहानी बना लीहल गइल. एगो मूढ़ बालक के कहानी बना दीहल गइल कि जब ऊ निराश होके एगो इनार का किनार बइठल रहल तब देखलसि कि इनार के पत्थर पर रसरी से रगड़ खा खा के निशान बनि गइल बा. वइसहीं जब हारल थाकल वणिक वाणिकी से किनारा करे के सोचे लागेला तब ओकरा एह बात के पता चले लागेला कि बाजार से पहिले ओकरा अपनहीं के जाने-बूझे के कोशिश कइल चाहत रहुवे. आखिर में वणिक के मनोविज्ञान के ज्ञान होखे लागेला आ ऊ सोचल शुरु कर देला.

बाजार से मतलब हमरा शेयर बाजार से बा. शेयर बाजार में उतरे से पहिले हर वणिक के कुछ सवाल अपना बारे में पूछे के चाहीं. जइसे कि –
ऊ के ह? ओकर शिक्षा आ अनुभव का बा? ओकरा लगे कतना पूंजी बा? ऊ कतना समय शेयर बाजार के दे सकेला? ऊ शेयर बाजार से चाहत का बा? वगैरह वगैरह.

हर आदमी ला शेयर बाजार अलग तरह के होला. केहू कमाई चाहे का विवशता में एह बाजार में आवेला त कुछ लोग के ई व्यसन बन जाला, नशा बन जाला आ बहुते कम लोग होला जेकरा ला ई व्यवसाय में बदल जाला. आसानी से बतावल चाहीं त कहब कि भलहीं रउरा विवशता में बाजार का ओरि अइनी बाकिर एकरा के व्यसन बना के एकरा में जब ले लागब ना तबले ई व्यवसाय ना बनि पाई. आ एहमें जोखिम बहुते होला. एगो शायर के कहल बात दोहराईं त – ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजे. इक आग का दरिया है और डूब के जाना है!

आजु का लेख में हम अपने तरह का लोग का नजरिया से आपन विचार परोसल चाहब. नियमित आय के कवनो साधन नइखे बाकिर नियमित खरचा के मजबूरी जरुरे बा. नौकरी मिलत नइखे भा कर नइखीं पावत. पूँजी बहुते थोड़ बा बाकिर जिगरा बड़हन बा! ट्रेडिंग स्टेशन बनावे के औकात नइखे कि चार पाँच गो बड़हन बड़हन मॉनीटर लगा के ओकरा पर ट्रेडिंग करीं. ई त मोबाइल के सुविधा हो गइल आ कोरोना के दौर आ गइल. आनलाईन खाता खोले के सुविधा हो गइल आ घरे बइठल खाली समय में कुछ करे के मौका मिल गइल. एह चलते बहुते लोग शेयर बाजार में उतरि गइल. चूंकि कोरोना का चलते बाजार बहुते गिर चुकल रहुवे आ ओह गिरावट का बाद स्वाभाविक तौर पर अब भाव उपरे चढ़े वाला रहली सँ से लोग के कमाईओ भरपूर हो गइल. आ लोग अपना के तीसमार खाँ समुझे लागल. ओकरा का मालूम रहल कि बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर आवत-जात रहेला. गिरला का बाद उठल त कुछ लोग मुनाफा वसूले में लाग जाई. कुछ लोग खरीददारी कम करे लागी काहें कि दाम बहुते बढ़ गइल बा. आ एकरा बाद जब दाम गिरल शुरु हो जाई त बिकवाली के दबाव बने लागी आ बाजार में गिरावट के दौर बन जाई. तब कुछ लोग के लागी कि अब खरीदे जोग हो गइल बा आ कुछ खरीददारी शुरु हो जाई. गते-गते खरीदे वालन के तादाद बढ़े लागी आ एकरा साथे दामो चढ़ल शुरु हो जाई. आ इहे चक्र बाजार के स्वभाव होखेला.

सबले पहिले त रउऱा ई मान लेबे के चाहीं कि बाजार में कुछऊ हो सकेला. जिनिगी कतनो छोट भा लमहर होखो ओकर अन्त आवहीं के बा. त मुनाफा होखो भा मत होखो नुकसान त होखहीं के बा. बाजार में बस एके गो बात रउरा बस में होखेला – रउऱा कतना नुकसान सह सकीलें. कतना नुकसान उठवला का बादो अगिला दिने बाजार में आवे के औकात बनल रह जाई. फायदा होखी कि ना. होखी त कतना होखी ई सब कुछ बाजार पर निर्भर होखे के बा. महाभारत का दौरान दीहल अपना गीता संदेश में भगवान कृष्णो कहि गइल बानी कि – कर्मण्ये वाधिकारस्तु मा फलेषु कदाचन. तुम्हारे हाथ में मात्र कर्म करना है फल क्या मिलेगा यह तुम्हारे वश की बात नहीं होगी. आ महाभारत भलहीं कुछ दिन ले चलल रहुवे शेयर बाजार के महाभारत त हमेशा चलत रहे वाला बा.

शेयर बाजार मे आवे वाला लोग भलहीं तीन तरह के होखेला बाकिर बाजार में वाणिकी करे के अनगिनत तरीका होला. हजारन कंपनियन के शेयर होला, सोना-चाँदी के बाजार होला, करेंसी मार्केट होला, कमोडिटी के बाजार होखेला आ अब त तिनतसिया क्रिप्टो के कारोबारो करे में ढेर लोग लागल बा. एगो बात गाँठ बान्ह लीं कि बुड़बक का लगे पइसा होखो त चाल्हाक खइला बिना नइखे मरे वाला. शिकारी आयेगा, जाल बिछायेगा, लोभ से उसमें फँसना नहीं के सीख इयाद रही. ओकर मंत्र-जाप करत रहब बाकिर आम वणिक के होनी इहे होखे के बा कि शिकारी आई, जाल बिछाई आ ऊ लोभ से ओहमें फँसत रही.

खैर, अगर अतना जनला-बूझला का बादो रउरा शेयर बाजार में आइल चाहत बानी त पहिले ई तय कर लीं कि राउर मकसद का बा? कुछ लोग के नियमित आय के साधन होखेला आ ऊ लोग ओह आय का बचत के निवेश क के आपन संपति बढ़ावल चाहेला. हम ओह लोग के बात नइखीं करे वाला. काहें कि ना त हमरा लगे नियमित आय के साधन बा ना अतना पूँजी कि ओकरा के निवेश में डाल के ना-फिकिर बइठ जाईं. हमरा जइसन बहुते लोग बाजार में आय खातिर आवेला निवेश खातिर ना. अलग बाति बा कि नारी मुई घर संपति नासी, माथ मुड़ाय भए सन्यासी! सौदा त करेला लोग वाणिकी – ट्रेडिंग – करे खातिर बाकिर जब नुकसान उठावे जोग ना रहि जाला त ऊ उनुकर निवेश बनि जाला! आ जब ले नुकसान उठावे जोग रहेला तब ले लोग एह आसे महटियावत रहि जाला कि बस अब बाजार मुड़ही वाला बा.

अब अगर रउरा निवेश करे आइल बानी त रउऱा तरह तरह के निवेश में पूँजी डाले के होखी. एके कंपनी में, एके तरह का सौदा में आपन सगरी पूँजी डालल बहुते खतरनाक साबित हो सकेला. बाकिर अगर निवेश करे आइल बानी त एके तरह के सौदा कइल तय कर लीं. करत करत अभ्यास ते जड़-मति होत सुजान वाला सीख से गते-गते रउरा जान जाइब कि एह सौदा के गति, चाल का आ कइसन होखेला. आ आय बढ़ावे के चााहत राखे वाला वणिकन के एके तरह के सौदा में लागल रहे के चाहीं.

आ तब अगिला बात जानल जरुरी बा कि जवना सौदा में जतने आमदनी के गुंजाइश होखी ओह सौदा में जोखिमो ओतने होखी. सबले कम जोखिम बैंक में रखला में होखेला से ओकरा में ब्याजो बहुते कम मिलेला. जस जस जोखिम बढ़ावत जाएब तस तस आमदनी के गुंजाइश बढ़त जाई आ जस जस आमदनी के गुंजाइश बने लागी तस तस जोखिमो के खतरा बढ़े लागी. कम जोखिम उठावे के बा त बैेक के सावधि जमा करा लीं. सोना चांदी खरीद के राख लीं. कवनो कंपनी के शेयर के सौदा करे लागीं. आ वाणिकी खातिर सबले बढ़िया ऊ स्टॉक होखेला जवना में लिक्विडिटी आ वोलेटिलिटी दुनू होखो. कुछ कंपनियने का शेयर में वोलेटिलिटी माने कि उतार चढ़ाव बहुते देखे के मिलेला आ ओहमें से कुछ कंपनियन कें लिक्विडिटिओ – खरीद-बेसाह – जम के होला. जब मन करे खरीद सकीलें, जब मन करे तब बेच सकीले. आ वाणिकी खातिर अइसने स्टॉक नीमन होखेला.

अब अगर अउरी जोखिम उठावे के बेंवत होखो त डेरिवेटिव ट्रेडिंग माने कि फ्यूचर आप्शन के सौदा कर सकीलें. जवने करे के मन करे अपना सलाहकार से आ अपना ज्ञान से तय करीं. हम ना त सलाहकार हईं, ना हमरा बाजार के समुझ बावे. आ रउऱा खरीदला बेचला से हमरा ना त कवनो फायदा होखे वाला बा ना नुकसान. पूँजी राउर लागे वाला बा, फायदा रउरा मिली आ नुकसानो रउरे उठावे के बा त सोच के समुझ के निवेश भा वाणिकी करीं. सेबी त हमेशा धिरावते रहेला कि ट्रेडिंग करे वालन में से नब्बे फीसदी लोग से बेसी के नुकसाने होखेला. अब अगर रउऱा सोचत होखीं कि रउऱा दस फीसदी में बानीं त कूद जाईं! चढ़ि जा बेटा फाँसी पर भला करेंगे राम!

पता ना रउऱा एह पर धेयान दिहनी कि ना कि आजु हम कवनो रणनीति के चरचा ना कइनी ह एह लेख में. त जान जाईँ कि एगो तरीका एगो रणनीति मिल गइल बा जवना से खरचा पानी निकले लागल बा. रउरो अपना तरीका से लागल रहब, अपना हिसाब से, अपना औकात से आ अपना बेंवत से लागल रहब त रउऱो एक ना एक दिन कवनो मनपस्नद तरीका मिलिये जाई. कवनो तरीका सभका ला ना होखेला. हर आदमी के तरीका ओकरा हिसाब से सही होखेला. रामबाण दवाई पौराणिक कहानियन में मिलेला. आजु ले कवनो अइसन दवाई नइखे बनल जवन हर रोग में हर मरीज ला असरकार साबित होखे. कबो बनियो ना सकी! एहसे हम अपना राहे चलब, रउरा अपना राहे चलीं.

लीक लीक गाड़ी चले, लीकही चले कपूत.
लीका छोड़ तीनो चलें शायर सिंह सपूत!

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