बेटा-बेटी खातिर तिलवा मेथी फोरेली काकी

सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-17
आइल भोजपुरिया चिट्ठी

बेटा-बेटी खातिर तिलवा मेथी फोरेली काकी

– – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

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आजु भोरे-भोरे काकी के ई रूप देखिके लभेरन भकुआ गइलन. सुरुज भगवान का हलुक घाम में घर का पूरुब ओर पिछुवारी आसठि पर एगो बँसखट प काकी बइठल बाड़ी. घर के आ टोला-परोस के लइका-फइका उंनुका चारू ओर से झुमेल लगवले बाड़े सन. राती खा देर से चिउरा के तिलवा बन्हाइल रहल हा. एगो डगरा में तिलवा भरल बा आ सभ निकालि-निकालि के खा रहल बा, अइसन जनाता जइसे केहू से केहू के बातो करे के फुरसत नइखे.

लभेरन के देखते काकी चहकली. आवऽ लभेरन, तूहूँ तिलवा खा ल. लभेरन त ईहे चाहत रहलन, रोगिया जवन चाहे, उहे बैदा बतावे. एक काटा काटि के तिलवा के बड़ाई शुरू कइलन- “बड़ा नीमन बन्हाइल बा, बहुत दिन पर अइसन तिलवा खाए के मिलल बा. ” काकी अगरइली- “त हमार बन्हवावल ह नू! हमार पतोहि बड़ा मेहनती हई सन. त तिलवा प कुछु सुनावऽ काकी के!” लभेरन सुनवले-
जाड़ा गिरते भोरे घामा बइठल खोंखेली काकी
बेटा-बेटी खातिर तिलवा मेथी फोरेली काकी.

काकी बोलली- लागऽता कि हमरे पर लिखाइल बा. केकर लिखल ह ई गजल? एकर अउरियो शेर सुनावऽ!” लभेरन बतवले कि रामरक्षा मिश्र विमल के गजल हटे. ऊ गजल के बकिया शेर सुनवले-
लाल सजाव दही चिउरा पर गुर के भेली खूब जमे
खिचड़ी का दिन पंडीजी के थाल परोसेली काकी.
बरिसन से बड़का ना लउकल, ससुरारी में बइठल बा
सुसुकत रोजे याद करेली अँखिया पोंछेली काकी.
बेमतलब का खरचा पर अनसाली, भितरे कुहुँकेली
अनदीना का डर से पइसा-पइसा जोरेली काकी.
नवकी कोबी के तरकारी जहिया चटक बनावेली
कहँवा गइल ‘विमलवा’ भीतर-बहरी खोजेली काकी.

काकी बहुत खुश भइली आ आँखि से लोरो बहे लागल. “एकदम हमरा से मिलऽता. कवियो लोग भला कइसन होखेले, लिखेले त सभके अइसन लागेला, जइसे उनुके खातिर लिखल गइल होखे. ” काकी बात बदलली. “ई एक हप्ता कहाँ रहलऽ हा तूँ?”

लभेरन आपन मजबूरी सुनवले- लगातार विमल जी का सङे रहलीं हा. उनुका पत्रिका ‘सँझवत’ के नौंवा अंक के तेयारी चलत रहल हा. अब छपि गइल. ” लभेरन झोला में से निकालि के पत्रिका देखवले. काकी एकदम गील हो गइली. “कतना नीमन लागतिया हो ई पत्रिका! लागता जइसे सही में सँझवत के दीया बरात होखो. ” मए लइका तिलवे का हाथे ले-लेके पत्रिका देखे लगले सन. काकी कतनो मना करसु, केहूँ मानेवाला ना रहे. लइका कभर पर का चटक चित्र पर लोभा गइल रहन स. काकी जानि-बूझिके बात बदल दिहली.

“अच्छा बतावऽ लभेरन, जाड़ा में तूँ कवना-कवना चीज के तिलवा खइले बाड़ऽ?” अब काकी का बात पर लइकन के ध्यान गइल. लभेरन बतावे लगले- “मूढ़ी, बजड़ा, जोन्हरी, जनेरा, टाङुन…. ” लइका मूढ़ी के तिलवा त खइले रहन स, बाकी का तिलवा के के पूछो, अनाजो ना देखले रहन सन. ओहनी के अवाक देखिके लभेरन आपन बात जारी रखले. “जानतारू काकी, केहूँ कतनो चिउरा भा मूढ़ी के तिलवा बनाओ बाकिर बजड़ा आ जोन्हरी के जवन तिलवा बनत रहे, ऊ मुँह से ना छूटत रहे. तिलवा त छोड़ीं, बजड़ा आ जोन्हरी के जवन चिउरी होखत रहे, ओकर कवनो कवनो जोड़ रहे का? अब त बरिसन से ई कुल्हि दूलम हो गइल बा. का जनिहें सन ई लइका एह खान-पान का बारे में? आजुओ जो इहनीं के ई कुल्हि चीज भेंटा जाई त मए पिज्जा-बरगर भुला जइहें सन, तकबो ना करिहें सन ओने. ”

मए लइका लभेरन के टुकुर-टुकुर देखत रहलन स आ चुपचाप सुनत रहन स. अतने में काकी बोलली- “आजु राति खा मेथी बन्हाई, काल्हु एकदम अनगुताहे चलि अइहऽ लोग. ” काकी लभेरनो के इशारा से बतवली. एगो लइका से अड़ाइल ना. ऊ पूछि दिहलसि- “ई मेथी का होला?” माई जवना से तरकारी छँवकेले, ऊहे का?” लभेरन हँसे लगले. “अरे ना बबुआ, ईहे त बिचित्र बात बा कि ओकर नाँव त मेथी होला, बाकिर ओकरा में मेथी नाँव मात्र के डलाला. एकरा में जवना से एगो खास स्वाद बनेला, ऊ तीसी होला आ ओकरा में गुड़ आ घीव डलाला. एकरा बाद जगह का हिसाब से बजड़ा भा चाउर भूँजि-पीसि के डलाला. ” काकी बोलली- “लइकन के ‘जगह का हिसाब से’ के तनी मानहूँ बता द. ” लभेरन बोले लगले आ आदर्श श्रोता नियन लइका सुने लगले सन.

“जहँवा नहर ओहर के सुविधा बाटे, माने पटवन खातिर पानी के कवनो कमी नइखे, आ जमीन करइल बाटे, ओइजा धान होला. हमनी किहाँ अधिकतर रेलवे लाइन का दक्खिन में अइसन जमीन मिलेले. अइसना जगह पर लोग धान का उपज के अउलई का कारन भात से तिलवा तक चाउरे के उपयोग करेलन. जहाँ के जमीन बलुअठ होला माने जहाँ के माटी बालू मिश्रित होले, ओहिजा मोटका अन्न जइसे बजड़ा, जोन्हरी, जनेरा, टाङुन, साँवा, कोदो आदि के उपज ढेर होखेला. हमनी के प्रधानमंत्री मोदी जी एकरे के नू श्रीअन्न कहले बाड़न. हमनी किहाँ पहिले ई मोटका अनाज खूब होत रहल हा, एही से हमनी का मेथी में बजड़ा परेला. ” मेथी का नाँव पर लइकन के खुशी देखते बनत रहे.
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संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817
ई मेल : rmishravimal@gmail.com

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