भोजपुरी सम्मेलन के समापन
Amnaur Bhojpuri Sammelan completed
– टीम अंजोरिया
#भोजपुरी #सम्मेलन #समापन-समारोह #अमनौर #राजीव-प्रताप-रुडी,

(फोटो रुडी जी के इंस्टाग्राम पोस्ट से लीहल गइल बा.)
अमनौर में शुक का दिन से अतवार ले चले वाला तीन दिन के अधिवेशन के समापन शनिचर का दिने हो गइल. एह समापन समारोह में बोलत स्थानीय सांसद आ केन्द्र में मंत्री रहल राजीव प्रताप रुडी अपना के सबले बड़का आ असली स्टार बता दिहलन. कहलन कि ऊ दुनिया के अइसनका पहिलका विमान कप्तान हउवन से फ्लाइट का दौरान यात्रियन खातिर भोजपुरी में उद्घोषणा कइल करेलें. रुडी कहलन कि भोजपुरी दुनिया के अनेके देशन में बोलल जाले. भाषा का उच्चारण अलग अलग जगहा थोड़िका बदल जाला बाकिर एकर आत्मा हर जगहा एके जइसन रहेला. पिछला चुनाव में छपरा से विधायक के चुनाव लड़ल भोजपुरी एक्टर खेसारीलाल यादव के मजाक उड़ावत रुडी कह दिहलन कि उनुका से बड़का स्टार त रुडी खुदे हउवन. छपरा के जनतो खेसारी के बनावटी भोजपुरी नकार दीहल आ छोटी कुमारी के आपन विधायक चुन लिहलें.
अमनौर के धरती पर ई बड़हन साहित्यिक सम्मेलन के आयोजन करवला खातिर ऊ विधानपार्षद डॉ संजय प्रकाश मयूख के सरहलें आ देश-दुनिया से आइल साहित्यकारन, कलाकारन, गीतकारन, गायकन आ विद्वानन के आभार जतवलें. रुडी अपना के ठेठ भोजपुरिया भाषी बतवलें आ कहलन कि कुछ कलाकारन के बोलल बनावटी भोजपुरी से बेहतर, प्रामाणिक भोजपुरी ऊ खुद बोलेलें.
(विमान में यात्रियन के संबोधित कइल हम खुदो सुनले बानी आ एह काम ला रुडी के जतना प्रशंसा कइल जाव कमे होखी.)
समरोह में बोलत विधान पार्षद सच्चिदानंद राय कहलन कि फूहड़ भोजपुरी गावे वाला गायकन के चप्पल के माला पहिरावे के चाहीं. कहलन कि कुछ मुट्ठी भर गायक अपना फूहड़ गवनई से भोजपुरी के बदनाम कर दिहले बाड़न. अपील कइलन कि जनता के चाहीं कि जबो अइसनका गवनई सुनसु त मंच पर गावे वाला एह गायक गायिकावन के चप्पप देखावसु.
(हालांकि हमार मत इहे ह कि भोजपुरी के बदनाम करे ला हिन्दी सिनेमा वालन का तरफ से बाकायदा कार्यक्रम चलावल गइल. बतकुच्चन वाला अंदाज में कहीं त अश्लील आ फूहड़ गवनई में फरक माने के चाहीं. भोजपुरी अबहियों अश्लील लोगन के भाषा बन के रह गइल बिया. अश्लील माने जे श्लील ना होखे. गँवार आ कम पढ़ल लिखल भोजपुरियन के श्लील ना मानल जा सके. दिन भर मेहनत मजदूरी कइला का बाद साँझ बेरा आपन थकान मेटावे खातिर अपना पसन्द के भोजपुरी गाना सुने के एह लोग के काम अपराध ना माने के चाहीं. अपना शुरुआती समय में अंगरेजियो के भल्गर अश्लील कहल जात रहुवे जबकि श्लील लोग के भाषा ग्रीक आ लैटिन रहुवे. मशहूर उपन्यासकार दयानन्द पाण्डे के उपन्यास लोक कवि अब गाते नहीं में एक ना कई जगहा अइसनका तथाकथित अश्लील भाषा के उदाहरण मिल जाई बाकिर ओकरा के कतहूं फूहड़ ना कहल जा सके. )
समापन समारोह में बोलत साहित्यकार के कहना रहल कि भोजपुरी भाषा केवल बोलचाल के माध्यम ना हवे. बलुल ई त अपना भीतर सदियन के अनुभूतियन, संघर्र्षन आ लोक-परंपरा के धड़कनें समेटले एगो जीवंत सांस्कृतिक धरोहर हवे. आज जरुरत एह बात के बा कि भोजपुरी के सिर्फ मंच आ आयोजनन तक सीमित ना राखत एकरा के जीवन में व्यवहार, शिक्षा, प्रशासन अउर तकनीक के भाषा बनावल जाव. हमनी के अस्मिता के ई आधार स्तंभ जतना मधुर हवे, ओतने व्यापक. भोजपुरी के शब्दन में खेत-खलिहान के खुशबू बा, माई के ममता बा, लोकगीतन के गूंज बा आ समाज के सामूहिक चेतना बा. हमहन के चाहीं कि साहित्य, संगीत, नाटक, आ सिनेमा में एकरा मौलिकता के बनावटीपन से बचावत नईकी पीढ़ी ले पहुंचावल जाव.जब ले माटी से जुड़ल भोजपुरी भाषा के सोन्ह सरलता के संरक्षित राखब, तब ले भाषा विश्व पटल पर आपन पहचान स्थापित करत रही. भोजपुरी बोलीं, लिखीं आ एकरा के पढ़हूं के आदत डालीं.
तंग इनायतपुरी के सलाह रहल कि नईकी पीढ़ी के चाहीं कि भोजपुरी के व्याकरण, एकर लय आ एकर विशिष्ट संरचना के समुझत आधुनिक साहित्य रचसु, जेहसे ई भाषा समय का साथे अउर पोढ़ होखत जाव. भोजपुरी गीतन, कहावतन, मुहावरन आ कहानियन के संरक्षित करके हमनी का अपना आवे वाली पीढ़ियन के एगो मजबूत सांस्कृतिक विरासत सौंप सकीलें.
मनोज भावुक के जोर एह बात पर रहल कि वैज्ञानिकता अउर तकनीक के एह युग में भोजपुरी के अध्ययन-शिक्षण संस्थागत रूप से मजबूत होखो. विश्वविद्यालयों में शोध की दिशा विस्तारित होखो आ युवा शोधार्थियन के एकरा व्याकरण, बोली-विविधता अउर प्राचीन संदर्भन पर काम करे ला बढ़ावा दीहल जाव. जबले भोजपुरी के ज्ञान, विज्ञान अउर आधुनिक साहित्य के भाषा ना बनावल जाई तबले एकर विकास अधूरे रही.

भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री, प्रतिष्ठित साहित्यकार आ व्याकरण पर कई एक किताब लिख चुकल डॉ जयकांत सिंह ‘जय’ के कहना रहल कि भोजपुरी संस्कृति के मूल स्वर लोकगीतन, लोककथावन अउर लोकभाषा के जीवंत धारा में बहेला. ई भाषा जतने पुरान हवे ओतने आधुनिक संवेदननो के समेटे में समरथ हवे. कहलन कि भोजपुरी के सबले बड़ ताकत एकर मानवीय चरित्र हवे. ई हर वर्ग के मनई का जीवन से सीधा संवाद करेले. आ एही चलते जब वैश्वीकरण के दबाव में कई एक भाषा बिलात जात बाड़ी सँ, भोजपुरी अपना लोक-संगीत, प्रवासी साहित्य, आ जनजीवन के अभिव्यक्ति का चलते अपना के जियतार बनवले रखले बिया. जरुरत बा कि एकरा के अंतरराष्ट्रीय फलक पर अउर मजगर रूप से परोसल जाव. विद्यालयन से लेके विश्वविद्यालयन ले भोजपुरी के पाठ्यक्रम में शामिल करि के नईकी पीढ़ी का भीतर अपना भाषा ला गौरव-बोध जगावे के होखी. भोजपुरी हमनी के पहचान हवे, आ एकर रक्षा कइल हमहन के सांस्कृतिक जिम्मेदारी हवे.
सम्मेलन के नयका चुनाइल अध्यक्ष डॉ महामाया प्रसाद विनोद कहनी कि भोजपुरी भाषा हमनी के समाज के आत्मा ह. एकरा में श्रम के गंध, लोक-जीवन के सादगी, प्रेम के मधुरता अउर करुणा के गहीर अनुभूति समाहित बा. भोजपुरी साहित्य वास्तव में भारतीय ग्रामीण सभ्यता के जीवन-दर्शन के बहुते सहज भाव में परोस देले/

0 Comments