सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-14
आइल भोजपुरिया चिट्ठी
काठ खाले गुबुर गुबुर – भोजपुरी बुझउवल
Bhojpuri Puzzles
– – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
#भोजपुरिया-चिट्ठी #भोजपुरी #बुझउअल #डॉ.रामरक्षा-मिश्र-विमल

जाड़ा के दिन आ गइल बा. काकियो बच्चन का सङे बच्चा हो गइल बाड़ी. घामा बइठि के बुझउअल बुझावे आ बूझे में लागल बाड़ी. लइकनो के खूब मन लागऽता. काल्हु राती खा चिउरा आ मूढ़ी के तिलवा बन्हाइल रहे. लइका बुझउअल बूझत-बूझत एक काटा तिलवो काट लेत रहन सन. एही मनसावन में लभेरनो पहुँचि गइले. अब उनुको एगो बुझावे के परल. लभेरन बुझवले-
एक चिरइया चटनी, काठ पर बइठनी.
काठ खाले गुबुर गुबुर, हगेले भुसुकनी.
माने एगो चटोर चिरईं काठ पर बइठलि आ गते-गते लकड़ी के खाए लागलि. काकी के त पहिलहीं से मालुम रहे. लइकन के सोचे के मोको ना मिलल, ऊ चट से बता दिहली- आरी. बाकिर ‘हगेले भुसुकनी’ सुनिके लइका खूब हँसले सन.
फेरु त अंकल-अंकल कहिके लभेरन से अउरी बुझउअल बुझावे के बच्चन के आग्रह शुरू हो गइल. लभेरनो के मन लागे लागल बाकिर काकी कहली कि इनिका के चाचा कहऽ लोग, ई अंकल-अंकल कवन बात भइल? लइका चाचा-चाचा कहिके नकिया दिहले सन. तब लभेरन बुझवले-
छोटी मुटी दाई के पेटवे फाटल.
छोटी मुटी दाई के नकिये टेढ़.
ए पारी काकी चुप रहली. कहली कि हमरा त मालुमे बा, अब तोहन लोग बूझऽ. बच्चन का समझ में ना आइल त फेरु काकिए बतवली. पहिला के माने- गऽहूँ आ दोसरका के माने- बूँट. एगो लइका अचकचाइल, ऊ दिल्ली से आइल रहे. पुछलसि- बूँट माने? लभेरन बतवले- चना.
अब बुझउअल बुझावे के बारी आइल काकी के. ऊ बुझवली-
हती चुकी गाजी मइया, हतहत पोंछि.
भागल जाली गाजी मइया, धरिहे पोंछि.
ई बुझउअल सबसे प्रसिद्ध आ लोकप्रिय हटे. एकर माने ना बतावे के परल. एके सुर में कुल्हि लइका बोलले सन- सूई-डोरा. आ फेरु एक दोसरा का ताली पर ताली मारिके अपना विजय के खुशी मनवले सन. एह बुझउअल के माने भइल कि गाजी मइया अपने त छोट बाड़ी बाकिर उनुकर पोंछि लमहर बिया. गाजी मइया भागल जातऽरी, चलऽ लो इनकर पोंछि धरल जाउ.
एगो लइकी भागिके घर में गइलि. ओकर माई केवाड़ी का अलोता से इशारा क के बोलवले रहे. ऊ दउरिके जल्दिए अ गइलि आ बुझवलसि- “दू बेकती मिलि बाइस कान. ” बतावऽ लोग का हटे? सभ सोचे लागल. अब एकरा प त सभके माथा चकरा गइल रहे- आखिर एगारह-एगारह गो माथा वाला दू गो प्राणी के बाटे? लभेरनो फेल मारि गइल. अंत में काकिए जवाब दिहली- रावण आ मंदोदरी. माने दस माथावाला रावण के बीस गो कान आ मंदोदरी के दू गो कान.
एकरा बाद लभेरन कहले कि हमहूँ पौराणिके बुझउअल बुझाइबि. उ बुझवले-
स्याम बरन मुख उज्जर केतना, रावन सीस मँदोदरि जेतना.
हनुमान पिता करि लेबि, तब राम पिता भरि देबि.
अब त लइका फेरा में परि गइले सन. ऊपर-नीचे कुछु बुझाते ना रहे. काकियो के ठीक से ना बुझात रहे. तब लभेरन समुझवले. “एहमें ई पूछल गइल बा कि करिया सामान जेकर मुँह उज्जर होखे माने उरिद के भाव का बा? उत्तर मिलल कि जतना रावण आ मंदोदरी के सिर बाटे माने एगारह सेर. तब भाव पूछेवाला कहऽता कि हनुमान के बाप माने हवा से साफ कइके माने फटकि के लेबि, तब जबाब मिलल कि राम के बाप दशरथ का बराबर देबि माने दस सेर. ” भलहीं बच्चन के पढ़हूँ के परल बाकिर तबो ई बुझउअल उहनी के नीमन लागल काहें कि अपना साथी लोगन के छकावे के एगो बढ़िया मसाला मिल गइल रहे.
अबकी बारी काकी बुझवली-
गोल गोल गुटिया सुपारी अइसन रंग.
एगारह देवर लेवे अइले, जेठ के गइलि संग.
माने ओकर रूप गोल बा आ कसइली नियन रंग बा. ओकरा के ले जाए खातिर एगारह गो देवर अइले बाकिर ऊ गइलि अपना जेठ (भसुर) का सङे. ईहो बूझल लइका लोग का माँह के ना रहे. तब लभेरन बतवले कि रहरि (अरहर) हटे. काकी समुझवली कि रहरि के कटाई एगारह महीना में ना होले, ऊ जेठ का महीना में पकला पर कटाले.
अतना कठिन बुझउअल सुनला का बाद लइकन के मन भागे लागल. अइसना में लभेरन एगो अइसन बुझउअल सुनवले कि लइका चहके लगले सन.
ए चिरइयाँ अटउ, ओकर पाँख दूनों पट,
ओकर खलरा ओदार, ओकर माँस मजेदार.
उत्तर बतवले- (ऊँखि).
अतने में एगो लइका बुझवलसि- कटोरा प कटोरा, बेटा बापो से गोरा.
एकरो जबाब सभे दे दिहल- नरियर (नारियल). ऊ फेरु बुझवलसि-
मुँह में आगी, पेट में पानी,
जे बूझे ऊ बड़का ज्ञानी.
सभ सोचते रहे तले काकी बता दिहली- हुक्का.
तले एगो लइका बुझवलसि-
“लाल गाइ, खर खाइ, पानी पिए मर जाइ. ” ओकरा बोलत-बोलत में सभ जवाब दे दिहल- आग.
तब एगो लइका अपना किताब के एगो पहेली सुनवलसि-
“हरी थी, मन भरी थी, राजा जी के बाग में दोशाला ओढ़े खड़ी थी. ” ओकरो जबाब आसानी से मिल गइल- भुट्टा माने मकई के बाल.
अंत में काकी एगो बुझउअल बुझवली आ अपनहीं जबाबो दिहली-
अस्सी कोस के पोखरा, चौरासी कोस के घाट,
बजर परो पोखरा कि पंडुक पियासल जात. (शीत माने ओस)
————————————————
संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817
ई मेल : rmishravimal@gmail.com

0 Comments