– – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
#भोजपुरिया-चिट्ठी #विरोध #तुलसी-के-राछछ
आइल भोजपुरिया चिट्ठी
तुलसी के राछछ
काकी का इंतजार के घड़ी खतम भइल. “हँ त लभेरन बताव, गोस्वामी जी केकरा के सही में राछछ कहले बाड़े ?” लभेरन गंभीर हो गइले- काकी, एहमें त कवनो संदेह नइखे कि राम-रावन के कथानक पौराणिक सच बाटे, बाकिर ईहो ओतने सच बा कि मुगल सासकन के भी गोस्वामी जी रावने आ उनुकर सहयोगी राछछ मानत रहले हा. भलहीं ई बात ऊ खुलिके कबो ना कहले बाकिर परोक्ष रूप से त कहलहीं बाड़े.
अब देखीं, यदुनाथ सरकार के इतिहास ग्रंथ ‘मुगल एडमिनिस्टेशन’ का आधार पर कहल जा सकता कि ओह घरी सभ सामंत का मृत्यु पर ओकर संपत्ति हड़प लेबे के प्रथा का कारन अनेकानेक हिन्दुअन के उच्छेद होखत रहे. सरदार का मरते ओकर जमीन राजा के हो जात रहे आ ओकर परिणाम ई होखत रहे कि अनेकानेक परिवार अनाथ हो जात रहे. ओह लोगन के भीख माङे का अलावे अउर कवनो चारा ना रहे. किसानन के बड़ से बड़ जरूरतन के नजरंदाज कइके कर आ लगान वसूल कइल जात रहे. लगान वसूल करेवाला छोटहनो कर्मचारी चोर-लुटेरा नियन एह गरीबन के नोचत-खसोटत रहन स. एक से एक अन्यायपूर्ण अबवाब लगावल गइल रहे, जवना के किसान देत-देत परेशान रहत रहन।
अब एकरा बाद का कहबि कि मुगल राज में राजा रघु भा दिलीप नियन शासन चलत रहे ? ई कुल लच्छन राछछे के नु हटे! अउर सुनीं. भीषण परधन-अपहरण का सङहीं पराया मेहरारुओ के अपहरण मुगल शासन में खूब भइल. एकरा संबंध में डॉ० स्टेनली लेनपूल का किताबि ‘मेडर्ईबल इंडिया अंडर मोहम्डन रूल’ से सूचना मिलत बा कि अकबर का हरम में पाँच हजार सुंदर मेहरारू रही सन. आ एकरा में प्रो. बेनी प्रसाद का ‘हिस्ट्री आव जहाँगीर’ के एगो तथ्यगत अंश के जोड़ि लीं त पूरा पिक्चर अपने क्लियर हो जाई. उहाँ का इशारा करतानी कि जहाँगीर के पितृ विरोध त इतिहास-प्रसिद्ध बाटे. अब बताईं अउरू कुछ बाँचल बा ?
गोस्वामी जी ओह परिस्थितियन के ओकरा समग्रता में देखले बाड़न आ रामचरितमानस में एह तरह से अंकित कइले बाड़न –
बाढ़े खल बहु चोर जुआरा.
जे लंपट परधन परदारा॥
मानहिं मातु पिता नहिं देवा.
साधुन्ह सन करवावहिं सेवा॥
जिन्ह के यह आचरन भवानी.
ते जानेहु निसिचर सब प्रानी॥
अब त हम साफे-साफ लिख देले बानी, बलुक बाप-बेटा के नाँवो बता देले बानी. अब ढेर संदेह में जनि पड़ीं. ई कलिजुग हटे, राम-राम कहीं; ऊ सुंदर ताली हटे, ओकरा से संदेह के दूर भगाईं.
राम नाम सुंदर करतारी.
संशय बिहग उड़ावनहारी॥
अब काकी लभेरने पर परि गइली. आच्छा ई बताव कि तू अतना नीमन-नीमन ग्यान के बात बतावतार आ तोहार नाँव लभेरन काहें परल ? कवनो लभ-ओभ के बात त नइखे ? लभेरन मुसकइले आ फेरु गंभीर हो गइले.
रउरा सभ का आसिरबाद से हम लभ-ओभ का चक्कर में कबो ना परलीं. बचपन में हम पाँक-पानी में खूब खेलत रहीं, हमरा पाँकी से घिन ना आवे. जब ओसहीं लेटाइल घर लवटीं त हमार कपड़ा गंदा होखल रहत रहे आ पूरा शरीर में माटी-पाँकी लभराइल रही. जब बार-बार समुझवलो पर हमरा में कवनो बदलाव ना आइल त घर के लोग हमार नाँव लभेरन राखि दिहल।
हम कहतानी कि ई हमार बचपन के गलती रहे, अब बड़ भइला पर त हम नइखीं नू करत बाकिर आजु-काल्हु लइकन का सङहीं पढ़ल-लिखल बड़ो बुजुर्ग ई का करतारे ?
काकी के ध्यान भंग भइल- का ? तनी खुलि के कह!
आरे, बर्थडे सेलिब्रेशन! एगो त हमनी का दीया बरला का बाद मुँह से फूँकि के बुतावल नीमन ना मानीं जा, ऊपर से अंडा मिलल केक काटल काहाँ के शुभ बात भइल ? अउर त अउर, केक खाइके अपना मुँह में त लभेरत बाड़े लोग आ दोसरो के नइखन छोड़त, उनुको मुँह में लभेरि देतारन. ई फगुआ का कादो कींच लगवला से कम बा का ? बानर नियन मुँह बना के लोग फोटो खिंचावत बाड़न आ अपलोडो करतारन. अब रउरे बताईं, ई लोग काहें ना लभेरन कहाई ?
काकी उबियाये लगली. उनुको बाल-बच्चा ईहे करम करत रहे.
ऊ पुछली – अब बताव, कलिजुग में भगवान के अवतार कब होई ? लभेरन बोलले- धरती पर जब ढेर पाप बढ़ि जाला त कवनो ना कवनो रूप में भगवान आइए नु जाले. अब रउरा ई नइखे बुझात कि लगभग 500 बरिस से अपने मंदिर में उपेक्षित रामजी के अब जाके तनी मन लाएक ठाँव मिलल बा ? अइसहीं काशी में बिसनाथ जी…. त मानिके चलीं कि अब भगवान के इच्छा हो गइल बा, एहसे अत्याचार के दमन का सङहीं धर्म का स्थापना के काम भी भारत का अलावे दोसरो देसन में शुरू हो गइल बा. जे समय रहते चीन्हि लिही आ भगवान के दरसन क लिही, ओकर जीवन धन्य हो जाई. रउरा ई काहें नइखे लउकत कि ऊहे भारत जे कई बरिस तक गुलाम रहे, आजु सर उठाके, छाती तानिके चलता, आँखि में आँखि मिलाके बात करता. जे बिना कवनो स्वारथ के पूरा संसार के सुखी आ समृद्ध देखल चाहे, ऊ एकमात्र भारते बा. आज के भारत बहुत बदलि गइल बा काकी!
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संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817
ई मेल : rmishravimal@gmail.com
विमल जी के लिखल ई स्तम्भ महाराष्ट्र के हिन्दी समाचार पत्र यशोभूमि में सोमार का दिने छपल करेला. हमरा निहोरा पर विमल जी एह सामग्री के एहिजो अंजोर करे ला भेजत रहब. चूंकि ई सगरी लेख एहिजा देरी से आइल बा त कुछ कड़ी हो सकेला कि हाल-फिलहाल से कटल होखो. बाकिर कुछ समय बाद ई साथ धर ली एकर उमेद बा.
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