– अंजोरिया डेस्क
#शेयर-चर्चा #स्टॉप-लॉस
रहे न जब सुख के दिन ही तो …
every-night-does-not-have-a-morning
पुरान उक्ति ह कि –
रहे न जब सुख के दिन ही तो
कट जायेंगे दुख के दिन भी.
एह मथैला पर चरचा करे के मौका कहीं भा बहाना कि पिछला हफ्ता शेयर बाजार के दिन बहुते खराब रहल बा. हालांकि खराब दिन बतावे का पीछे दृष्टिदोष कहल जा सकेला. काहे कि एही दौरान बिकवाल जम के मुनाफा कटले बाड़ें. ऊ फिल्मी गीत हवे नू कि –
हारेगा जब कोई बाजी
तभी तो होगी किसी की जीत.
दोस्त यही दुनिया की रीत.
अब एहिजा दुनिया के जगहा शेयर बाजार राख दीं त ओहिजो खातिर ई बात सौ फीसदी सही होखी.
सोचे के बात आखिर ई बा कि हमनी का एह मुसीबत में फँसेनी सँ कइसे? पहिलहूं कई बेर कह चुकल बानी कि निवेशक आ वणिक, इंवेस्टर आ ट्रेडर, में फरक होला. आ एह फरक के हमनिये का गडमड कर दिहिलें जा. निवेशकन के एह से कवनो फरक ना पड़े कि बाजार के लहर ज्वार पर बा कि भाटा पर. ऊ त आपन पूंजी लगा के निश्चिन्त बा. ऊ संपत्ति निर्माण में लागल बा. जइसे आदमी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट कर के निश्चिन्त हो जाला कि एह पइसा के बढ़ावे के जिम्मेदारी अब बैंक पर बा. उहे सोचो कि कइसे बढ़ाई. निवेशको आपन निवेश कर के निश्चिन्त हो जालें कि अब ई बाजार के देखे के बा कि कइसे ओकर संपत्ति बढ़ो. कंपनी आपन मुनाफा बढ़ावे के कोशिश करबे करी. आ ओकरा चलते हमरो पूँजी में बढ़ोतरी होखत जाई.
असल दिक्कत वणिकन का साथे बा. ऊ चलेलें त वणिकाई करे बाकिर जब सौदा गलत होखे लागेला त ऊ निवेशक बन जालें. जबकि होखे के चाहीं कि वणिक कवनो स्टॉक विशेष से प्यार ना करे. ओकरा खातिर त आपन पूंजी के सुरक्षा आ आपन खरचा निकाले के चिंता मुख्य मुद्दा होखे के चाहीं. सभे जानेला कि बाजार में, मतलब कि शेयर बाजार में, कुछऊ हो सकेला. ऊंट कवना करवट बइठी ई त केहू ना बता पावे. आ शेयरो बाजार कब कवन करवट ले ली एकरो पता केहू के ना रहे. लाग गइल त तुक्का वाला अंदाज में सगरी जानकार आपन जानकारी के प्रदर्शन करेलें. जबकि असल बात ई बा कि अगर ओह जानकार के अपना जानकारी पर अतना भरोसा हो जाव त ऊ आपन जानकारी साझा करे के बेवकूफी ना करी. होखेला ई कि ऊ जानकार आपन निजी हित साधे खातिर राउर इस्तेमाल करेलें. उनुका अगर कुछ बेचे के होखी त बतावे लगीहें कि एह स्टॉक में तेजी होखे वाला बा. उनुकर बात माने वालन के तादात जतना बड़ होखी ओतने सफलता उनुका मिल जाई. जब उनकर बात माने-सुने वाला लोग ओह स्टॉक में पइसे लागी त ओकर भाव बढ़हीं के बा. आ जब भाव बढ़ जाई त ऊ जानकार आपन सौदा काट लिहें. अगर कुछ खरीदे के होखी त ई जानकार हमेशा ओह स्टॉक के कमी बतावत रहीहें जेहसे कि ओहमें बिकवाली बढ़े आ ऊ ओह स्टॉक के नीचे का भाव पर खरीद पइहें. एहसे एह गलतफहमी में मत रहीं कि चैनल पर, फोन पर, जवना जानकार रउरा के सलाह भा टिप्स दे रहल बा ऊ राउर भलाई चाहत बा.
आगे बढ़े से पहिले एक बेर फेरू रेघरिया दीहल चाहत बानी कि हमार ई चरचा निवेशकन खातिर हइले नइखे. हम त बस वणिकाई का नजरिया से चरचा करत बानी.
जहिया हम तय कर लिहनी कि हमरा वणिकई करे के बा कि निवेश ओही दिने हम अपना सफलता के राह बनावल शुरु कर देब. एहसे अगर रउरा आपन पूंजी लगवले बानी कि ऊ संपति का रूप में रही तब एहिजा से आगे पढ़ला के जरुरत नइखे. बाकिर अगर रउरा चाहत बानी कि रउरा कुछ आमदनी बना सकीं, आपन आजीविका कमा सकीं तबे आगे पढ़ीं ना त एहिजे हमार नमस्कार स्वीकार कर ली.
वणिकई करे ला पूँजी, सही स्टॉक के चुनल, सही समय पर पइसल आ सही समय पर निकसल, इहे तीन गो बात के जरुरत होला. कमाई करे खातिर अगर पूंजी नइखे त रउरा श्रम करहीं के पड़ी. बाकिर पूंजी बा त ओकरा भरोसे बिना कवनो परिश्रम के कमाई करे के रास्ता मिल सकेला. अगर रउरा तय कर लीं कि रउरा करे के का बा? रियल इस्टेट, बुलियन, करेंसी, कमोडिटी, स्टॉक आ कि डेरिवेटिव. सबले पहिले एह सवाल के जबाब तय कर लीं. आ तब तय करीं कि कवना तरह के वणिकई करे के बा. स्काल्पिंग, डे-ट्रेडिंग, आ कि स्विंग ट्रेडिंग. सभकर तरीका अलग होखी. स्काल्पिंग में सबले बेसी पूंजी के जरुरत होखी आ फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट वाला तरीका पर चले के होखी. डे-ट्रेडिंग करे खातिर रउरा लगे समय, प्रतिबद्धता, आ साहस के जरुरत पड़ी. डे-ट्रेडिंग करे वाला का लगे ईगो ना होखे के चाहीं. ओकर सबले बड़का दुश्मन ओकर ईगो होला. बाजार में कुछऊ हो सकेला आ ओकर कवनो अनुमान गलत हो सकेला एकरा के मनला बिना डे-ट्रेडिंग कइल बेवकूफी होखेला. अगर रउरा घाटा देख के कगरिया ना सकीं त घाट पर अइला के जरुरत नइखे. नदी में कूदे से पहिले देख लीं कि रउरा ओकरा के पार कर सकेनी कि ना. आ चकोह देखते वापस हो जाए के पड़ी. स्विंग ट्रेडिंग करे वाला थोड़ बहुत जोखिम ले सकेला बशर्ते ओकरा लगे धैर्य करे के क्षमता होखे. काहे कि ई धैर्य कतना लमहर खींचे के पड़ी एकरा के पहिले से ना जानल जा सके. बाकिर ओकरो तय करे के पड़ी कि कब झूला से उतर गइल सही होखी. कतना तक नुकसान उठाएब आ कतना मिली तब मुनाफा काट लेब, एकरा के तय कर के राखे के पड़ी आ ओही हिसाब से आपन सौदा करे भा काटे के होखी.
स्काल्पिंग, डे-ट्रेडिंग, आ कि स्विंग ट्रेडिंग तीनों में बहुत समानता होला. अंतर होला त बस पूंजी के आ तेज गति से फैसला लेबे के क्षमता में. आगे हम अब डे-ट्रेडिंग का हिसाब से चरचा करब.
अगर रउरा तय कर लिहनी कि हमरा डे-ट्रेडिंग करे के बा त पहिले आपन बेंवत के आकलन कर लीं. एकरा बाद तय करीं कि स्टॉक मे ट्रेड करे के बा कि डेरिवेटिव में. स्टॉक आ डेरिवेटिव में सबले बड़का आ खास फरक होला कि डेरिवेटिव के रात के सबेरा ना होखे. स्टॉक के रात लमहर हो सकेला बाकिर एक ना एक समय ओकर सबेरा होखहीं के बा. एहसे अगर रउरा नुकसान उठावे के साहस ना होखे त डेरिवेटिव में ट्रेड मत करीं. डेरिवेटिव ट्रेडिंग में सेबी (SEBI) चेतावत रहेला कि नब्बे फीसदी लोग एहमें नुकसान उठावेला. काहे कि ओह लोग के ई ना मालूम होखे भा माने के तइयार ना होखेलें कि एह रात के सबेरा नइखे होखे वाला. जिन्दगी न मिलेगी दुबारा.
त फेर लोग डेरिवेटिव ट्रेडिंग करे ला काहे? एह सवाल के जबाब खोजल फायदेमन्द होखी. स्टॉक आ डेरिवेटिव ट्रेडिंग में सबले बड़हन अन्तर पड़ेला पूंजी के जरुरत के. डे-ट्रेडिंग में अमूमन आधा से एक प्रतिशत पर सौदा कइलो जाला आ काटियो लीहल जाव. आ ई आधा आ एक प्रतिशत के मात्रा अगर कम रहल तब ब्रोकिंग आ बाकी चार्जन का चलते राउर सौदा लाभ में ना आ सकी. काहे कि एक सौ के ट्रेड करीं भा एक करोड़ के ब्रोकिंग चार्ज ओतने होखी. हँ बाकी चार्जन में थोड़का अन्तर जरुर होखी. बाकिर ब्रोकिंग चार्ज सबले बड़का मुद्दा होला. आ एही चलते अधिकतर लोग फुल सर्विस ब्रोकर से बेसी डिस्काउंट ब्रोकर का साथे चलेला. आ एही ब्रोकिंग चार्जन का चलते लोग डेरिवेटिव ट्रेडिंग में उतरेला. ओह लोग के लागेला कि पाँच दस बीस हजार में काम लायक मुनाफा हो जाई. भुला जालें कि डेरिवेटिव के हर सौदा पन्द्रह से बीस लाख रुपिया के होला. फ्यूचर से बेसी लिवरेज मिल जाला आप्शन में एहसे कम पूंजी वाला लोग आप्शन के आप्शन चुन लेला!
अब मान लीं कि रउरा आप्शन के एक लॉट खरीदनी. ऊ सौदा करे में हो सकेला कि रउरा बहुते कम प्रीमियम देबे के पड़े. बाकिर जवने प्रीमियम होखे पूरा के पूरा बिलाए में देर ना लागे. काहे कि आप्शन के तौर तरीका बनावले गइल बा अइसन कि एहमें खरीदे वाला घाटा में रहो आ बेचे वाला मुनाफा में. खरीदे वाला के जब तब छोट छोट मुनाफा होखत रही बाकिर जब घाटा होखी त पूरा के पूरा प्रीमियम साफ हो जाई. जबकि बेचे वाला अधिकतर बेर मुनाफा में रहेला. कभिए कभार ओकरा घाटा उठावे के पड़ेला. एकरा पाछे सबले बड़का कारण होला कि ऊ बहुते कम मुनाफा में काम करेला. ऊ दू लाख लगा के एक लॉट बेच पावेला जबकि खरीदे वाला ओह लॉट के बहुते कम – पाँच, दस, बीस हजार – में खरीद पावेला. आ बेचे वाला के एक फीसदी मुनाफा भइल त ऊ दू हजार कमा ली जबकी अगर खरीदे वाला एक फिसदी मुनाफा पर सौदा काटे लागी त ओहसे बेसी के खरचा हो जाई तरह तरह के चार्जन में. आ एही सोच का चलते आप्शन खरीद लेला लोग कि चलऽ घाटा होखी त पाँच, दस, बीस हजार के आ अगर दाँव सही पड़ गइल तब पचास फीसदी से दू सौ फीसदी तक के मुनाफा हो सकेला. आ इहे सोच ओकरा के तइयार करा के राखेला कि ऊ खुशी खुशी नुकसान उठावत रहे.
आप्शन खरीदे वाला भा डे-ट्रेडिंग करे वाला तरह तरह के रणनीति आ संकेतन के खोजत रहेला. जबकि कवनो संकेतक, कवनो रणनीति शत प्रतिशत लाभ कबो ना दे पावे. जहिया रउरा ई मान लेब कि घाटा के उमेद सबमें बा ओही दिन से रउरा एह तलाश में भटकल बन्द कर देब. घाटा के सबले बड़हन कारण रउरा खुद बानी. रउरे चलते रउरा घाटा होखत बा आ रउऱा चाहत बानी कि घाटा में रहीं. जहिया एह सचाई के सकार लेब तहिये से राउऱ दिन पलटल शुरु हो जाई.
आगे बढ़े से पहिले एगो स्वीकारोक्ति! ई सब बात हम रउरा के बतावत काहे बानी? असल मे हम रउरा के नइखीं बतावत. हम बस अपना सोच के लिपिबद्ध करत बानी. हम असल में अपना के तइयार करत बानी कि कवना राहे चलीं. अबहीं ले हम हजारन तरीका से घाटा उठा चुकल बानी. आजु से हम तरीका खोजल बन्द करत बानी. रउरो नया नया तरीका खोजल बन्द कर दीं. कवनो एगो तरीका तय कर लीं आ फेर ओही पर टिकल रहीं. तलवार का डरे सलवार खोलल बन्द कर दीं. मूड़ी कटा जाव त कटा जाव आपन पंथ मत छोड़ीं. जहिया रउरा ई तय कर लेब कि मूड़ी कटइला के डर नइखे ओही दिन से राउर मूड़ी कटाए के संभावना खतम हो जाई. वणिकई में एह बात के गाँठ बान्ह लीं कि रउरा बस में बस नुकसान के सीमा बा. मुनाफा कतना आ कब मिली ई बाजार का ऊपर बा. एहसे सौदा करे से पहिले तय कर लीं कि एह सौदा में कतना नुकसान बरदाश्त कर सकीलें. आ स्टॉप-लॉस लीहल शुरु कर दीं. लगाईं चाहे ना बाकिर स्टॉप-लॉस तय जरुर कर लीं. आ मान लीं कि स्टॉप-लॉस लगा के राखल लमहर अवधि में रउरा ला फायदेमन्द रही. आ एह स्टॉप लॉस के दुगुना मुनाफा हो जाव त या त मुनाफा काट लीं या आपन स्टॉप लॉस अब नया स्तर पर लगा दीं. शुरुआत मेंं मुनाफा काट लेबे के आदत बना लीं. एक बेर जब ई आदत बन जाई तब धीरे धीेरे आपन मुनाफा के दायरा बढ़ावत रहीं. बाकिर कवनो हालत में अपना औकात से बेसी के सौदा मत करीं.
शुभ कामना दीं सभे हमरा के कि हम अपना एह बात पर कायम रह जाईं.
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