पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
– रामसागर सिंह
#भोजपुरी-कविता #रामसागर सिंह
दिखावा के हाहर में सभे उधियाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता,
अब रीति रिवाज ना संस्कार बाँची
देख के घर बहरी अब इहे बुझाता!
देखल देखावल आ कइल छेंकाई,
नया पर चलन चलल बा सगाई,
शुरुवे से बेटिहा के रोंवा गिनाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
बा कोना में परल कहीं टिमकीतासा,
हे भदई ब काकी के टुटल बा आशा,
अब देखीं नगाड़ा पर मानर पुजाता..
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
गँउआ के इनरा भरा गइल कहिये,
इनरा से ढेंकुल खोला गइल कहिये,
चापाकल से शादी में कलशा भराता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
करत बा सभे जेकर जवन बा मरजी,
कहे खातिर अब त चढ़त बाटे हरदी,
हरदिया छुआ के अब मेंहदी छपाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
मैरेज हवल के बा चलल चालानी,
जगहा बा कम परल घरवा बाथानी,
अँगना में कहँवा अब माड़ो छवाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
भोरे भोरे दुल्हिन के होखे विदाई,
गवना आ दोंगा त गइल भुलाई,
बिआहे में अब सब पुरती दिआता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
गिनती के खातिर बा हित मित संगत,
जाने कहँवा पराइल प्रीत पाँत पंगत,
खड़े खड़े लोगवा अब मांगि के खाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
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उ दही चिउरा पुड़ी के संग में मिठाई,
दीया बारी खोजब ना कतहुँ भेंटाई,
नाम हिन्दू के बा बाकिर मुर्गा भुजाता,
पुरखन के थाती इ असहीं बिलाता!
के जनले रहे कि अइसन बाढ़ आई,
सब रीति रिवाज नीति नियम दहाई,
“रामसागर” नाव के पतवारे ना पाता,
पुरखन के थाती इ अबहीं बिलाता!
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रामसागर सिंह
सिवान, बिहार
वर्तमान: सुरत, गुजरात.
मोबाइल : 8156077577
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