बाप के नाम साग-पात बेटा के परोरा

बाप के नाम साग-पात बेटा के परोरा
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– टीम अंजोरिया

#भोजपुरी-कहावत #राजनीति #बिहार-चुनाव #नौकरी-का-बदले-जमीन

भोजपुरी में कहावतन के अनहद भंडार बा आ करीब करीब हर बाति ला भा हर हालात ला कवनो ना कवनो कहावत मिल जाई. भोजपुरी कहावतन के एगो बानगी देखे के होखे त पुरनका अंजोरिया पर प्रकाशित संग्रह देख लीं.

अब जाने के ई बा कि आजु अचके में ई कहावत कइसे आ गइल मथैला बनि के? त एकरा पाछा राजद नेता तेजस्वी यादव के वादा बा कि सरकार बनवला का बाद ऊ हर परिवार के एक बेकत के सरकारी नौकरी दे दिहें. अब हमरा एह से कवनो मतलब नइखे कि नौंवी फेल बतावल जात एह नेता के अंकगणित कइसन बा, भा अर्थनीति के समुझ केतना बा. काहे कि हर परिवार से एक आदमी के सरकारी नौकरी देबे के वादा कवनो तरह से संभव नइखे. हँ सरकार हर परिवार के एक आदमी भा औरत के बेरोजगारी भत्ता दे सकेले बशर्ते बिहार के आर्थिक ताकत ओकर इजाजत देव.

त सोचे वाली बाति बा कि तेजस्वी ई वादा कइलन काहें? असल में ऊ भोजपुरी कहावत कि ‘बाप के नाम साग-पात बेटा के परोरा’ सही साबित कइल चाहत बाड़न. उनुका निकहा मालूम बा कि चारा घोटाला में सजा याफ्ता मुजरिम बन चुकल लालू प्रसाद के जेल के सजा भुगतल बाकी बा काहें कि अदालत उनुका के जमानत पर रिहा कर दिहले बिया. अब अदालत पर त सवाल उठावल ना जा सके, बाकिर समरथ के नहीं दोष गुसाईं वाला कहावत का अनुसार कवनो अपराधी देश के अदालतन से अपना मन मरजी के आदेश पारित करवा सकेला बशर्ते ओकरा लगे वइसन वकील होखसु जे जज के जानत होखसु;-).

चारा घोटाला के सजायाफ्ता मुजरिम लालू प्रसाद के अबहीं बहुत कुछ भुगतल बाकी बा. ओही सब में उनुकर ऊ घोटाला बा जब ऊ मनमोहन सरकार में रेलमंत्री रहते कई लोगन के सरकारी नौकरी दे दीहलन रेलवे में आ ओकरा एवज में औकरा परिवार से कुछ जमीन अपना परिवार का बेकतन का नामे लिखवा लिहलन. सीबीआई एह मामिला के जाँच सितम्बर 2021 से कर रहल बिया. आपराधिक षडयन्त्र वाली धारा आईपीसी 120-बी का तहत. एह मामिला में आरोप बा कि रेलमंत्री रहला का दौरान लालू प्रसाद कुछ लोगन से जमीन अपना नामे करवा के रेलवे में नौकरी दिवा दीहलन. अब अदालत में लालू परिवार पर चार्जशीट दाखिल हो गइल बा आ पहिला नजर में एह केस के ओपन आ शट केस बतावल जा रहल बा. काहें कि एह केस में सगरी सुबूत के दस्तावेज मौजूद बा.

आ एहिजे ऊ कहावत ईयाद आ गइल कि बाप के नाम साग-पात बेटा के परोरा. तेजस्वी सोचलन कि जब उनुकर बाबूजी लालू प्रसाद अतना आराम से लोग से नौकरी का बदले जमीन लिखवा लीहलन त काहें ना ऊ बिहार के हर परिवार के एक सदस्य के नौकरी देबे का ऐवज में हर परिवार से कुछ जमीन अपना नामे लिखवा लेसु! सोचीं कि अगर तेजस्वी के ई योजना सफल हो गइल त नौकरी पावे वाला लोगन के तनखाह मिले भा ना, बिहार सरकार के दिवाला निकले भा ना, तेजस्वी पूरा दुनिया के सबले बड़का भूपति बन जइहन. उनुका लगे बिहार में ओतना जमीन हो जाई जतना एह देश में रेलवे आ सेना के त बाते छोड़ दीं वक्फो का लगे ओतना जमीन ना होखी. आ लोग तेजस्वी के नौंवी फेल बतावेला! हमरा त ओह लोगन पर तरस आवत बा. आ इरखा होखी राहुल के जीजा के जे तहरे से रुपिया ले के तहरे जमीन तहरे नामे लिखवा देबे के बुद्धि राखेलें!

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