– टीम अंजोरिया
#जूता #अदालत #सनातन-के-अपमान
संतोष भइल कि अफसोस
satisfaction or disappointment
आजु देश के सुप्रीम कोर्ट के चीफ जज वाला अदालत में एगो अइसन घटना घटल जवन आजु ले ना भइल रहल. आ एह घटना पर दू तरह के प्रतिक्रिया आवत बा. कुछ लोग के संतोष बा कि चलऽ कम से कम जूता चलल त, बाकिर एह लोग के अफसोस एह बात के बा कि जूता लागल ना! दोसरा तरफ कुछ लोग के संतोष बा कि जूता लागल ना बाकिर ओह लोग के अफसोस बा कि बात इहां ले चहुँप गइल कि जूता चलावे के नौबत आ गइल.
अब रउरा बताईं कि रउरा संतोष बा कि अफसोस? आ कि दुनो!
हम त बस अतने कहब कि जनता के आक्रोश एक ना एक दिन विस्फोट करबे करी. अदालत में जजी का न्याय पर जवन कुछ हो रहल बा तवना से बहुते लोग निराश बा. अपना देश के जजी अतना गिर चुकल बा कि एकरा हिन्दू धर्म भा सनातन के आस्था पर चोट करे वालन से हमेशा सहानुभूति रहेला आ ई खुदहु हिन्दू आस्था के चोटिल करे में संकोच ना करे बाद में सफाई भलही दे देव कि ई सगरी धरमन के सम्मान करेला.
अगर सगरी धरमन के सम्मान करे के दावा करे वाला चीफ जज अपना फैसला का साथे जुड़ल टिप्पणी में सनातन आस्था के चोट ना चहुँपवले रहतन त शायद अइसन कुछ ना भइल रहीत. एगो अपील उनुका सोझा आइल रहुवे कि खजुराहो के एगो मंदिर में भगवान विष्णु के जवन खंडित प्रतिमा बा ओकर पुनर्निर्माण करे के आदेश देव अदालत. जज का सोझा आसान रास्ता रहुवे कि ऊ अपील खारिज कर देतन अतने कहि के ई पुरातत्व विभाग के कार्यक्षेत्र में बा आ एह में अदालत कवनो तरह के दखल ना दी त बात आइल गइल हो गइल रहीत. बाकिर ना! जज के त घमंड रहुवे कि ऊ जवन चाहे तवन कहि सकेलें आ कह दिहलें कि भगवान विष्णु के अतने बड़हन भक्त हउवऽ त जा उनुके प्रार्थना करऽ कि मूर्ति फेर से बनवा देसु. अब जज के एह बक ोदी के विरोध होखहीं के रहल आ जम के भइल. बाद में जज अतने कहि के रहि गइलन कि उनुका बाति के गलत तरीका से पेश कइल जा रहल बा आ ऊ हर धरम के सम्मान करेलें. बाकिर बाद में जब एगो अपील अउरी आइल कि पिछला टिप्पणी के हटा दीहल जाव त ओहू अपील के खारिज कर दीहल गइल. अगर जज आ जजी हर धरम के सम्मान करेला त ओह टिप्पणी के रिकार्ड से हटा दीहला में कवन हरज रहुवे? बाकिर ना, जज साहब के बकैती के केहू कइसे हटा सकेला. एह लोग के त बाप के राज चलेला आ ई लोग कुछऊ कह सकेला. ई लोग राष्ट्रपति तक के आदेश दे सकेला कि तीन महीना का भीतर फैसला कर देसु ना त अदालत खुद फैसला कर दी. अरे जज साहबान, रउरा सभे का अदालतन में कतना हजार, कतना लाख केस लटकल बा बरीसन से जुगन से त पहिले ओकरे फैसला कर दीं सभे. पहिले अपने समय सीमा तय कर दीं सभे. बाकिर ना! जज साहब लोग त संविधानो से ऊपर हो गइल बा. ई लोग संविधान के मनमौजी व्याख्या कर सकेला, संविधान में जवना के कतहीं चरचो नइखे ओकरो पर कानून बना सकेला. ई लोग देश के संसद, सार्वभौम जनतो से ऊपर के हवे आ एह लोग के कहल कवनो बात पर केहू के सवाल करे के अधिकार नइखे.
एक जमाना उहो रहल जब आम मनई अदालत पर कुछ कहे से हमेशा कतरात रहुवे कि का जाने कवना तरीका से कोर्ट के अवमानना के अपराध लाग जाई. बाकिर जब सुप्रीम कोर्ट ई मान लिहलसि कि फलनवां वकील अदालत के अपमान कइले बाड़न त उनुका पर एक रुपिया के जुर्माना लगा दिहलसि. आ पता ना उहो एक रुपिया ऊ वकील जमा कइलन कि ना?
त जब अदालत अपना अपमान के जुर्माना एक रुपिया मान लिहलसि त आम जनता के इहे लागल कि ई ओकरो जोग नइखे. एकाध बेर के बात होखो त लोग नजरअंदाजो कर दीत. बाकिर ई त रोज रोज के बात हो गइल. जनता के आक्रोश के ज्वालामुखी त एक ना एक दिन फटहीं के बा. आजु जूता चलावल गइल काल्हु कुछ अउर चलावल जाई. आपन आदत ना सुधारब सभे त हो सकेला कि आवे वाला दिनन में अउरी बहुत कुछ देखे सुने भुगते के पड़ि जाव.
सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान! जूता मारे वाला अधिवक्ता के लगावल ई नारा पूरा देश में गूंज रहल बा!
आ चलत चलत हम रोक नइखीं पावत एगो गैर हिन्दू अधिवक्ता के चैनल पर प्रसारित आजु के वीडियो जवना में ऊ साफ कहले बाड़न कि हिन्दू आस्था के अपमान का खिलाफ संगठित विरोध काहे ना होखे आ काहे लोग हिन्दू आस्था पर चोट करे से अपना के रोके ना. रउरो सुन लीं उनुकर बात –
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