तब सरस्वती जी नदी में बदलि गइली

तब सरस्वती जी नदी में बदलि गइली
story of Saraswati river

– – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल

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सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-13

आइल भोजपुरिया चिट्ठी

तब सरस्वती जी नदी में बदलि गइली

आजु लभेरन मूड में रहन. हँसी-ठिठोली चलत रहे. केंद्र में काकी आ काका रहन. काकी लूगा से मुँह तोपि के हँसत रहली. लभेरन शाहीन बाग का घटना प काकी जवन जिद धइले रही, ऊ बात उठा देले रहन. काका भी मुस्किया-मुस्किया के रस लेत रहन.

रातिए से काकी जिदिआइल बाड़ी कि हमहूँ दिल्ली चलबि. जब से सुनले बाड़ी कि दिल्ली का कवनो बाग में मेहरारू सभ बनि-ठनि के फोटो खिंचावतारी सन, ऊ त जइसे धरना-अठान परि गइल बाड़ी. महेंदर भइया टुभुकले- ई कूल्हि कइल-धइल चरितरा के ह. ना ऊ अपना मोबाइल में उनुका के फेसबुकिया फोटो देखाइत, नु ऊ धरना-अठान परिती.

काका समुझावत रहन. देख, अभी दिल्ली में बहुत ठंढा बा. अइसहीं तहरा गोड़-हाथ में दरद रहेला, दिल्ली के हवा लागी त पाक्का लकड़िया जइबू. ओइसहूँ ऊ बाग कवनो खास देखनउक बाग ना ह. ओहिजा लोग देखे खातिर ना अपना के देखावे खातिर माने प्रदर्शन खातिर गइल बा.

काकी ठुनुकली- आच्छा ! बाग-बगइचा देखे के चीज ना होला. त फेरु का होला देखे लाएक? लरिकाईं में त हमनीका बगइचे में ढेर रहत रहीं जा. ओहिजे झूला झूलीं जा, कजरी गाईं जा आ दोला-पाती खेलीं जा. ओहिजा हमनीका अँखिमुदउअलो खेलीं जा. गरमी में त गोटी, गोली-कनइला खेले आ लट्टू नचावे में साँझि हो जाई. घूमे-फिरे खातिर बाग-बगइचा से नीमन जगहि कवन होई जी?

काका आपन माथा धइले. कइसे समुझाईं तोहरा के? मनोरंजन खातिर जाएवाला लोग दु-चार घंटा में निकलि जाला . ओहिजा त जे एक बेरि ढुकि गइल ऊ निकलबे ना कइल, खास करके मेहरारू लोग. तू जइबू त तूहूँ हिलबू ना, हम जानतानी. तहार स्पेशल इंतजाम कहाँ से आ कइसे राखबि हम? आ ओहिजा धइले का बा? नू आम मिली नू अमरूधि, नू जामुन नू लीची. अइसहीं परहेज करत-करत आधा हो गइल बाड़ू, ओहिजा जइबू त पाक्का सुखा जइबू.

काकी कहली- माने एही खातिर हमार बाँहि धइले रहीं? बुढ़ारी में तनी दिल्ली के एगो बगइचा देखे जाएके का कहि दिहलीं, रउआँ त पूरा पुराने पराँचे लगलीं. जाए दीं, अब हम कबो कुछु ना कहबि. काकी अनसा के बइठि गइली. आँखि से टप-टप लोर चूए लागल. नाती-पोता घेरि लिहले सन काकी के. काका के त जइसे काठ मारि गइल. ऊ दिल्ली का ओरि मुँह कइके हाथ जोरले. जय हो दिल्ली, रउरा महिमा के जबाब नइखे.

काकी लभेरन के झिड़कली- अब छोड़ऽ ऊ कुल्हि बात. अब आजु का दिल्ली का बारे में बताव. ओहिजा कइसन चलता?

लभेरन बोलले- एकदम चकाचक. अबहिंए त ओहिजा छठ भइल हा जमुना किनारे. पहिले जमुना जी के लोग अतना ना प्रदूषित क देले रहन कि जमुना जी में का, उनुका किनऽरो पर केहूँ खड़ा ना होखल चाहत रहे.

काकी खुश हो गइली. बोलली कि जमुना जी में नहइला से मए पाप धोआ जाला. जे जमुना जी में नहा ली, ओकरा कवनो बेमारी ना होई आ ओकरा किहाँ आवे से यमराजो परहेज करिहें. आहो लभेरन, प्रयागराज जी का संगमो में त जमुना जी मिलेली. कहेला लोग कि ओहमें सरस्वती जी भी मिलेली. हमहूँ संगम नहइले बानी बाकिर कबो सरस्वती जी के पानी ना मिलल.

लभेरन समुझावे लगले. बहुत पहिले सरस्वती नदी भी रही, अब उनुकर सोता सूखि गइल बा भा अभी तक केहूँके पते नइखे चलल. अतना पता बा कि कबो सरस्वती जी के धारा बहुत तेज रहे.
“एकर मतलब जरूर केहूँ उनुका के सरपले होई. ” काकी आपन संदेह प्रकट कइली.

लभेरन हुँकारी भरले. ई ठीक कहलीं हा. पुरान मे एगो कथा आइल बा कि एक बेर दुर्वासा ऋषि वेद पढ़े खातिर ब्रह्मलोक गइले आ ब्रम्हा जी बिनती कइले. ब्रम्हा जी उनुका के वेद के ऋचा गाके सुनावे लगलन. बाकिर जब दुर्वासा ऋषि पीछा से दोहरावे लगलन त मोट आवाज का चलते उनुकर स्वर ठीक से ना लागत रहे. एकरा चलते वेद के ऋचन का उच्चारण में उनुका से बार-बार गलती होत रहे. ई देखिके जरिये बइठल सरस्वती जी दुर्वासा ऋषि पर हँसि दिहली. दुर्वासा ऋषि एकरा के आपन अपमान समझले आ खिझिया के ओही घरी सरस्वती देवी के श्राप दे दिहले कि जइसे हमार स्वर बार-बार बिखर जाता आ ठीक से नइखे लागत ओइसहीं तूहूँ धरती पर पानी बनिके बिखर जइबू. अतना कहते छने भर में सरस्वती जी नदी में बदलि गइली आ ब्रह्मलोक से गिरके धरती पर आ गइली.

एगो अउरी श्राप के कथा बा कि गणेश जी का आग्रह पर महर्षि वेदव्यास उनुका के सरस्वती नदी का किनारे महाभारत के कथा सुनावत रहन बाकिर नदी अपना बेगे में बहत रहे. बहाव के शोर का कारन महर्षि कथा ना सुना पावत रहन. ऊ देवी सरस्वती से आग्रह कइले कि रउआँ आपन वेग तनी कम क लीं, बाकिर सरस्वती देवी एह पर ध्यान ना दिहली. एकरा बाद क्रोध में महर्षि वेदव्यास उनुका के श्राप दे दिहले कि तू कलयुग के आवत-आवत विलुप्त हो जइबू. अब त ईहे मानल जात बा कि कल्कि अवतार का बादे फेरु से सरस्वती नदी के धरती पर आगमन होई.

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संपर्क : डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल, निकट- पिपरा प्राइमरी गवर्नमेंट स्कूल, देवनगर, पोल नं. 28
पो.- मनोहरपुर कछुआरा, पटना-800030 मो. 9831649817
ई मेल : rmishravimal@gmail.com

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