अछूत के कहानी

-(स्व॰) हीरा डोम हमनी के राति दिन दुखवा भोगत बानी हमनी के सहेबे से मिनती सुनाइबि हमनी के दुख भगवनवो न देखता जे हमनी के कब से कलेसवा उठाइबि पदरी सहेब के कचहरी मे जाइबि जा बेधरम होके रंगरेज बनि जाइबि हाय राम! धरम न छोड़त बनता बा जे...

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