Tag: अनुवाद

नीक-जबून- 4

डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी   चले दीं, प्रयोग बहे दीं धार काल्हु “ये दिल माँगे मोर” पर बहस होत रहे. हम कहलीं कि भाई ‘मोर’ का जगहा ‘और’ कहलो पर त कुछ बिगड़ी ना. फेर काहें एकर ओकालत करतारे लोग. हर भाषा में लिखे-पढ़ेवाला...

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एगो अनूदित कविता – "फतिंगा"

– संतोष कुमार अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी के मलयालम रचना (पुल्ककोदि) “फतिंगा” के अंगरेजी अनुवाद के भोजपुरी उल्था : आगि में कूदि के मरे खातिर भा आगिये खाए के लालसा में आगि भीरी जुटान कइ के दउडल जा रहल बाड़ें छोटहन...

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