Tag: कविता.

शरद सुहावन

– डाॅ. अशोक द्विवेदी रतिया झरेले जलबुनिया फजीरे बनि झालर झरे फेरु उतरेले भुइंयाँ किरिनियाँ सरेहिया में मोती चरे ! सुति उठि दउरेले नन्हकी उघारे गोड़े दादी धरे बुला एही रे नेहे हरसिंगरवा दुअरवा प’ रोजे झरे बुची...

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अशोक द्विवेदी के तेवरी

– डा0 अशोक द्विवेदी सुतल बा जागि के जे, ओके का जगइबऽ तूँ ? घीव गोंइठा में भला कतना ले सुखइबऽ तूँ ? बनल बा बेंग इहाँ कतने लोग कुइंयाँ के नदी, तलाब, समुन्दर के, का देखइबऽ तूँ । बा जरतपन के आगि पेट में सुनुगत कबसे उ अगर लहक...

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भकुआइल बबुआ

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी माटी के थाती छोड़ी जब से पराइल बा, नीमन बबुआ तभिए से भकुआइल बा ॥ जिनगी के अहार न विचार परसार टुटल घर आ दुआर बहत दुखे के बेयार । सोगहग नहीं कुछो कुल्हिए पिसाइल बा ॥ नीमन बबुआ….. हसी ठठा गइल...

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बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह

– जयशंकर प्रसाद द्विवेदी आजु हमरा के नियरा बईठा के बाबूजी बहुते कुछ समुझवनी ह । दुनियाँ – समाज के रहन सभ हमरा के विस्तार मे बतवनी ह ॥ बाबूजी बहुते कुछ…. राजनीति के रहतब-करतब एने-ओने के ताक-झाँक बोली-ठिठोली के मतलबो आ...

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ईशु स्मृति शोक गीत

चलि गइल छोड़ि कवन देसवा हो बाबू, मिले नाहिं कवनो सनेसवा हो बाबू।। गोदिये से गइल, अवाक् रह गइनीं कवनो ना बस चलल, का का ना कइनी कुहुके करेजवा कलेसवा हो बाबू।। बबुआ तुँ रहल, एह अँखिया के जोति तोहरे ला झरेला, नयनवा से मोती हूक उठे...

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