शपथ, कसम, किरिया, आ सौगन्ध (बतकुच्चन 158)

ओह दिन जब राष्ट्रपति महोदय देश के नयका प्रधानमंत्री के शपथ दिआवत रहलन त पूरा देश देखत रहे. केहु खुशी से त केहु निराशा से. कुछ लोग के त आतना कष्ट रहल कि उ लोग समारोह का ओर झाँकहु ना गइल. खैर. जे गइल ओकर मर्जी, जे ना गइल ओकर...

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