जबसे आइल बा मनरेगा, खेतिहर मजदूर मिलल दुश्वार हो ग‎इल

– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मनबोध मास्टर बहुत परेशान भइलें. खेत में खाड़ पाकल-फूटल फसल खड़ा रहल, कटिया खातिर मजदूर ना मिले. अरे भया! मजूर कहां से मिली? सब हजूर हो गइलन. दिल्ली-मुंबई जाके खटिहें लेकिन गांव में खटला में शरम...

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