भाई खातिर बहिन के घरौंदा
– ओ.पी. अमृतांशु मोर भईया बसेलें महंगा मनेर, ले ले अइह हो भईया कुलिया-चुकियावा ! हमरा हीं देशे बहिनी कुलिया महंग भइले, छोड़ देहूं ए बहिनी कुलिया-चुकियावा ! नाहिं छोडबो हो भईया कुलिया-चुकियावा , भरत बानी हो भईया तोहरो बधईया...
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