बजलऽ ऐ शंख बाकिर नायडूजी के पदा केे

एगो पुरान कविता केे पंक्ति हवेे कि – दुश्मनी ऐसी करो कि जब कभी हम दोस्त बन जाऐ तो शर्मिन्दा...

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