साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख (बतकुच्चन-201)
साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख. ना ना, बतावे के कवनो जरूरत नइखे कि हम गलत कहाउत कहत बानी. असल कहाउत हमरो मालूम बा बाकिर सेकुरल कब कवना बात प बवाल मचा दीहें केहु ना बता सके. आ मतलब बात समुझवला से बा, कहाउत के माने भा ओकरा...
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