– डॉ रामरक्षा मिश्र विमल
#आइल-भोजपुरिया-चिट्ठी #दशहरा #रावन
सोस्ती सिरी पत्री लिखी पटना से-8
आइल भोजपुरिया चिट्ठी
दशहरा आ रावन
काकी दुर्गापूजा में पांडाल देखे खातिर घूमे त शुरू क देले रही आ उत्साहितो बहुत रहली बाकिर उनका मन में दशहरा के कारन सही रूप में स्पष्ट ना रहे, एहसे परेशान होके ऊ लभेरन से जानल चहली.
लभेरन कहले कि नवरात्र का बाद दशहरा का दिने भगवान राम रावन का खिलाफ युद्ध के तेआरी कइले रहलन. नौ दिन तक पूजा कइला का बाद भगवान राम के शक्ति आ साहस बढ़ल रहे आ ऊ रावन के हरावे में सफल भइलन. एही से कहाला कि ई तेवहार बुराई पर अच्छाई का जीत के प्रतीक हटे. एह दिने लोग रावन के पुतला जलावेलन आ भगवान राम के जय-जयकार करेलन. दशहरा का दिने लोग अपना मन से बुराई के नाश क के अच्छाई का स्थापना के संकल्प लेले. ई तेवहार हमनी के सिखावेला कि सच्चाई, न्याय आ धर्म का मार्ग पर चल के हमनीका बुराई के हरावे में सफल होखबि जा.
काकी लभेरन से सहमत भइली बाकिर रावन का बड़ाई में एक से एक फेंकेवाला लोगन से ऊ बहुत चिढ़ल रहली. “कहीं भला! दशहरा असत्य पर सत्य का विजय के परब ह नू ? अब रावन कहिया से महात्मा हो गइले ?” ऊ बड़बड़ात लभेरन से आपन चिंता प्रकट कइली. लभेरन मुसकइले आ बतावे लगले.
कुछ दिन पहिले सोशल मीडिया पर एगो ट्रेंड बड़ा तेजी से चलल रहे रावन के बखान करे के. ओकरा महानता खातिर कहल जात रहे कि ऊ माता सीता के कबो छुअले ना रहे. अब ईहन लोग के के बताओ कि माता सीता के ना छुअला का पाछा ओकर कवनो भलमनसाहत ना रहे, ऊ त कुबेर के बेटा ‘नलकुबेर’ द्वारा दिहल श्राप से डेराइल रहत रहे कि “जो तू कवनो मेहरारू के ओकरा ना चाहते हुए छुअल कि तहार माथा टुकड़ा-टुकड़ा हो जाई.” आरे जवन रावन अपना पतोहि रंभा आ भाई कुबेर के मेहरारू तक के ना छोड़लसि, ऊ चरित्रवान कहिया से हो गइल ?
एगो पोस्ट वायरल भइल रहे, जवना में एगो माई अपना बेटी से पूछतिया कि तोहरा कइसन भाई चाहीं ? बेटी जवाब देतिया कि रावन नियन. रावन अपना बहिन का अपमान के बदला लेबे खातिर आपन तन, धन, जन- सभ लुटा दिहलस. अब एह बकलोलई के का जबाब बा ? रावन का बहिन सुपनेखा का मरद के नाँव विद्युज्जिह्म रहे, जवन राजा कालकेय के सेनापति रहे. जब रावन तीनों लोक पर विजय प्राप्त करे खातिर निकलल त ओकर युद्ध कालकेयो से भइल, जवना में ऊ विद्युज्जिह्म के वध कइ दिहलसि, तब सुपनेखे अपना भाई रावन के श्राप दिहले रहे कि तोरा सर्वनाश के कारन हमहीं बनबि. अब बताव कि रावन कइसन भाई आ सुपनेखा कइसन बहिन ?
केहूँ कहता कि रावन अजेय रहे. अब रउएँ बताईँ कि एह बुद्धिहीनता पर का कहल जाउ ? रावन के प्रभु श्रीराम से पहिले वानरराज बालियो हरवले रहन. केहूँ कहता कि रावन प्रकांड विद्वान रहे. ई बात सही बा बाकिर विद्वान भइला के मतलब का कि ऊ कुकर्म करे लागी ? सही मायने में विद्वान् त ऊ होला जे अपना ज्ञान का अनुरूप आचरन करे. रावन एकरा ठीक उल्टा ऋषि-मुनि लोगन के वध कइलसि, कतना जग्गि के विध्वंस कइलसि, कतने मेहरारुन के अपहरन कइलसि.
जानतारू काकी! कहल जाला कि एगो गरीब ब्राह्मणी ‘वेदवती’ का रूप पर मोहित होके जब ऊ ओकर बाल घसीट के ले जाए लागल रहे त वेदवती आत्मदाह कइ लिहलसि बाकिर श्राप दिहलसि कि “जो रे रावन! तोर विनाश एगो मेहरारुए का चलते होई.” अब त बुझिए गइल होखबि कि रावन कतना महान रहे.
साँच त ई बा कि रावन अब प्रतीक बाटे अधर्म, अन्याय, अहंकार आ अनीति के, कमजोर आ बेबस लोगन का उत्पीड़न के. ऊ राजनीति से बाजार अउर तंत्र तक आपन घुसपैठ बना लेले बा. ओकरा के दशानन कहला के मतलब कि ओकर दस गो माथा अहंकार के प्रतीक बाटे आ दस गो मुँह माने एके सङे दस तरह के कुतर्क करे के खमता रहे ओकरा में. ऊ मायावी रहे, छल-प्रपंच में मास्टर रहे.
युग-युग से रावणी प्रवृत्ति से लड़त लोगन खातिर आजुओ राम आशा के एगो किरन बाड़े. ओही राम का इंतजार में हमनी का हजारों पीढ़ी से लागल बानी जा. भर नवमी अखण्ड रामचरितमानस के पाठ, प्रवचन आ रामलीला का बाद दशहरा के रावन के पुतला दहन देखे खातिर जबरदस्त भीड़ उमड़ेले. ई चरित्रवान राम खातिर आस्था हटे आ दुराचारी रावन खातिर नफरत. रावन आजु रामकथा का खलनायक से बढ़िके एगो प्रवृत्ति बनि गइल बा आ ओकरा से हमनी के डेग-डेग पर लड़े के बाटे.
काकी अबहिंओ पिड़िकल रहली. “अइसना राछछ रावन के महान कहेवाला पहिल विद्वान के रहे ?”
लभेरन कहले कि एगो राजनीतिक नेता रावन के महान बतावे के मुहिम शुरू कइले रहन. छोड़ीं, ओह से का फरक परे के बा ? रावन भलहीं एगो महान विद्वान रहे, बाकिर ऊ शास्त्र आ लोक का विरुद्ध आचरण कइलसि. समाज में भला रावन का आचरन के के अपनाई ?
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