का होखी जब इंकम टैक्से खतम कर दीहल जाई?

– अंजोरिया डेस्क

#आयकर #अश्विनी उपाध्याय #income-tax

का होखी जब इंकम टैक्से खतम कर दीहल जाई?
When Income-Tax is abolished?

आजु यूट्यूब पर विचरण करत में सुप्रीम कोर्ट के मशहूर अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय के एगो वीडियो पर पड़ गइल. पूरा वीडियो नीचे डाल देब. बाकिर ओकरा से पहिले हम आपन राय बतावल जरुरी समुझत बानी.

उपाध्याय जी के वीडियो सुनला का बाद हम सोचे लगनी कि ई विषय त एक जमाना से चरचा में बा. एहसे पहिले एकर वकालत एगो अउर अधिवक्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी कर चुकल बाड़न. आ ई त होइए ना सके कि सरकार में, वित्त मंत्रालय में एह पर चरचा ना भइल होखी. आ जब चरचा भइले होखी त आखिर कवना कारण से सरकार अइसन लोकलुभावन निर्णय नइखे लेबे चाहत. कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ लोचा त बड़ले बा.

हम सोचे लगनी कि का अइसन सचहूं संभव बा? एही बीच हमरा एगो मेडिकल स्टूडेन्ट के कल्पना इयाद पड़ गइल. ओकरा कहना रहल कि सोचीं कतना शानदार होखी अगर आदमी के आँख ओकरा हथेली में लगा दीहल जाव! जेने मन करी ओने आ जवन मन करी तवन ऊ आराम से देख सकी. सोचीं तनिका रउरो सोची. कुछ देर ला ‘मिस्टर इण्डिया’ बन जाईं! बाकिर कुछ ना बहुते कुछ कारण बा जवना चलते भगवान भा प्रकृति ई काम ना कइलें. आदमी के आँख बहुत कुछ सोच के ओकरा सिर में एगो गहीर स्थान बना के राखल गइल. बाकिर तब हम भगवान का सोचले होखिहें ओकरा के छोड़ के अपना ओह साथी से पूछनी – कि अच्छा तब पनछुआ कइसे करब? खाना कइसे खइबऽ? साइकिल मोटर साइकिल कइसे चलइबऽ? गाड़ी के स्टियरिंग कइसे पकड़बऽ? आ ई संस्मरण सुना के हम मथैला वाला मुद्दा पर लवटत बानी कि “का होखी जब इंकम टैक्से खतम कर दीहल जाई?”

कल्पना करीं कि अइसन हो सकेला. आ ओकरा बाद सोचीं कि ऊ देश तब आपन विकास, सुरक्षा, आ शासन व्यवस्था के खरचा कहां से निकाली! का ई सहज तरीका से कइल जा सकेला? का एकरा के आसानी से लागू कइल जा सकेला?

आम आदमी त दिमाग लगावे से पहिले बल्ली भर उछल जाई कि वाह, मजा आ गइल! अब ना त हमरा कवनो टैक्स देबे के बा, ना ओह बारे में सोचे के बा! आ ओकरा बाद दिमाग जब सोचे लागी तब मन में सवाल उठे लागी कि सरकार के काम कइसे चली? अतना लोग के तनखाह आ पेंशन के खरचा कहां से निकली? सुरक्षा आ विकास के खरचा कहाँ से निकली? चरचा वाला वीडियो में बतावल गइल बा कि ओकरा जगहा ट्रांजेक्शन टैक्स लगा दीहल जाव. नाक के सीधे ना पकड़ के हाथ घुमा के पकड़ल जाव! वाह ई त उहे हो जाई कि, ‘जवना खातिर अलगा भइनी, तवने मिलल बखरा!’

स्वाभाविक बा कि व्यक्तिगत आय कर हटा के ओकरा जगहा घुमा फिरा के कुछ ना कुछ वसूली करे के जोगाड़ बइठावे के पड़ी. आ ई कइल जा सकेला परोक्ष कर बढ़ा के, उत्पाद कर, आयात कर, पेट्रोल डीजल, बीड़ी सिगरेट, ताड़ी-शराब आ सगरी सेवा के दाम बढ़ा के, प्राकृतिक संसाधन के दोहन कर के, पर्यटन आ निर्यात बढ़ा के, विदेशी निवेश मंगा के वगैरह वगैरह.

बाकिर ओह हालात में सोचीं कि ओह देश के विपक्ष कतना धुँआ उड़ा दी. लोग के बतावल जाई कि देखीं अमीरन से त टैक्स हटा दीहल गइल बाकिर गरीब जनता पर तरह तरह के टैक्स बढ़ा दीहल गइल. डीजल के दाम बढ़ला से किसानी के खरचा बढ़ जाई, सामानन के दाम बढ़ जाई वगैरह. लोग के त बस इहे सुने के देर बा कि कउवा कान ले गइल! ऊ पहिले आपन कान ना देखिहें दउड़ पड़िहें ओह कउवा के पकड़े!

सेना पुलिस पर होखे वाला खरचा में कटौती के दुष्परिणाम होखी कि देश के सुरक्षा आ आम आदमी के चैन खतरा में पड़ जाई. शिक्षा आ चिकित्सा पर होखे वाला खरचा में कटौती देश के सरकार खातिर कतना खतरनाक हो जाई एकर अनुमान लगावल मुश्किल ना होखे के चाहीं. सड़क पानी बिजली आ बाकी सुविधा पर होखे वाला खरचा कम करे के पड़ जाई.

इंकम टैक्स विभाग खतम कर के खरचा टैक्स विभाग बनावे के पड़ी. आयकर वाला कहिहें हमरा के दोसरा विभाग में काहे भेजल जात बा! सरकार हमहन के आजीविका के सुरक्षा देबे.

हँ अगर पूंजीवादी परिकल्पना के साकार करे के कोशिश होखे तब अउर बात बा. बाकिर कल्याणकारी राज्य से पूंजीवादी राज्य का तरफ बढ़ला पर जनविद्रोह बेकाबू हो जाई. पूंजीवादी परिकल्पना के साकार होखे का पहिले के दौर में जनता के समुझावल सम्हारल मुश्किल हो जाई.

तर्क देबे वाला कह सकेलें कि दुनिया के कई एक देश में टैक्स फ्री भा बहुते कम टैक्स वाली व्यवस्था बा जइसे कि जैसे कतर, यूएई, बहरीन में. बाकिर ओहिजा के जनसंख्या कम बा. लोकतंत्र नइखे चलावे के. प्राकृतिक संसाधन बहुते बा जवना के दोहन पर होखे वाला खरचा कम बा. बाकिर भारत में?

एह सवाल के जवाब रउऱो सोचीं. आ ओकरा पहिले अश्विनी उपाध्याय के ई वीडियो पूरा सुन लीं –

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