भोजपुरी लस्टम पस्टम

8 June 2009

आखिर कतना दिन ले सईंया करिहें परेशान

- जयन्ती पाण्डेय

लस्टमाइन काल्हु बाजारे गइल रहली, धक्का मुक्की का मारे त कमे परेशान भइली. बाकि घरे लवटली त उनकर कान ले लाल रहे. मुँह तमतमाइल रहे. लस्टमानन्द के बेचैनी घेर लिहलसि. आखिर मलिकाइन के मामिला रहुवे. पुछिये लिहलन का भइल? काहे एतना गरमाइल बाड़ू?

एह बात पर ऊ अउरी भड़क गइली, कहली ई बताईं, मेहरारू भइला के माने का इहे हऽ कि मरद लोग जब चाहे तब दू माने वाला बात कहि के अपना मन के भड़ास निकालत रही? अब देखीं, रउरो त इहे कइनी हँ. का फरक बा ऊ जवन रास्ता पेड़ा बइठ के आवत जात मेहरारूवन पर फिकरा कसऽताड़ सन, रिकार्ड बजावत बाड़न स ओहमें आ रउरा जे अबहीं कहनीं हँ ओहमें?

लस्टमानन्द चिहुँक गइलन. सचहूँ, आजु मामिला गम्भीर बा. मैडम क मिजाज आसमान पर बा. हँ, ऊ जवन कहत बाड़ी ऊ ठीके कहत बाड़ी. साँचहूं मेहरारुवन के बहुते कुछ झेले के पड़त बा आजुकाल्ह. जहवाँ जाई रउरा कान में कुछू न कुछू अइसने गाना सुनाई पड़ जाई. इहे कारन बा कि चिंतित भोजपुरी विद्वान अउर बुद्धिजीविओ लोग अपील कइले बा कि अश्लील भोजपुरि गाना क बदले भोजपुरी लोकगीतन के बढ़ावा दिहल जाये. भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष गोपालजी कहले हउवन कि अश्लील भोजपुरी गानन के खतम करा देबे के चाहीं, जेहसे भोजपुरी संस्कृति के बदनामी खतम हो जाय. उनकर सलाह बा कि संगीतकार आ गायक गायिका लोग अइसन गाना का जगहा लोकगीतन के बढ़ावा देव लोग.

भोजपुरी विद्वान रामउपदेश सिंह विदेह कहले बाड़े कि दुअर्थी भोजपुरी गीतन का चलते भोजपुरी बदनाम होत बा. एहसे जरुरी बा कि लोगन के अइसन गाना सुने से कसहूं रोकल जाव.

एगो अउरी भोजपुरी विद्वान गिरीश चन्द्र दूबे कहले बाड़े कि अश्लील गानन के एगो लिस्ट बना के लोगन से कहल जाय कि ऊ ई सब गीतन के न सुनें. अश्लील भोजपुरी गीतन क खिलाफ अभियान चला के समाज पर पड़ रहल एकर कुप्रभाव से लोगन के जागरुक बनावल जाये.