एक दिन जइबू अपना पियवा के घर
भोजपुरी के चरचा होखे जहवां ओहिजा गीत गवनई के चरचा ना होखे त चरचा अधूरे रहि जाई. अंजोरिया पर शुरुवे से कोशिश रहल बा कि भोजपुरी के बढ़िया गीत-गवनई के उदाहरण रउरा सभे का सोझा पेश करत रहल जाव. एह तरह के गीत जवना के रउरा कवनो समाज, कवनो सभा सोसाइटी में सभका सामने गा सकीं आ सुन सकीं ओह तरह के गीत-गवनई बहुते कम सामने आ पावेला काहें कि जेकरा भोजपुरी गीत-गवनई नीक लागेला ऊ आम आदमी होला जे दिन भर के मेहनत मशक्कत का बाद आपन थकान मेटावे ला अपना मन-रंजन में लागेला. ओकरा एकर परवाह ना होखे कि गीत सुघड़ बा कि फूहड़. वइसहूं भोजपुरी आम आदमी के भाषा हवे आ ओकरे चलते ई अबहीं ले जिन्दा बा. साहित्य भोजपुरी के मजगर मजबूत बनावेला बाकिर जिनिगी गीते-गवनई से मिलेला भोजपुरी के.
एही कड़ी में आजु डिम्पल भूमि के गावल ई गवनई काने पड़ गइल त सोचनी कि रउरो सभे के सुनावत चलीं. नीक लागे त अउरिओ गीत मिल जाई इनकर गावल यू ट्यूब पर.
मौजूदा गीत गौतम म्यूजिक सेन्टर के यू ट्यूब चैनल से लीहल गइल बा. एह पर दीहल जानकारी में एह गीत के गीतकार के नाम नइखे. गवले बाड़ी डिम्पल भूमि आ संगीतो उनुकते गोल के सदस्य दिहले बाड़न.
दू अक्टूबर 2023 के यू ट्यूब पर डालल एह गीत के अबहीं ले 518,050 लोग सुन चुकल बा. आईं हमनियो का एह गिनिती में शामिल होके भोजपुरी गीत-गवनी के बढ़ावा दीहल जाव. गीत के मुखड़ा त मथैला में दे दीहल गइल बा. गीत के बाकी बोल नीचे दीहल जा रहल बा.
एक दिन जइबू अपना पियवा के घर
गोरिया छूटी नइहर
कहियो ना कहियो छूटी बाबू के नगर
एक दिन जइबू अपना पियवा के घर.
गवना के साड़ी जहिया भेजीहें सजनवा
ओहि दिन चली नाहीं बहनवा
होई बरसात घर में जाड़ा के महिनवा
दिन चाहे रतिया के कवनो पहर
गोरिया छूटी नइहर
एक दिन जइबू अपना पियवा के घर
गोरिया छूटी नइहर
संग जाई लेखा-जोखा करम कमाई के
चली नाहीं पाई तोहरा बाप चाहे भाई के
होखी जब हिसाब तोहरा आना पाई-पाई के
होई ना सम्हार जहिया नाम थर थर
गोरिया छूटी नइहर
एक दिन जइबू अपना पियवा के घर
गोरिया छूटी नइहर
चुनरी के दाग ओह दिन कतनो छुपइबऽ
पिया के नजरिया से बच नाहीं पइबऽ
लागे लागी लाज तोहरा, खूब शरमइबऽ
कइसे मिलइबू अपना पिया से नजर
गोरिया छूटी नइहर
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