कटहर के कोवा तू खइबऽ त ई मोटकी मुगरिया के खाई

कटहर के कोवा तू खइबऽ त ई मोटकी मुगरिया के खाई

कुछेक बरीस पहिले भोजपुरी के एगो लोकगायक बलेसर के ई गाना बहुते लोकप्रिय भइल रहल. आजु एह गाना के इयाद आ गइल जब पहिला फरवरी का दिने आइल लोकलुभावन बजट का बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बतवली कि अगिला हफ्ता संसद में नयका डायरेक्ट टैक्स कोड पेश होखी आ एकरा लागू भइला का बाद पुरनका इंकमटैक्स लॉ 1961 इतिहास बनि जाई.

आ एही से अनेसा उपजल कि जरुर कुछ ना कुछ अइसन होखे वाला बा जवन बारह लाख के आमदनी पर टैक्स ना लागे वाला खीर में नून डाले के काम करी. अगर अइसनका ना होखे के रहीत त बजट का साथही पेश क दीहल गइल रहीत डायरेक्ट टैक्स कोड. खीर खिया के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मलाई काट लिहला का बाद आठ फरवरी भा ओके लगभीर में ई डायरेक्ट टैक्स कोड आ जाई जवन खीर के मिठास हो सके की कम कर दीही.

असल में अबकी के बजट में घोषित एह टैक्स रियायत के उमेद केहू के ना रहुवे. आ इहे सब सोचत मे हमरा बलेसर के गावल एह विरहा के इयाद आ गइल. खोजे चलनी त यूट्यूब पर ई मिलियो गइल. रउरो सभे सुन सकीलें. अब बिरहा के बोल के अरथ पर भा दुअरथी होखे का सवाल पर हम विवाद मेंं नईखीं पड़े जात काहे कि आम भोजपुरिया हिन्दी वालन का तरह “सभ्य” ना होखे जे “चोली के नीचे क्या है, चुनरी के पीछे क्या है” गाना पर चहक लेला बाकिर “लहंगा उठा देब रिमोट से” पर लहक उठेला. खेर बात बहके एहसे पहिले टैक्स कोड पर लवटत बानी.

असल में बरीसन पुरान इंकमटैक्स लॉ में अतना बेर संशोधन हो चुकल बा कि ई आम करदाता का समुझ का बाहर हो गइल बा. कई बेर त ओकर एगो बात ओकरे दोसरका बात के काट देला. एहसे विवाद उठल स्वाभाविक हो जाला. इहे सब देखत-सोचत “मोदी है तो मुमकीन है” वाली सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड ले आ रहल बिया. अब हर आमदनी आमदनी मानल जाई आ सगरी आमदनी पर एके तरह के टैक्स लागे के अनेसा, अनुमान, आशा ( जेकरा जवन भावे तवन चुन लेव) लगावल जा रहल बा. हो सकेला कि जब ले रउरा एह लिखला के पढ़ब तब ले ई कोड आइयो गइल रहे.

बाकिर हमरा समुझ से ई बात सहज होखे के चाहीं कि आमदनी आमदनी होले – तनखाह, बिजनेस के आमदनी, जमीन संपति खरीद बेच के आमदनी, शेयर बाजार से होखे वाला आमदनी सगरी के एके भाव से लेबे के चाहीं. वइसे पुरनका टैक्स कानून के एगो धारा के व्याख्या एहू तरह से क देला लोग कि घूस, चोरी, डकैती, व्यभिचारो से होखे वाला आमदनी के रउऱा “अन्य आमदनी” का रूप में देखा सकीलें. अलग बात कि अइसन आजु ले सुनले नईखीा कि कवनो घूसखोर भा चोर डकैत एह तरह के आमदनी घोषित कइले होखे. हँ गमला में गोभी उगा के सात करोड़ के आमदनी देखावे के कहानी सुने के मिल जाला. नेतो लोग अपना तिकड़मी आमदनी के दोसरे तरह से घूमा फिरा के देखावेला, अन्य आमदनी का रुप में ना.

अब मियां जी दुबले क्यूं, सहर के अनेसे से वाला हालत में कुछ लोग परेशान बा कि अगर सगरी आमदनी जोड़ दिआई त बारह लाख पार कर जाई आ तब पूरा टैक्स जोड़े के पड़ जाई. गुलाब का फुल का संगे कांट मिलबे करेला, कटहर के कोवा खाए वाला के कबो ना कबो मुगरियो के सब्जी खाहीं के पड़ जाला. इन्तजार कइल जाव कि निर्मला जी कइसन मुगरी परोसत बाड़ी अगिला हफ्ता. तबले रउरा बलेसर के ई बिरहा सुन के मजा लीं.

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