बतावऽ तऽ, सबसे बड़हन के

– जयंती पांडेय

बड़ा कंफ्यूजन बा जी. आउर ई नेता लोग तऽ मामिला के अउरी फइला रखले बा. जवने घोटाला सामने आवऽता ओही के सबसे बड़हन बता देता लोग. एक बात पर टिकते नइखे लोग. ई जमाना के साथ चले वाला बात ना हऽ. काहे कि जेतना जल्दी-जल्दी ई घोटाला सामने आ रहल बा ओतना जल्दी कम से कम जमाना तऽ नइखे बदलत. ई जइसन बहे बयार, पीठ तब तेने घुमा देवे वाला मामिलो ना हऽ. मौकापरस्ती त खैर उहो होला आ एह तरह के मामला में कमिटमेंटो कवनो ना होला. पर ई तऽ एकदम मौकापरस्ती हऽ न कि जे सामने आ गइल, बस ओही के बड़हन बता दिहनी. एहसे लोग तऽ कंफ्यूज होइये जाला न जी. लोग के कुछ बुझइबे ना करे कि सबसे बडहन घोटाला कौन हऽ?

पहिले बतावल गइल कि कॉमनवेल्थ घोटाला सबसे बड़हन हऽ. कहल गइल कि – कुछ मत पूछऽ , ई घोटाला ना हऽ, बूझि जा कि लूट मचल बा. अइसन लूट कि कबो देखले ना होखबऽ. बतावल गइल कि जाने सत्तर हजार करोड़ के घोटाला हऽ कि अस्सी हजार करोड़ के. केहू कहल कि अतना में तऽ ओलिंपिक करा लेतीं आ उहो एक बार ना दू -दू बेर करा लेतीं. केहू कहल कि एतने में तऽ नया शहर बस जाइत. अब कॉमनवेल्थ खेल आयोजन समिति अखबारन में विज्ञापन दे के बतवलस कि ई एतना बड़हन घोटाला ना रहे, असल में तऽ कुछ ना रहे. बस हंगामा हो गइल. एह पर एक बार फेर हल्ला मचल कि ई एक और घोटाला हऽ.
घोटाला ऊपर घोटाला. कांग्रेस पार्टी त कलमाड़ी के अपना संसदीय दल के सचिव पद से हटाके एकर मोल चुकवलस. अपना तरफ से हिसाब बराबर कऽ दिहलस. लेकिन लागऽता कि भइल ना.

फेर पता चलल कि आदर्श सोसायटी वाला घोटाला सबसे बडहन हऽ. आकार-प्रकार चाहे रुपया-पइसा के लिहाज से ई ओतहत बड़हन घोटाला नइखे कि शहर बसावल जा सके. हालांकि मुंबई के एगो फ्लैट के कीमत, अपना गांव के एगो टोला के बराबर तऽ होइये जाई. तबो तऽ ई एगो सोसाइटी बसावे के मामला रहे. पर ई करगिल के शहीदन के नांव कइल घोटाला रहे, जेहमें बड़े-बड़े नेता आ बड़े-बड़े फौजी अफसर फंस गइले. फौज आ शहीदन के नांव पर कवनो घोटाला होखो त ऊ बडहन होइये जाला.

दोसर घोटालन के मोल चाहे कलमाड़ी के कुर्सी जइसन छोट-मोट चुकावल जाय, पर फौज आ शहीदन के नांव पर होखे वाला घोटालन के दाम बड़हन कुर्सी के रूप में चुकावल गइल. माने कि जतहत घोटाला ओतने बड़ा दाम, जै जै सिया राम. अब कहता लोग कि ए राजा के स्पैक्ट्रम घोटाला सबसे बड़हन हऽ. पहले ई एतहत बड़ घोटाला ना रहे. चालीस-पचास हजार करोड़ के रहे. पर धीरे धीरे बढ़ते जाऽता. ई ओसहीं बढ़ऽता जइसे हर सवाल के बाद कौन बनेगा करोड़पति के पइसा बढ़ जाला. चालीस-पचास हजार करोड़ से बढ़के ई अस्सी-नब्बे हजार करोड़ के भईल अउर अब अस्सी- नब्बे हजार करोड़ से बढ़के ई पौने दू लाख करोड़ के
हो गइल.

स्पैक्ट्रम घोटाला देश के कुल डिफेंस बजट के बराबर हऽ, देश के हेल्थ बजट के सात गुना हऽ. एतहत बड़हन घोटाला तऽ ना कभी देखल गइल रहे ना सुनल गइल रहे. इ एतहत बड़हन घोटाला साबित भइल कि सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री जी से सवचलस कि आप चुप काहे रहनीं ? सरकार का करो, राजा के हटावे के परल. सरकार तऽ राजा के हटाके अपना ओर से त हिसाब बराबर कऽ दिहलस. लेकिन बुझाता कि भइल नइखे.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

0 Comments