भाजपा के अरामी अध्यक्ष

भाजपा के अरामी अध्यक्ष

हँ हँ, मथैला पढ़ के बिलबिलइला के जरुरत नइखे. हम अरामी लिखले बानी हरामी ना. देवनागरी में जवन लिखल जाला तवने पढ़ल भा बोलल जाला. एहिजा अंगरेजी लेखा कबो कबो एच साइलेंट ना होखे. बाकिर शायद रउरो अपना मन के बात पढ़ लिहले होखब त धन्यवाद !

हँ त हम बात करत बानी भाजपा के अरामी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्ढा का बारे में. समय कुसमय एह आदमी के बयान सुन के मन सोचे के मजबूर हो जाला कि कहीं अऱाम के राजनीति करे वाला ई अरामी अध्यक्ष भाजपा खतम करे के कवनो सुपारी त नइखे लिहले कवनो गोल भा गिरोह से. कबो कह देला कि भाजपा के संघ के जरुरत नइखे अब. एह बयान का बाद पिछलका लोकसभा चुनाव में भाजपा के हालत जतना खराब भइल ऊ सभका सोझा आइए गइल. करीब करीब भाजपा के त डुबाइए दिहले रहल ई अरामी अध्यक्ष. आ ई कतना अरामी राजनीति करे वाला हवे एकर अनुमान एकरा गृह प्रदेश हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनावो का दौरान देखे के मिलल रहल. अरामी के मतलब एगो अउर होला जे राम में विश्वास ना करत होखो ओकरो के अ-रामी कहल जा सकेला. आ अपना अरामीपना के नमूना ई आदमी तबो देखवले रहल जब कहले रहल कि भाजपा भगवा में भरोसा ना करे. ई तब के बाति ह जब यति नरसिंहानंद के बयान ले के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे पी नड्ढा के बयान आइल रहल कि भगवा के मतलब भाजपा ना होखे.

टटका विवाद भाजपा सांसद निशिकांत दूबे के बयान से भाजपा के किनारा कइला से उपजल बा. नड्ढा के कहना बा कि भाजपा एह तरह के बोलबाजी से सहमत ना हो सके. आ हमरा एगो हिन्दी फिलिम के गाना ईयाद आ गइल कि –

हम पर इल्जाम है यह चोर को क्यों चोर कहा !
क्यों सही बात कही काहे ना कुछ और कहा !

रहल बात कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला हमेशा कमजोरे का खिलाफ आवेला. जे ओकरा के बरियार भावे लपेट देव ओकरा से बोले के बेंवत ना होखे सुप्रीम कोर्ट के. मणिपुर हिंसा पर अपने दखल दे देला सुप्रीम कोर्ट बाकिर बंगाल के हिंसा पर कुछ बोले के हिम्मत ना होखे भा जरुरत ना समुझेला सुप्रीम कोर्ट. सबरीमाला मामिला में इहे कोर्ट धार्मिक स्वतंत्रता का खिलाफ फैसला दिहलसि बाकिर जब मस्जिदन में औरतन के प्रवेश के मामला आइल त ओह केस के सुने के फुरसते नईखे सुप्रीम कोर्ट के. वक्फ के हरकत का खिलाफ जब हिन्दू पक्ष सुप्रीम कोर्ट चहुँपल त कह दिहलसि कि हाई कोर्ट जा लोग. बाकिर जब मुसलमानन के अरजी लागल त तुरते सुनवाई करे ला तईयार हो गइल. आतंकी के फांसी रोकवावे खातिर अधरतिया में पजामा पहिरलहीं सुनवाई करे में संकोच ना भइल बाकिर कश्मीर के हिन्दुवन के मामिला पर सुनवाई ना कइलसि सुप्रीम कोर्ट. शाहबानो केस में जब कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिहलसि त बकार त दूर हवा ले निकलल एह कोर्ट के. आपातकाल का दौरान जब संविधान के मूल स्वरूप में बदलाव करत ओकर प्रस्तावने के बदल दीहल गइल तबो सुप्रीम कोर्ट चुप रहल.

अब ऊ जमाना ना रहल जब अवमानना के धमकी दे के लोग के हरकवले राखत रहुवे कोर्ट. अब त सोशल मीडिया के जमाना आ गइल बा. केकरा केकरा पर अवमानना के मुकदमा चलावल जाई.आ एगो अवमानना का मामिला में त सुप्रीम कोर्ट अपना मान के दाम लगाइये चुकल बावे जब प्रशान्त भूषण के एक रुपया के जुरमाना लगवले रहल सुप्रीम कोर्ट अपना अवमानना का मामिला में. फगुआ कब बीतल आ अब त चइतो बीते पर बा बाकिर दिल्ली के अदालत में जज रहल यशवंत वर्मा का घर से नोट के बोरा में आग लगला के खबर का बाद आजु ले ओह मामिला में बात आगे नइखे बढ़ल. जबकि एही कोर्ट के कहना बा कि राष्ट्रपति हद से हद तीन महीना का भीतर विधेयकन के मंजूरी दे देसु. सुप्रीम कोर्ट ले लगवले नीचे के कोर्टन में करोड़ो मामिला अटकल बा बाकिर ओकरा ला कवनो समय सीमा नइखे अदालतन खातिर.

बात शुरु भइल रहल नड्ढा से जब ऊ निशिकांत दूबे के बयान से भाजपा के किनारा कइला के बात कहलन. बाकिर आजु लगभग पूरा देश के एगो बड़हन आबादी सुप्रीम कोर्ट से कवनो उमेद राखल छोड़ दिहले बावे. आ हमहूं एह लेख में सुप्रीम कोर्ट के खिंचाई कर दिहनी.

 

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