भोजपुरी भाषी क्षेत्र, खास करके बिहार, उत्तर प्रदेश, आ झारखंड के हिस्सा, हमेशे से प्रवासन के इतिहास से जुड़ल बा. ए क्षेत्र के लोग सदियन से बेहतर जीवन, रोजगार आ अवसर के खोज में आपन माटी छोड़ के अलग-अलग देशन आ इलाकन में जात रहल बा. आज भोजपुरी बोलनिहार लोग के आबादी ना केवल भारत में, बलुक पूरी दुनिया में फैल गइल बा. प्रवासन से जहां भोजपुरी समाज के दुनियाभर में योगदान बढ़ल बा, उहें परिवारन के विछोह आ पीड़ा के कहानिओ गहिरा बन गइल बा.
प्रवासन के इतिहास
भोजपुरी क्षेत्र से प्रवासन के इतिहास उन्नीसवीं सदी से शुरू होखेला, जब अंगरेज लोग आपन बागानन में काम करे खातिर गिरमिटिया (एग्रीमेंट के बिगड़ल रुप) मजदूरन के मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सुरिनाम आ त्रिनिदाद जइसन देश में ले गइल. ई गिरमिटिया मजदूर भोजपुरिया समाज के शुरुआती प्रवासी रहलन. उनका के खेत-मजदूरी खातिर ले जाइल गइल, बाकिर समय के साथ-साथ ऊ लोग ओह देशन में आपन पहचानो बनवलस.
आज प्रवास के आधुनिक रूप में भोजपुरिया लोग खाड़ी देश (सऊदी अरब, यूएई, कतर), अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा आ सिंगापुर जइसन देशो में भारी संख्या में पावल जाला. भारत में महानगरनो, जइसे कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता आ बेंगलुरु, में भोजपुरी लोग रोजी-रोटी खातिर बड़ी संख्या में जात रहल बा.
भोजपुरी प्रवासी लोगन के योगदान
भोजपुरी प्रवासी लोग दुनियाभर में आपन मेहनत आ लगन के दम पर नाम कइलस. मॉरीशस आ फिजी जइसन देशन के राजनीति में भोजपुरिया लोगन के बड़का योगदान रहल बा. इंडियन-ओरिजिन प्रधानमंत्री आ नेता अक्सर भोजपुरिया जड़ से जुड़ल रहेला. खाड़ी देशन में मजदूरी से ले के व्यापार तक, भोजपुरिया लोग बुनियादी ढांचा निर्माण में अहम भूमिका निभावत बा. अमेरिका आ इंग्लैंड में भोजपुरिया लोग डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक आ उद्यमी के रूप में आपन पहचान बना रहल बा.
भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के प्रचारो-प्रसार में प्रवासी लोग बड़ योगदान कइलस. मॉरीशस में छठ पूजा, फिजी में भोजपुरी गाना आ त्रिनिदाद में रामायण पाठ आजुओ भोजपुरिया जड़ से जुड़ल बा.
परिवारन के पीड़ा आ सामाजिक समस्या
हालांकि, प्रवासन से मिलल आर्थिक लाभ के पीछे परिवारन के दर्दो छिपल बा. जब भोजपुरिया आदमी परदेश जाला, त ओकर घर-परिवार के जवन विछोह झेले के पड़ेला, उ एगो गंभीर समस्या बा. पत्नी, बच्चा आ बूढ़-माता-पिता परदेस में रहत आदमी के कमी के महसूस करत रहेला. भिखारी ठाकुर जी के बिदेसिया (परदेशी) जइसन साहित्यिक कृतिओ ए दर्द के उजागर कइले बा.
- महिलन के संघर्ष: परदेस गइला के बाद परिवार में रहत महिलन के अकेले समाजिक ताना-बाना संभाले के पड़ेला. उनका पर सामाजिक ताना आ असुरक्षो के खतरा बनल रहेला.
- बच्चन के समस्या: प्रवासी पिता के गैर-मौजूदगी से बच्चा अक्सर मनोवैज्ञानिक समस्या झेलेला. शिक्षा आ पालन-पोषण में कमी आ पिता से भावनात्मक दूरी देखल जाला.
- बूढ़ माता-पिता: जवना बुजुर्ग लोगन के बेटा कमाई खातिर परदेश जात बा, उनकर बुढ़ापा अकेलेपन में बीतेला. ऊ लोग अक्सर सामाजिक आ भावनात्मक सहारा के अभाव में रहेला.
भोजपुरी संस्कृति के प्रभाव
भोजपुरिया प्रवासी लोग जहां गइल, उहां भोजपुरी भाषा आ संस्कृति ले गइल. भोजपुरी गाना, लोकगीत आ नृत्य, जइसन कि बिरहा, कजरी आ चैता, आज दुनियाभर में प्रसिद्ध बा. छठ पूजा के महत्व आज मॉरीशस, फिजी आ त्रिनिदाद तक देखल जा सकेला. भोजपुरी फिल्मन के माध्यमो से प्रवासी लोग आपन भाषा आ संस्कृति जिंदा रखल बा.
भोजपुरी क्षेत्र से प्रवासन एगो जमीनी हकीकत बा, जवन एक ओर आर्थिक मजबूती आ वैश्विक पहचान देला, त दोसरा ओर सामाजिक आ पारिवारिक संकट पैदा करेला. प्रवासी भोजपुरिया लोगन के योगदान सराहनीय बा, बाकिर परिवारन के पीड़ो के समुझला के जरूरत बा. सरकार आ समाज के ई जिम्मेदारी बा कि प्रवासियन के समस्या के समाधान खातिर कदम उठावल जाव आ परिवार आ समाज के बीच संतुलन बनावल जाव. प्रवास भोजपुरिया समाज के ताकत बनल रही, बस ई ध्यान राखे के जरूरत बा.
( शिवेन्द्र )
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