भोजपुरी लोक उत्सव २०१२ , वाराणसी

क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र वाराणसी आ भोजपुरी अध्ययन केन्द्र बीएचयू के साझा आयोजन “भोजपुरी लोक उत्सव २०१२” में ३० अक्टूबर के दुनिया में बोलियन आ लोकभाषन के होत अनादर आ हत्या पर चिंता जतावल गइल. नाट्य शास्त्र विशेषज्ञ प्रो॰ कमलेश दत्त त्रिपाठी भाषा आ बोलियन के एही संकट का ओर इशारा करत कहलन कि आजु के सबले बड़ संकट संस्कृति के विनाश के बाटे. सँउसे दुनिया में एही साजिश के तहत लोकभाषा आ बोलियन के हत्या कइल जा रहल बा. जबकि भाषा आ बोली चेतना आ अंतःप्रज्ञा के अंतरंग हिस्सा ह. केहू के रचनाशीलता के ऊँचाई तक पहुँचावे खातिर ओकरा के लोक कला, साहित्य, रंगमंच आ नृत्य का ओरि जाए के पड़ी.

रंगकर्मी कुँवर जी अग्रवाल कहलन कि पारंपरिक कला के सबले बड़हन खासियत ओकर निजी तर्कपूर्ण सुघराई बाटे. मशहूर साहित्यकार प्रो॰ रामदेव शुक्ल कहलन कि दुनिया में बोली मरत बाड़ी सन. बाकिर भोजपुरी अपना ताकत से आपन पसार आ बढ़न्ती करत जात बिया.

गोष्ठी के विषय स्थापित करत डा॰ अवधेश प्रधान कहलन कि भोजपुरी संस्कृति के सबसे बड़हन खासियत विरोध आ प्रतिरोध हउवे. अध्यक्षता कलासंकाय के प्रमुख प्रो॰ महेन्द्र नाथ राय कइलन.

प्रो॰ सदानन्द शाही आ प्रो॰ रत्नेश वर्मा का संयोजन में भोजपुरी के जवन प्रसिद्ध साहित्यकारन के सम्मानित कइल गइल ओहमें पं॰ हरिराम द्विवेदी, डा॰ बलभद्र, डा॰ अशोक द्विवेदी, डा॰ प्रकाश उदय, डा॰ अनुराधा बनर्जी, महेन्द्र कुमार सिहं नीलम, सविता सौरभ, प्रो॰ राजेश्वर आचार्य, डा॰ रामसुधार सिहं अउर अमिताभ भट्टाचार्य शामिल रहलें. एह लोग के स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र आ प्रमाणपत्र दिहल गइल. सम्मानित होखे वाला कलाकारन में सुचरिता गुप्ता शामिल रहली.

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