शहीद भगत सिंह के जेल डायरी
– कल्पना पांडे
(भारत के आजादी आंदोलन में सरदार भगत सिंह, आ उनुकर साथियन सुखदेव अउर राजगुरु के नाम रेघरियावे जोग रहल बा. एह तीनो वीरन के बरीस 1931 में 23 मार्च का दिने साँझ करीब साढ़े सात बजे फाँसी दे दीहल गइल रहुवे. रेघरियावे जोग बात इहो बा कि मोहनदास करमचंद गाँधी फाँसी रोकवावे के कवनो कोशिश करे का बदले जल्दी से फाँसी पर लटकवा देबे में अधिका रुचि देखवलन. आजु ईमेल में कल्पना पांडे जी के ई लेख प्रकाशन खातिर हमरा मिलल आ पेश बा उनुका लेख के भोजपुरी अनुवाद. अनुवाद में हो सकेला कि कुछ गलत हो जाव बाकिर ऊ लेखिका के दोष ना होखी, हमार होखी. – संपादक)
सरदार भगत सिंह आ इनका दू गो साथियन – सुखदेव आ राजगुरु के शहादत दिवस पर हम सरदार भगत सिंह के जेल डायरी के दिलचस्प इतिहास के समुझे के कोशिश कइले बानी एह लेख में. ई डायरी, जवन कि आकार में एगो स्कूल नोटबुक जइसन रहुवे, जेल अधिकारी 12 सितंबर, 1929 के भगत सिंह के दिहले रहलन. एकरा पर लिखल रहुवे – “भगत सिंह के लिए 404 पृष्ठ”. अपना कैद का दौरान, भगत सिंह एह डायरी में 108 गो लेखकन के लिखल 43 गो किताबन के आधार पर आपन विचार लिखले रहलन. एह में कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंगेल्स अउर लेनिनो के लिखल किताब शामिल रहली सँ. भगत सिंह के एह जेल डायरी में इतिहास, दर्शन अउर अर्थशास्त्र पर बहुते विस्तार से लिखल गइल बा.
भगत सिंह के धेयान बस उपनिवेशवाद का खिलाफ संघर्षे पर ना रहि के सामाजिक विकास से जुड़ल मुद्दनों पर रहुवे. खास कर के भगत सिंह पछिमारा विचारकन के पढ़े में रुचि राखत रहलन. राष्ट्रवादी संकीर्णता से परे जाके, उहाँ के आधुनिक वैश्विक दृष्टिकोणन का माध्यम से मुद्दन के हल करे के वकालत कइले बानी. ई वैश्विक दृष्टिकोण उनुका समय के केवल कुछेक नेतवन में, जइसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू अउर डॉ. बी.आर. अंबेडकर, देखे के मिलत रहुवे.
साल 1968 में, भारतीय इतिहासकार जी. देवल के जेल डायरी के मूल प्रति भगत सिंह के भाई कुलबीर सिंह का लगे देखे के मौका मिलल रहे. अपना टिप्पणियन का साथे जी.देवल पत्रिका ‘पीपल्स पाथ’ में भगत सिंह का बारे में एगो लेख लिखलन, जवना में 200 पन्ना के एह डायरी के उल्लेख कइले रहलन. अपना लेख में, जी. देवल लिखलन कि भगत सिंह पूंजीवाद, समाजवाद, राज्य के उत्पत्ति, मार्क्सवाद, साम्यवाद, धर्म, दर्शन अउर क्रांतियन के इतिहास जइसन विषयन पर आपन टिप्पणी कइले रहलन. ऊ इहो सुझाव दिहलन कि भगत सिंह के एह डायरी के प्रकाशित करे के चाहीं बाकिर ई हो ना पावल.
साल 1977 में, रूसी विद्वान एल.वी. मित्रोखोव के एह डायरी का बारे में जानकारी मिलल. कुलबीर सिंह से विवरण बिटोरला का बाद मित्रोखोव एगो लेख लिखलन जवना के बरीस 1981 में उनकर लिखल पुस्तक ‘लेनिन एंड इंडिया’ में एगो अध्याय का रूप में शामिल कइल गइल. बरीस 1990 में, ‘लेनिन एंड इंडिया’ के हिंदी अनुवाद प्रगति प्रकाशन, मॉस्को का ओर से ‘लेनिन और भारत’ मथैला का साथे प्रकाशित कइल गइल रहुवे.
दोसरा ओर, बरीस 1981 में, जी.बी. कुमार हूजा, जे ओह समय गुरुकुल कांगड़ी के कुलपति रहलन, दिल्ली के तुगलकाबाद का लगे गुरुकुल इंद्रप्रस्थ के दौरा पर अइलन त गुरुकुल के प्रशासक रहल शक्तिवेश उनुका के गुरुकुल का तहखाना में संग्रहीत कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज देखवलें. जी.बी. कुमार हूजा एह डायरी के एगो कॉपी कुछ दिन ला उधार लिहलन बाकिर ऊ एकरा के वापस ना कर पवलन काहे कि एही दौरान प्रशासक शक्तिवेश के हत्या कर दीहल गइल रहुवे.
बरीस 1989 में, 23 मार्च के शहादत दिवस का अवसर पर, हिंदुस्तानी मंच के कुछ बइठकन में जी.बी. कुमार हूजा शामिल भइलन आ एह डायरी का बारे में जानकारी साझा कइलन. एकरा महत्व से प्रभावित होके, हिंदुस्तानी मंच एकरा के प्रकाशित करे के एलान कइलसि. जिम्मेदारी भारतीय पुस्तक क्रॉनिकल (जयपुर) के संपादक भूपेंद्र हूजा के दीहल गइल, जवना में हिंदुस्तानी मंच के महासचिव सरदार ओबेरॉय, प्रो. आर.पी. भटनागर अउर डॉ. आर.सी. भारतीय के समर्थनो रहल. हालांकि, बाद में कहल गइल कि वित्तीय कठिनाइयन का चलते एकर प्रकाशन ना हो पावल. ई बहाना माने जोग ना रहल काहे कि एकर संभावना ना रहल कि एह शिक्षित मध्यम वर्ग के मनईयन का लगे ओह समय एकर कुछ प्रति छापे के खरच ना जुट सकल जबकि लागत कुछ खास ना रहल. शायद ई लोग या त एह डायरी के महत्व ना समुझ पावल भा एहमें रुचि ना रहुवे.
लगभग ओही कालखण्ड में, डॉ. प्रकाश चतुर्वेदी मॉस्को अभिलेखागार से भगत सिंह के जेल डायरी के एगो टाइप कइल नकल के फोटोकॉपी लिहलन आ ओकरा के डॉ. आर.सी. भारतीय के देखवलन. मॉस्को वाली नकल प्रति गुरुकुल इंद्रप्रस्थ के तहखाना से मिलल हस्तलिखित प्रति का साथे हूबहू मेल करत पावल गइल. कुछ महीना बाद, साल1991 में, भूपेंद्र हूजा ‘भारतीय पुस्तक क्रॉनिकल’ में एह डायरी के अंश प्रकाशित कइल शुरू कइलन. ई पहिला बेर रहल जब शहीद भगत सिंह के जेल डायरी पाठकन ले चहुँपल. एकरा साथ ही प्रो. चमनलाल हूजा के बतवलन कि ऊ अइसने एगो प्रति दिल्ली के नेहरू स्मारक संग्रहालय में देखले रहलन.
साल 1994 में, एह जेल डायरी के ‘भारतीय पुस्तक क्रॉनिकल’ पुस्तको का रूप में प्रकाशित क दिहलसि, जवना में भूपेंद्र हूजा अउर जी.बी. हूजा के लिखल प्रस्तावना शामिल रहल. हालांकि, उनका में से केहू के ई पता ना रहल कि एह डायरी के मूल प्रति भगत सिंह के भाई, कुलबीर सिंह का लगे रहुवे. एह लोगन के जी. देवल के लेख (1968) आ मित्रोखिन के पुस्तको (1981) के जानकारी ना रहुवे.
एकरा अलावा, भगत सिंह के बहिन बीबी अमर कौर के बेटा डॉ. जगमोहन सिंह कबहियों एह जेल डायरी के जिक्र ना कइलन. एही तरह, भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह के बेटी वीरेंद्र संधू भगत सिंह पर दू गो किताब लिखली बाकिर ओहूमें एह डायरी के संदर्भ ना दीहल गइल. एही से पता चलत बा कि भगत सिंह के परिवार के सदस्य या त नोटबुक के अस्तित्व से अनभिज्ञ रहलें भा एकरा में कवनो रुचि ना राखत रहलें. हालांकि कुलबीर सिंह का लगे डायरी रहुवे, बाकिर ऊ कबो एकरा के इतिहासकारन से साझा करे, एकरा के पुस्तक का रूप में प्रकाशित करे भा समाचार पत्रन में जारी करे के कोशिश ना कइलन. उनकर माली हालात अतनो खराब ना रहल कि ऊ एह डायरी के अपने से छपवा ना सकत रहलन.
दुख के बाति बा कि भारतीय इतिहासकार एह महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेज के उपेक्षा कइलें, आ एकरा के पहिला बेर एगो रूसी लेखक द्वारा प्रकाशित कइल गइल. कांग्रेस पार्टी, जवन लमहर समय ले सत्ता में रहल, स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह के बौद्धिक आ वैचारिक योगदानन का बारे में कबहूं कवनो जिज्ञासा ना देखवलसि. उनुका साथे कांग्रेस के वैचारिक मतभेद शायद एकर कारण रहल होखी कि ऊ कबहियों भगत सिंह के विचारन आ कार्यन पर शोध करे पर ध्यान ना दिहलसि.
भगत सिंह अनुसंधान समिति के स्थापना का बाद, भगत सिंह के भाँजा, डॉ. जगमोहन सिंह, आ जेएनयू के भारतीय भाषा केंद्र के प्रोफेसर चमनलाल साल 1986 में पहिला बेर भगत सिंह आ उनुका साथियन के लेखन के संकलित आ प्रकाशित कइलन, जवना के मथैला रहल ‘भगत सिंह और उनके साथियों के दस्तावेज’. ओह प्रकाशनो में जेल डायरी के कवनो जिक्र ना रहुवे. बाकिर पुस्तक के साल 1991 में प्रकाशित दुसरका संस्करण में एकर संदर्भ जोड़ल गइल. वर्तमान में, एह किताब के तीसरका संस्करण उपलब्ध बा जवना में दुनू विद्वान कईएक दुर्लभ जानकारी के जोड़े आ पाठकन का सोझा परोसे के अमूल्य कार्य कइले बाड़न.
एह नोटबुक में भगत सिंह के लिखल टिप्पणी स्पष्ट रूप से उनुकर दृष्टिकोण देखावेले. स्वतंत्रता ला उनुकर बेचैन लालसा उनुका के बायरन, व्हिटमैन अउर वर्ड्सवर्थ के स्वतंत्रता पर विचारन के लिखे ला प्रेरित कइलसि. भगत सिंह इब्सेन के नाटकन, फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की के प्रसिद्ध उपन्यास ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’, अउर विक्टर ह्यूगो के ‘लेस मिजरेबल्स’ के पढ़लन. ऊ चार्ल्स डिकेंस, मैक्सिम गोर्की, जे.एस. मिल, वेरा फिग्नर, शार्लोट पर्किंस गिलमैन, चार्ल्स मैके, जॉर्ज डे हेसे, ऑस्कर वाइल्ड अउर सिंक्लेयर के किताबनो के पढ़लन.
जुलाई 1930 में, अपना कैद का दौरान, ऊ लेनिन के ‘द कोलैप्स ऑफ द सेकंड इंटरनेशनल’ आ ‘”लेफ्ट-विंग” कम्युनिज्म: एन इन्फेंटाइल डिसऑर्डर’, क्रोपोटकिन के ‘म्यूचुअल एड’, आ कार्ल मार्क्स के ‘द सिविल वॉर इन फ्रांस’ के पढ़लें. ऊ रूसी क्रांतिकारियन वेरा फिग्नर अउर मोरोज़ोव के जीवन के घठटनन पर नोट्स लिखलन. उनुका डायरी में उमर खय्याम के कवितो शामिल रहली सँ. अउरी किताब पावे ला ऊ जयदेव गुप्ता, भाऊ कुलबीर सिंह आ अउरी कई लोगन के लगातार पत्र लिखलन, उनुका से पढ़े ला किताब भेजे के निहोरा कइलन.
अपना नोटबुक के पृष्ठ 21 पर, ऊ अमेरिकी समाजवादी यूजीन वी. डेब्स के उद्धरण लिखलन: “जहाँ कहीं निचला वर्ग है, मैं वहाँ हूँ; जहाँ कहीं आपराधिक तत्व हैं, मैं वहाँ हूँ; अगर कोई कैद है, तो मैं स्वतंत्र नहीं हूँ.” ऊ रूसो, थॉमस जेफरसन आ पैट्रिक हेनरी के स्वतंत्रता संघर्षनो पर नोट्स बनवलन. साथ ही मानव के अहस्तांतरणीय अधिकारनो पर. एकरा अलावा ऊ लेखक मार्क ट्वेन के प्रसिद्ध उद्धरण दर्ज कइलन:“हमें सिखाया गया है कि लोगों का सिर काटना कितना भयानक है. लेकिन हमें यह नहीं सिखाया गया है कि सभी लोगों पर जीवनभर गरीबी और अत्याचार थोपने से होने वाली मृत्यु और भी अधिक भयानक है.”
पूंजीवाद के समुझे ला, भगत सिंह अपना एह डायरी में अनेके गणनन के जिक्र कइले बाड़न. ओह समय ब्रिटेन में मौजूद असमानता के दर्ज करत लिखलन – आबादी के एक-बटा नौवा हिस्सा उत्पादन के आधा हिस्सा नियंत्रित कइलसि, जबकि केवल एक बटा सातवाँ हिस्सा (14%) उत्पादन के दू-तिहाई (66.67%) लोगन का बीच बाँटल गइल. अमेरिका में, सबसे धनी एक फीसदी लोग का लगे 67 अरब डॉलर के संपत्ति रहल, जबकि 70% आबादी का लगे कुल मिला के बस 4% संपत्ति.
ऊ रवींद्रनाथ टैगोर के एगो कथनो के उल्लेख कइलन, जवना में जापानी लोगन के धन-लालसा के “मानव समाज के लिए एक भयानक खतरा” बतावल गइल. एकरा अलावा, ऊ मौरिस हिलक्विट के ‘मार्क्स टू लेनिन’ से बुर्जुआ पूंजीवाद के संदर्भ दिहलन. एगो नास्तिक होखला का चलते, भगत सिंह “धर्म-स्थापित व्यवस्था का समर्थक: दासता” मथैला का तहत लिखलन कि, “बाइबल के पुराने और नए नियम में, दासता का समर्थन किया गया है, और भगवान की शक्ति इसकी निंदा नहीं करती.” धर्म के उत्पत्ति आ ओकर काम करे के तरीका के समुझे के कोशिश करत ऊ कार्ल मार्क्स के रुख कइलन.
अपना लेखन ‘हेगेल के न्याय दर्शन के संश्लेषण के प्रयास’ में, “मार्क्स के धर्म पर विचार” मथैला देत ऊ लिखलन : “मनुष्य धर्म का निर्माण करता है; धर्म मनुष्य का निर्माण नहीं करता. मानव होना का अर्थ है मानव दुनिया, राज्य और समाज का हिस्सा होना. राज्य और समाज मिलकर धर्म की विकृत विश्वदृष्टि को जन्म देते हैं…”
उनुकर दृष्टिकोण एगो क्रांतिकारी समाज सुधारक के रहुवे, जवना के मकसद पूंजीवाद के उखाड़ फेंकल आ शास्त्रीय समाजवाद के स्थापना करे के रहल. अपना एह डायरी में ऊ कम्युनिस्ट पार्टी के घोषणापत्र से कई उद्धरण शामिल कइले बाड़न. ‘द इंटरनेशनेल’ के गाना के पंक्तियनो के दर्ज कइले बाड़न. फ्रेडरिक एंगेल्स के कार्य में, जर्मनी में क्रांति अउर प्रतिक्रांति से संबंधित उद्धरणन का माध्यम से, ऊ अपना साथियन के सतही क्रांतिकारी विचारन के विरोध करत लउकत बाड़न.
देश में, धर्म, जाति आ गाय के नाम पर भीड़ द्वारा कइल गइल हिंसक घटनन – लिंचिंग – के एगो श्रृंखला शुरू हो गइल बा, आ टी. पेन के ‘राइट्स ऑफ मैन’ से उनकर उठासल गइल संदर्भ आजुओ प्रासंगिक बा. उनुका डायरी में लिखल गइल बा : “वे इन चीजों को उसी सरकारों से सीखते हैं जिनके तहत वे रहते हैं. बदले में, वे दूसरों पर वही सजा थोपते हैं जिसके वे आदी हो गए हैं… जनता के सामने प्रदर्शित क्रूर दृश्यों का प्रभाव ऐसा होता है कि या तो यह उनकी संवेदनशीलता को कुंद कर देता है या प्रतिशोध की इच्छा को उकसाता है. तर्क के बजाय, वे आतंक के माध्यम से लोगों पर शासन करने की इन आधारहीन और झूठी धारणाओं के आधार पर अपनी छवि का निर्माण करते हैं.”
“प्राकृतिक और नागरिक अधिकारों” का बारे में, ऊ लिखले बाड़न कि, “यह केवल मनुष्य के प्राकृतिक अधिकार ही हैं जो सभी नागरिक अधिकारों का आधार बनाते हैं.” भगत सिंह जापानी बौद्ध भिक्षु कोको होशी के शब्दनो के उल्लेख कइले बाड़न : “एक शासक के लिए यह उचित है कि कोई भी व्यक्ति ठंड या भूख से पीड़ित न हो. जब एक व्यक्ति के पास जीने के लिए बुनियादी साधन भी नहीं होते, तो वह नैतिक मानकों को बनाए नहीं रख सकता.”
भगत सिंह समाजवाद के उद्देश्य (क्रांति), विश्व क्रांति के उद्देश्य, सामाजिक एकता, अउर कईए दोसरो मुद्दन पर अलग अन्य मुद्दों पर अलग अलग लेखकन के संदर्भ दिहले बाड़न. भगत सिंह के सहयोगी लोग उल्लेख कइले बा कि जेल में रहला का दौरान भगत सिंह चार गो किताब लिखलन. एह किताबन के मथैला बा – 1. आत्मकथा, 2. भारत में क्रांतिकारी आंदोलन, 3. समाजवाद के आदर्श, 4. मृत्यु के द्वार पर. एह सगरी किताबन के जेल से रिहा होखला का बाद ऊ लोग ब्रिटिश अधिकारियों के प्रतिशोध का डर से नष्ट कर दिहले.
भगत सिंह के दृष्टिकोण स्वतंत्रता का बाद के युग में एगो न्यायपूर्ण, समाजवादी भारत के निर्माण के रहुवे जवन जातिवाद, सांप्रदायिकता आ असमानता से मुक्त होखो. उनुकर लिखल साफगोई का साथ एह दृष्टिकोण के देखावत बा आ उनुकर डायरी उनुका गहन अध्ययन के प्रमाण बा. भगत सिंह के जेल डायरी उनुका क्रांतिकारी विचारन आ बौद्धिक खोजन के रिकॉर्डे भर ना हो के स्वतंत्रता संघर्ष में भगत सिंह के स्थायी विरासतो के प्रमाण बा.
उनुकर डायरी विभिन्न विषयन पर उनुका सूक्ष्म चिंतनन के प्रकट करत बावे – प्राकृतिक आ नागरिक अधिकारन से लगायत उनुका समय के अंतर्निहित असमानता तकले के. ई सामाजिक, राजनीतिक अउर धार्मिक मुद्दन पर भगत सिंह के गहन विश्लेषणो के उजागर करत बावे, जवन एगो न्यायपूर्ण अउर समतावादी समाज ला उनुका दृष्टिकोण के रेघरियावत बिया.
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कल्पना पांडे
kalapana281083@gmail.com
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