होली हो लिहल

रंग के त्योहार कहल जाये वाला होली काल्हु पूरा देश में धूमधाम से मनावल गइल. धूर खेल से शुरु हो के सबेरे नौजवानन के टोली एक दोसरा के रंग से पोते नहावे में लागल रहुवे. लड़िकियन औरतन के टोलीओ एह मामिला में केहूसे कम ना रहली सँ. दुपहरिया होत सभे नहा धोवा के अबीर गुलाल के होली खेले लागल. एक दोसरा का घरे जा के मिले, अबीर लगावे आ गुझिया पकवान खाये खियावे में लागल जरुर बाकिर अबकी ऊ चहल पहल ना रहल जवन हर साल होत रहे काहे कि भारत वेस्टइंडीज के मैच देखे में नवही बेसी लागल रहले.

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