एगो प्रेम प्रलाप

– डॉ. कमल किशोर सिंह

तनि सुनी एगो बात, नाहीं झूठ, कहीं सांच.
रउआ बिना आपन जिनिगी पहाड़ लागेला.

काटे धावे घर, नीक लागे ना बाहर,
जगवा में सब कुछ बेकार लागेला.

रतिया के बतिया सुनाई का संघतिया,
दिनवो में हमरा अन्हार लागेला.

अइसन जिअरा उदास, लागे भूख ना पियास,
मउराइल मन ब्यथित, बेमार लागेला.

रउआ रहीं जब पास, हिय में हरस उल्लास,
सभ सरस सुखद संसार लागेला.

खेत बाग़ लहलहाला, घरबार जगमगाला,
मन हरदम हरियर हमार लागेला.

हमरा रउआ पे गुमान, हम चली सीना तान,
सब जिनगी के सपना साकार लागेला.


डा॰कमल के पहिले प्रकाशित रचना

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *