– कन्हैया पाण्डेय
लरकल लरहिया बाटे, उजरल पलानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
असवों के सेंवतल नइखे चुवेले पलनिया
भुरकुस नरियवा-छपुवा, ढहऽता मकनिया
उपरा प्लास्टिक कइसो तनले हम बानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
भखड़ल दुअरिया पर के बाँस के चँचरवा
टुटही केंवड़िया पर ना भइल ह विचारवा.
कुकुरा अनेरिहा घूमें चउका चुहानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
मुँअना भसुरवा कुल्ही घेरत अँगनइया बाटे
हकवा के बाँटत नइखे, आँठी जइसे पेरत बाटे
एनिये चुवावल चाहे आपन ओरियानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
बड़की देदनिया हमके मारत गरियावत बाड़ी
छोटकी ननदिया घर में झगड़ा लगावत बाड़ी
उढ़री बनल बिया आजु घरऽथानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
कहिया ले काटीं हमहूं दुखवा बिपतिया के
जिनिगी ओराइल सगरे सहते सँसतिया के
चिन्ता-फिकिरिये लिहँसल सगरी जवानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
लरकल लरहिया बाटे, उजरल पलानी
कबले अइबऽ पिया छिलबिल अँगना में पानी.
2A/298, आवास विकास कालोनी, हरपुर, बलिया.
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लोक जीवन के आँगन में ,बरिसल सावन के सावनईया |
खिल गईल बा फुल भाव के ,वाह जी -वाह जी वाह कन्हैया ||
पाण्डे जी ,
लोक जीवन के रंग में रचल -बसल राउर रचना निक लागल
गीतकार :-ओ.पी अमृतांशु
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