चइत के छन्द – चइता

Dr.Ashok Dvivedi

– डा॰अशोक द्विवेदी

कोइलरि कूहे अधिरतिया आ बैरी
चइत कुहुँकावे.
रहि रहि पाछिल बतिया इ बैरी
चइत उसुकावे.

कुरुई-भरल-रस-महुवा, निझाइल
कसक-कचोटत मन मेहराइल
उपरा से कतना सँसतिया, आ बैरी
चइत कुहुँकावे.

फगुवा गइल दिन कटिया के आइल
अइले ना उहो, खरिहनवा छिलाइल
कब मिली उहाँ फुरसतिया, इ बैरी
चइत कुहुँकावे.

मुसवा-बिलइया, चुहनिया अँगनवा
खड़के जे कुछ कही, चिहुँकेला मनवाँ
धक् धक् धड़केले छतिया, आ बैरी
चइत कुहुँकावे.

उनुका नोकरिया क सुख बाटे एतना
संग कहाँ रहिहें, देखलको बा सपना
हमनी क इहे किसमतिया, इ बैरी
चइत कुहुँकावे.


टैगोर नगर, सिविल लाइन्स बलिया – 277001
फोन – 08004375093
ashok.dvivedi@rediffmail.com

1 Comment

  1. amritanshuom

    बहुत नीमन लागल द्विवेदी जी राउर
    चइत के छन्द – चइता.
    धन्यवाद !

    ओ.पी.अमृतांशु

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