कहे वाला चाहे जवन कहें, हम माने ला तइयार नइखीं कि दादी जइसन नाक वाली बबुनी खेला कर दिहली. कहे वाला कहत बाड़ें कि ऊ चाहत रही कि उनुका के हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद बना दिहल जाव. बाकिर कांग्रेस पर कमान राखे वाली टीम उनुका के ई सौगात ना दिहलसि. कहे वाला त इहो कहत बाड़ें कि बबुआ ना चाहत रहलें कि एके परिवार से दू गो सवांग के राज्यसभा में भेजल जाव. आ बबुनी के मालूम बा कि जब माई आ भइया मैदान छोड़ के पराइल जात बा त उनुकर का बेंवत ! से ऊ नइखी चाहत कि उनुका लोकसभा के चुनाव लड़े के जहमत उठावे के पड़े.
कांग्रेस पर कमान राखे वाली टीम के मालूम रहुवे, भा अनेसा रहुवे कि हिमाचल प्रदेश में खेला हो सकेला आ शायद एही चलते सोनिया गाँधी के राजस्थान से भेजल गइल राज्यसभा. राज्यसभा के 56 गो सीट के चुनाव एह दौर में होखे वाला रहुवे. 41 सीट के फैसला त निर्विरोध हो गइल काहे कि ओह राज्यन में खाली सीट से अधिका उम्मीदवार मैदान में ना उतरलें.
बाकिर तीन गो राज्यन के 15 राज्यसभा सीटन के चुनाव करवावे के पड़ गइल काहें कि एहिजा से सीट से अधिका उम्मीदवार उतार दीहल गइलें. यूपी के 10 सीट पर 11 गो उम्मीदवार राजनीति के खेल रोचक बना दिहलें. एहिजा भाजपा अपना बलबूते सात गो आ सपा अपना बलबूते दू गो उम्मीदवार जितवा सकत रहल. बाकिर सपा सोचलसि कि शायद भाजपा साते गो उमीदवार उतारी आ उनुकर तिसरका उम्मीदवारो निर्विरोध जीत जाई. आ एहिजे खेल हो गइल. सपा का लगे जरुरत से तीन गो वोट कम रहल जबकि भाजपा का लगे जरूरत से 28 गो वोट अधिका रहल. भाजपा के लागल कि काहे ना एह अधिका वोट के सहारे आठवां उम्मीदवार जीता लेव. ओकरा लगे दावेदार भा उम्मीदवारन के कमियो ना रहल बाकिर जरुरत रहल अइसना उम्मीदवार के जे अपना बल–बूते मैदान मार लेव. एह अपना बलबूते वाला खेल में व्यक्तिगत संबंध आ पूंजी के ताकत दुनू कामे आवेला. से कबो सपा के कोषाध्यक्ष रहल संजय सेठ के मौका मिल गइल. संजय सेठ पहिले सपा का तरफ से राज्यसभा सांसदो रह चुकल बाड़न. बाकिर पिछला चुनाव में सपा के हालत देखि के ऊ पाला बदल लिहले रहलन आ भाजपा में चल गइल रहलें. भाजपो उनुका के राज्यसभा सांसद बनवलसि. बाकिर अबकी का चुनाव में तय जीत वाला सात गो सीट पर उनुकर नाम आगे ना कइलसि. अब आठवां सीट पर उनुकर जीत तय मानल जा रहल बा काहें कि मतदान में खूब आ खुलेआम वोटिंग के खबर आइल बा. कहल जात बा कि सपा के आठ गो विधायक खेमा बदल के भाजपा के वोट कइलन. बसपा के एकलौता विधायक उमाशंकर सिंह के वोटो संजय सेठ के मिल गइल. उमाशंकर सिंह कहलन कि सपा वाला लोग उनुका से वोट मांगे ना आइल जबकि संजय सेठ आ गइलन. एहसे उनुके के वोट दे दिहनी.
ई त भइल यूपी के हाल. ओने हिमाचल प्रदेश के एक सीट पर दू गो उम्मीदवार उतर गइला का चलते ओहिजो मतदान करावे के नौबत आ गइल. पहिले त भाजपा ना चहले रहल कि आपन उम्मीदवार देव बाकिर जब कांग्रेस का तरफ से मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उम्मीदवार बनावल गइल तब कांग्रेस के कुछ नेता लोग के ई बाउर लाग गइल. एह लोग के उमेद रहुवे कि एह सीट पर उनुका मौका मिल जाई. उमीद त बबुनियो के रहल बाकिर सबका के बेउम्मीद करवला का बाद भाजपा का लागल कि शायद मौका बा. आ ऊ आपनो उम्मीदवार उतार दिहलसि. विधायक के गिनिती का गणित पर त कांग्रेस के जीत तय होखे के चाहत रहल काहें कि ओकरा लगे बहुमत बावे. बाकिर हो गइल खेला. आ कहल जात बा कि कांग्रेस के आठ नौ गो विधायक पाला बदल के भाजपा के वोट कर दिहले बाड़न. पक्का खबर त आजु साँझे ले मिल पाई जब चुनाव परिणाम के एलान होखी.
इहो नइखे कि सब जगहा भाजपे खेला कइले बिया. कहल जात बा कि ओपी राजभर के एगो विधायक सपा के आ कर्नाटक में एगो भाजपा विधायक कांग्रेस के वोट कइले बाड़न.
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