धारावाहिकों के स्टार निर्देशक रंजन सिंह

Director-RanjanSingh
मैथालाजिकल के साथ साथ ड्राईंगरुम और फिक्शन हर तरह के धारावाहिकों के स्टार निर्देशक रंजन सिंह ने ५३ कामयाब धारावाहिक निर्देशित किए हैं और उन्हें ७ बार बेस्ट निर्देशक का अवार्ड मिल चुका है.

निर्देशक रंजन सिंह के धारावाहिकों में आपको जिन्दगी का कलकल प्रेम नजर आयेगा. वे सरल कहानियों को अच्छी तरह चित्रित करना जानते हैं और उनमें सहज संवेदनात्मकता की भी झलक देखने को मिलती है. बतौर निर्देशक रंजन सिंह के कैरियर ग्राफ पर नजर डालें तो उन्होने मैथालाजिकल धारावाहिकों से लेकर ड्राईंगरुम और फिक्शन तक को छोटे पर्दे पर बखुबी उतारा है. जय हनुमान, जोधाअकबर, ये है मोहब्बतें, कुमकुम भाग्य, जय महाभारत, महारथी कर्ण,सीआईडी, हादसा, इतना करो ना मुझे प्यार, बालिका वधु, मेरी आशिकी तुमसे है, मायका, बेटियां, अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो, १८५७ क्रांति, नागिन रावण सहित कुल ५३ कामयाब धारावाहिकों का निर्देशन कर चुके रंजन सिंह मूलत: पटना से हैं.

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक रंजन सिंह का भावुक दास्तान को भी छोटे पर्दे पर उतारने में महारत है. कैरियर और जिन्दगी की दहलीज पर उन्हे तामझाम पसंद नहीं है मगर छोर्टे पर्दे पर वे लोकेशन, घटनाओं और प्रसंगों को स्क्रिप्ट के अनुसार विस्तार देते हैं. रंगमंच पर भी कुशल पकड़ रखने वाले इस निर्देशक को २७ बार अवार्ड मिल चुका है. वे रंगमंच पर वर्ष १९८९ में जुड़े और फिर पीछे पलटकर देखने की उन्हे फुर्सत ही नहीं मिली. रंजन सिंह ने वर्ष १९९५ में छोटे पर्दे पर बतौर निर्देशक कदम रखा और कामयाबी हिस्से में आती गयी. पहली पहचान बनी जय हनुमान से.

वे कहते हैं मैं खुद हनुमान जी का भक्त हूं और जब मुझे इस धारावाहिक के निर्देशन का मौका मिला तो मैने दिल लगा दिया. रंजन सिंह एकता कपूर कैंप के रेगुलर निर्देशक हैं और खुद रंजन सिंह एकता कपूर के फैन हैं. वे कहते हैं एकता जी के साथ काम करने का मतलब है कि निर्देशक को किसी तरह का दबाव नहीं रहता है और एक क्रियेटिविटी उभर कर सामने आती है. दिन भर काम काम और काम आखिर रंजन सिंह को फुसर्त कब मिलेगी. इसपर वे हंस देते हैं और कहते हैं जिस दिन मुझे खुदमें अनगढ़ता दिखेगी कुछ दिन आराम कर लूंगा और तब भी प्रकृति की मौलिक सुंदरता का परिवार के साथ आनंद लूंगा जो मुझमें प्रेम का नया आयाम भरती हैं.

वे कहते हैं मेरी पत्नी प्रीति सिंह मेरी प्रेरणा और मेरी ताकत हैं जबकि मेरी मां उतीमराज सिंह मेरा बल और मेरी पूजा हैं. रंजन सिंह को अपनी भोजपुरी भाषा से लगाव है और यही वजह है कि उन्होने कुछ भोजपुरी फिल्में भी निर्देशित की जिन्हे आज भी भोजपुरी सिनेमा की यादगार फिल्म मानी जाती है. इन फिल्मों में फिरंगी दुलहनिया और भिखारी ठाकुर की कहानी पर बनी फिल्म बिदेसिया प्रमुख है. वे कहते हैं मेरे पास बेटी बेचवा पर एक कहानी है उसपर जल्द ही काम करना है मगर फिलहाल तो यही कहुंगा कि मेरे पास समय कहां है.

रंजन सिंह के बारे में कहा जाता है कि तीन तीन डेली धारावाहिक एक साथ निर्देशित कर उन्होने एक रिकार्ड भी बनाया है. वे भारत की तहजीब और तरीके को बगैर संकोच के पेश करते हैं.क्योंकि शब्द,संवाद और मुहावरे उनकी रोजमर्रा जिंदगी के होते हैं और शहरी दर्शकों का आनंद अलग होता है. उनके धारावाहिकों में आपको आकर्षक कास्टयूम मिलेंगे इससे फैशन का नया ट्रेंड चलता है. इससे रंजन सिंह के धारावाहिकों की पैकेजिंग दर्शकों को छोटे पर्दे पर साल दर साल बांंधे रखते हैं.


(शशिकांत सिंह)

0 Comments

Submit a Comment