बतकुच्चन – ५९


आजु जब बतकुच्चन लिखे बइठल बानी त सामने दू गो मौत के खबर पड़ल बा. एगो चंदौली के भोजपुरी कवि रामजियावन दास बावला के आ दोसरका गोरखपुर के आचार्य प्रतापादित्य के. अब बतकुच्चन के ई विषय त ह ना बाकिर दिमाग जे बा से कि एही पर अटक के रहि गइल बा. मौत के खबर आवे त ओही से जुड़ल होला काम काज किरिया सराध के खबर. काम काज किरिया के अनेके तरह से इस्तेमाल होखेला. काम काज त आदमी के धंधा भा आजीविका के साधनो के कहल जाला. एही पर याद आइल एगो भोजपुरी कहावत काम के ना काज के दुश्मन अनाज के. कहे के मतलब ओह आदमी से बा जे कवनो मकसद पूरा करे लायक ना होखे बाकिर भर कठौती खाए से परहेज ना करत होखे. काम के मतलब आदमी के वासना, चाहत, इच्छो वगैरह होखेला आ एगो खासो मतलब होला सराध के काम के. किरिया करम पूरा करे वाली किरिया के. सराध खातिर काम, किरिया भा कजिया सब्दो के इस्तेमाल होखेला. अब एह काम पड़ला के आ केहू से कवनो काम पड़ला के मतलब अलगे अलग होखी. किरिया सब्द क्रिया के बिगड़ल रूप ह बाकिर आपन कुछ अउरी माने समा लिहले बा अपना में. किरिया शपथो के कहल जाला. आ एह तरह से देखीं त ई किरिया अइसन हो गइल जवना के खाइलो जाला, दिहलो जाला, आ कइलो जाला. जब कर्मकाण्ड के किरिया होखे त ओकरा के कइलो जाला, खइलो जाला, खियावलो जाला.ओही तरह राजनीतिओ के किरिया एके साथ दिहल लिहल जाला. केहू किरिया धरावेला भा देला आ सामने वाला किरिया खाला भा लेला. एह किरिया खाए में किरिया लेबे वाला मनई के खुशी के ठिकाना ना रहे काहे कि ऊ जानत बा कि किरिया खा के भुला जाए वाला चीज ह. ना त अतना नेता भठियरपन के धन से मालामाल कइसे होखतन. वइसे त सराधो वाला किरिया का बारे में कहल जाला कि एह किरिया के खइला के ना त चरचा कइल जाला ना बखान. बाकिर कुछ किरिया कसम लेखा होला आ ओकरा के आदमी अपना अनुभव से लेला जइसे कि तीसरी कसम में लिहल गइल. कुछ लोग के किरिया दे दिहल जाला कि भुलाइलो फलाना काम नइखे करे के भा फलाना दिसाईं नइखे जाए के. बाकिर मन त मने ह ओकरा के बान्ह सकल. कहीं जाइओ के ऊ ना जा सके आ नाहियो जा के मन से ओहिजा मौजूद रहि सकेला. किरिया क्रिया के ना रोक सके आ क्रिया कर्म रोके वाला चीज होखबो ना करे. सोचीं ना तीन भाषा में शपथ कसम आ किरिया मूल रूप से एके होखला का बावजूद तीनो के अंदाज अलग बा. ओकरा त कवनो खास दिक्कत नइखे होखे के जे एके भाषा से बन्हाइल बा बाकिर जे बहुभाषी बा ओकरा खातिर एह तरह के शब्दन के इस्तेमाल करे मे सावधानी बरतल जरूरी हो जाला. ठीक ओही तरह जइसे बटन लगावे वाला काज ना त बड़ होखे ना छोट. बड़ होखी त बटन निकल जाई आ छोट होखी त घुसबे ना करी. एहिसे काज बनावल सावधानी से करे वाला काम होला. उपर नीचे बन गइल त कुर्ता बुश्शर्ट टेढ़ बाकुर लउके लागी. भगवान बुद्ध एह खातिर एगो सूत्र वाक्य दिहले रहीं “सम्यक”. ना अति बरखा ना अति धूप, ना अति बोलता ना अति चुप. अति कवनो बात के होखे खराब होला, नुकसान दे जाला. एहसे हमहू अब अति करे का मूड में नइखीं आ आजुके बतकुच्चन के एहिजे अंत करत बानी.

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